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चौका  : पुं० [सं० चतुष्क, प्रा.चउक्क,हिं०चौक] १. एक ही तरह की चार चीजों का वर्ग या समूह। जैसे–अँगोछों का चौका (एक साथ बुने हुए चार अँगोछे), दांतों का चौका (अगले दो ऊपरी और दो नीचे के दाँत) मोतियों का चौका (एक साथ पिरोये हुए चार मोती)। २. एक प्रकार का जंगली बकरा जिसके चार सींग होते हैं। चौसिघा। ३. ताश का वह पत्ता जिस पर चार बूटियाँ होती हैं। चौआ। जैसे–पान या हुकुम का चौका। ४. किसी प्रकार चौकोर कटा हुआ ठोस, भारी और बड़ा टुकड़ा। जैसे–पत्थर या लकड़ी का चौका। ५. एक प्रकार का चौकोर ईट। ६. पत्थर या लकड़ी का गोलाकार टुकड़ा जिस पर रोटी बेलते हैं। चकला। ७. रसोई बनाने और बैठकर भोजन करने का स्थान जो पहले प्रायः चौकोर हुआ करता था। रसोई बनाने से पहले और भोजन कर चुकने के बाद उक्त को धो-पोछकर अथवा गोबर मिट्टी आदि से लीप-पोतकर की जानेवाली सफाई। क्रि० प्र०–करना।–लगाना। पद-चौका बरतन रसोई बनने और भोजन होने के बाद चौका धोकर साफ करने और बरतन माँज-धोकर रखने का काम। जैसे–वह मजदूरनी चार घरों का चौका-बरतन करती है। ९. किसी स्थान को पवित्र और शुद्ध करने के विचार से गोबर, मिट्टी आदि से पोतने या लीपने की क्रिया या भाव। जैसे–आज यहीं पूजन (या हवन) होगा, इसलिए यहाँ जरा चौका लगा दो। क्रि० प्र०–लगाना। मुहावरा–चौका देना, फेरना या लगाना=किसी काम या बात को बुरी तरह से चौपट या नष्ट करना। (परिहास और व्यंग्य) जैसे–तुमने जरा सी भूल करके बने-बनाये काम पर चौका फेर या लगा दिया। उदाहरण–कियो तीन तेरह सबै चौका चौका लाय।–भारतेंदु। पद–चौके की राँडवह स्त्री जो विवाह के कुछ दिन बाद ही विधवा हो गई हो। १॰.सिर के पिछले भाग में बाँधा जानेवाला चौक या सीसफूल नाम का अर्ध गोलाकार गहना। ११. एक प्रकार का मोटा कपड़ा जो मकानों के चौक में (या फर्श पर) बिछाया जाता है। १२. एक प्रकार का पात्र या बरतन जिसमें अलग-अलग तरह की चीजें (जैसे–नमक, मिर्च, मसाले या साग, भाजी, रायता आदि) रखने के लिए अलग-अलग कटोरे या खाने बने होते हैं। चौघड़ा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चौका-विधि  : स्त्री० [हिं० चौका+सं० विधि] कबीर-पंथियों की एक शाखा में प्रचलित एक कर्मकांडीय विधान जिसमें कुछ निश्चित तिथियों या वारों को दिन भर उपवास करके रात को आटे के बनाये हुए चतुर्भुज क्षेत्र की पूजा होती है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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