| शब्द का अर्थ | 
					
				| चौंर					 : | पुं० [सं० चामर ?] १. पिंगल में मगण के पहले भेद (ऽ) की संज्ञा। २. भड़भाँड़ या सत्यानाशी नामक पौधे की जड़। पुं.१. चँवर। (देखें)। २. झालर। ३. किसी चीज का गुच्छा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चौंरगाय					 : | स्त्री०[हिं०चौंर+सं०गो] सुरागाय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चौंरा					 : | पुं० [सं० चुंडगड्ढा] १. वह गड्ढा जिसमें सुरक्षा के लिए अन्न गाड़ा जाता है। २. ‘चौंड़ा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चौंराना					 : | स० [सं० चौंर+आना (प्रत्यय)] १. किसी के ऊपर या चारों ओर चँवर डुलाना। चँवर करना। २. जमीन पर झाड़ देना या लगाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चौंरी					 : | स्त्री० [हिं० चौंर+ई (प्रत्यय)] १. छोटा चँवर। चँवरी। २. रेशम या सूत का वह लच्छा जिससे स्त्रियाँ सिर के बाल बाँधती है। चोटी। ३. किसी चीज के आगे लटकने वाला फुँदना।। ४. सफेद पूँछवाली गाय। ५. सुरागाय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चौंरिंदी					 : | वि०=चउरिंदी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चौंरेठा					 : | पुं० [हिं० चाउर(=चावल)+पीठा] चावल को महीन पीस कर बनाया जानेवाला चूर्ण जो कई प्रकार के पकवान बनाने के काम आता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |