| शब्द का अर्थ | 
					
				| चोप					 : | पुं० [हिं० चाव] १. उत्साह और उमंग से भरी हुआ कामना या वासना। चाव। क्रि० प्र०–चढ़ना। २. उत्साह या उमंग बढ़ानेवाला काम, चीज या बात। ३. उत्तेजना। बढ़ावा। क्रि० प्र०–देना। पुं० [हिं० चूना=टपकना] कच्चे आम के ऊपरी भाग का वह रस जो शरीर में लगने पर खुजली जलन फुन्सी आदि उत्पन्न करता है। स्त्री० [फा० चोब] १. दे० ‘चोब’। २. डंके पर लकड़ी से किया जानेवाला आघात। डंके की चोट। ३. इस प्रकार उत्पन्न होनेवाला शब्द।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| चोपदार					 : | पुं०=चोबदार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| चोपी					 : | वि० [हिं० चोप] १. जिसे किसी बात का बहुत अधिक चाव या चाह हो। २. जिसमें विशेष उत्साह या उमंग हो। स्त्री०=चेप (लसीला पदार्थ) जैसे–आम की चोपी। | 
			
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