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चुनना  : स० [सं० चयन] १. बहुत सी चीजों में से अपनी आवश्यकता, इच्छा, रुचि आदि के अनुसार अच्छी या काम की चीजें छाँटकर अलग करना। जैसे–(क) पढ़ने के लिए किताब और पहनने के लिए कपड़ा चुनना। (ख) चुन-चुनकर गालियाँ देना। २. आज-कल राजनीतिक क्षेत्र में, कई उम्मीदवारों में से किसी को अपने प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित करना। जैसे–नगरपालिका या राज-सभा के लिए सदस्य चुनना। ३. कहीं पड़ी या रखी हुई छोटी चीजें उठाना या लेना। जैसे–कबूतरों या मुर्गियों का जमीन पर पड़े हुए दाने चुनना। चुगना। ४. पौधों में लगे हुए फूलों आदि के संबंध में, उँगलियों या चुटकी से तोड़कर इकट्ठा करना। जैसे–माली का कलियाँ या फूल चुनना। ५. एक में मिली हुई कई तरह की चीजों में से अच्छी और काम की चीजें एक ओर करना और फालतू या रद्दी चीजें अलग करना। जैसे–चावल या दाल चुनना, अर्थात् उसमें मिले हुए कदन्न, कंकड़ियों आदि उठा-उठाकर अलग करना या फेंकना। ६. किसी स्थान पर बहुत सी चीजें क्रम से और सजाकर यथा-स्थान रखन। जैसे–अलमारी में किताबें चुनना,मेज पर खाना चुनना। ७. दीवारों की जुडा़ई में क्रम से और ठीक तरह से ईंटें पत्थर आदि बैठाना या लगाना। जैसे–इस कमरे की दीवारें चुनने में ही दस दिन लग गये। मुहावरा–(किसी को) दीवार में चुनना=मध्य युग में किसी को प्राण-दंड देने के लिए कहीं खडा़ करके उसके आस-पास या चारों ओर ईंट-पत्थर आदि की दीवार या दीवारें बनाना, जिसमें दम घुटने के कारण अभियुक्त उसी में मर जाय। ८. उँगलियों की चुटकी, इमली के बड़े चीएँ आदि की सहायता से कपड़े में सुन्दरता लाने के लिए उसे बहुत ही थोड़ी-थोड़ी दूर पर दबाते तथा मोड़ते हुए उसमें छोटी-छोटी शिकनें या सिकुंड़ने डालना या बनाना। जैसे–कुरता चुनना। ९. हाथ की चारों उँगलियों की सहायता से कपड़े को बार-बार इधर-उधर घुमाते या ले जाते हुए उसकी तीन-चार अंगुल चौड़ी तहें लगाना। जैसे–दुपट्टा या धोती चुनकर खूँटी पर टाँगना या रखना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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