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चिलक  : स्त्री० [हिं० चिलकना] १. सहसा दिखाई देनेवाली और क्षणिक कांति या चमक। उदाहरण–चिलक चौंधि में रूप ठग हाँसी फाँसी डारि।–बिहारी। २. सहसा अथवा रह-रहकर कुछ समय के लिए उठनेवाली क्षणिक पीड़ा। टीस। चमक। पुं०=तिलक (पौधा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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चिलकना  : अ० [हिं० चिल्ली=बिजली या अनु०] १. रह-रहकर चमकना। चमचमाना। उदाहरण–सब ठाठ इसी चिलकी से देखें हैं चिलकत्ते।-नजीर। २. रह-रहकर दरद या पीड़ा होना। जैसे–उठने-बैठने में कमर या पीठ चिलकना।
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चिलका  : पुं० [?] नवजात शिशु।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० चिलकी। (रुपया)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० उड़ीसा की एक प्रसिद्ध बड़ी झील।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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चिलकाई  : स्त्री० [हिं० चिलक+आई (प्रत्य)] १. चमक। उदाहरण–कै मेधनि सों सुचि चंचला की चिलकाई।–रत्नाकर। २. उतार-चढ़ाव। ३. उत्तेजना। वि० चमकीला।
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चिलकाना  : स० [हिं० चिलक] १. चिलकने या चमकने में प्रवृत्त करना। जैसे–माँज या रगड़कर गहने या बरतन चिलकाना। २. चमकाना।
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चिलकी  : स्त्री० [हिं० चिलकना] १. चाँदी का रुपया, विशेषतः नया रुपया जो चमकता हो। उदाहरण–सब ठाठ इसी चिलकी से देखे हैं चिलकते।–नजीर। २. एक प्रकार का रेशमी कपड़ा उदाहरण–चिलकी चिक्कन चाह चीर चीनी ज़ापानी।–रत्नाकर। वि० चमकीला।
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