| शब्द का अर्थ | 
					
				| चाँक					 : | पुं० [हिं० चौ=चार+अंक=चिन्ह] १. काठ की वह थापी जिस पर कुछ चिन्ह खुदे होते हैं और जिससे खलिहान में अन्न की राशि के चारों ओर निशान लगाये जाते हैं। २. उक्त प्रकार से लगाया हुआ चिन्ह्र या निशान। ३. टोटके के लिए शरीर के किसी पीड़ित स्थान के चारों ओर खींचा जानेवाला घेरा। गोंठ। | 
			
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				| चाँकना					 : | स० [हिं० चाँक] १. खलियान में अनाज की राशि के चारों ओर मिट्टी, राख, ठप्पे आदि से निशान लगाना। चाकना। २. रेखा खींचकर सीमा निर्धारित करना। ३. पहचान के लिए किसी चीज पर निशान लगाना। | 
			
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				| चाँका					 : | पुं० १. दे० चाँक। २. दे० ‘चक्का’। | 
			
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