| शब्द का अर्थ | 
					
				| चरित					 : | पुं० [सं० चर् (चलना)+क्त] १. आचरण और व्यवहार या रहन-सहन। २. किसी के जीवन की घटनाओं का उल्लेख या विवरण। जीवन-चरित्र। ३. किसी के किए हुए अनुचित या निंदनीय काम। तरतूत। करनी। (व्यंग्य)। जैसे–इनके चरित्र सुने तो दंग रह जाएँगे। | 
			
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				| चरित-कार					 : | पुं० [ष० त०] चरित-लेखक। | 
			
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				| चरित-नायक					 : | पुं० [ष० त०] वह व्यक्ति जिसकी जीवन की घटनाओ के आधार पर कोई पुस्तक या जीवनी लिखी गई हो। | 
			
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				| चरित्र-लेखक					 : | पुं० [ष० त०] किसी के जीवन की घटनाएँ या जीवन चरित्र लिखनेवाला लेखक। | 
			
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				| चरितवान्					 : | वि० दे० ‘चरित्रवान्’। | 
			
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				| चरितव्य					 : | वि० [सं०√चर्+तव्यत्] (कार्य या व्यवहार) जो करने या आचरण के रूप में लाये जाने के योग्य हो। | 
			
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				| चरितार्थ					 : | वि० [चरित-अर्थ, ब० स०] १. (व्यक्ति) जिसका अर्थ, अभिप्राय या उद्देश्य पूरा या सिद्ध हो चुका हो। कृतकार्य। कृतार्थ। जैसे–भगवान की भक्ति में लगकर वे चरितार्थ हो गए। २. (बात या विषय) जिसके अस्तित्व का उद्देश्य पूरा या सिद्ध हो गया हो। जैसे–अपना जीवन चरितार्थ करना। ३. (उक्ति या कथन) जो अपने ठीक-ठीक अर्थ में पूरा उतरता या घटित होता हो। जैसे–आपकी उस दिन की भविष्यद्वाणी आज चरितार्थ हो गई। | 
			
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				| चरितार्थता					 : | स्त्री० [सं० चरितार्थ+तल्-टाप्] चरितार्थ या कृतार्थ होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| चरित्तर					 : | पुं० [सं० चरित्र] छलपूर्ण अनुचित आचरण या व्यवहार जैसे–तिरिया चरित्तर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| चरित्र					 : | पुं० [सं०√चर्+इत्र] १. वे सब बातें जो आचरण, व्यवहार आदि के रूप में की जायँ। किया या किये हुए काम। कार्य-कलाप। २. अच्छा आचरण या चाल-चलन। सदाचार। जैसे–चरित्रवान्। ३. जीवन में किये हुए कार्यों का विवरण। जीवन-चरित्र। जीवनी। ४. कहानी, नाटक में कोई पात्र। ५. कोई महान अथवा श्रेष्ठ व्यक्ति। ६. स्वभाव। ७. छलपूर्ण अनुचित आचरण और व्यवहार। करतूत। चरित्र। (व्यंग्य) ८. कर्त्तव्य। ९. शील। स्वभाव। १॰.चलने की क्रिया या भाव। ११. पग। पाँव। पैर। | 
			
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				| चरित्र-नायक					 : | पुं०=चरितानायक। | 
			
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				| चरित्र-पंजी					 : | स्त्री० दे० ‘आचरण पंजी’। | 
			
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				| चरित्र-बंधक					 : | पुं० [ष० त०] १. मैत्रीपूर्ण तथा सद्व्यवहार करने की प्रतिज्ञा। २. वह चीज जो किसी के पास कुछ शर्तों के साथ बंधन या रेहन रखी जाय। ३. उक्त प्रकार से बंधक या रेहन रखने की प्रणाली। | 
			
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				| चरित्रवान्(वत्)					 : | वि० [सं० चरित्र+मतुप्] [स्त्री० चरित्रवती] (व्यक्ति) जिसका चरित्र सद् हो। सदाचारी। | 
			
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				| चरित्र-हीन					 : | वि० [तृ० त०] (व्यक्ति) जिसका आचरण या चाल-चलन बहुत ही खराब या निन्दनीय हो। बदचलन। | 
			
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				| चरित्रा					 : | स्त्री० [सं० चरित्र+टाप्] इमली का पेड़। | 
			
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