| शब्द का अर्थ | 
					
				| चरब					 : | वि० [फा० चर्ब] तेज। तीखा। | 
			
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				| चरब-जबान					 : | वि० [फा० चर्ब-जबान] [भाव० चरब-जबानी] १. प्रायः कठोर और तीखी बातें कहनेवाला। कटु-भाषी। २. बहुत बढ़बढ़कर बातें करनेवाला। वाचाल। ३. बिना सोचे समझे बहुत अधिक या तेज बोलनेवाला। | 
			
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				| चरबन					 : | पुं० =चबैना। | 
			
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				| चरबाँक					 : | वि० [फा० चर्बतेज] १. चतुर। चालाक। होशियार। २. निडर। निर्भय। ३. आचार, व्यवहार, स्वभाव आदि के विचार से उद्दंड तेज या शोख। ४. चंचल। चुलबुला। जैसे–चरबाँक आँखें। | 
			
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				| चरबा					 : | पुं० [फा० चर्ब] १. लेखे, हिसाब आदि का लिखा हुआ पूर्व रूप। खाका। २. अनुलिपि। नकल। ३. चित्रकला में वह पतला पारदर्शी कागज जिसकी सहायता से चित्रों की छाप ली जाती है। क्रि० प्र०-उतारना। | 
			
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				| चरबाई					 : | वि० चरबाँक। | 
			
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				| चरबाना					 : | स० [सं० चर्म] ढोल पर चमड़ा मढ़ाना। | 
			
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				| चरबी					 : | स्त्री० [फा०] प्राणियों के शरीर में रहनेवाला सफेद या हलके पीले रंग का गाढ़ा, चिकना तथा लसीला पदार्थ। मुहावरा–(शरीर पर) चरबी चढ़नामोटा होना। (आँखों में) चरबी छाना अभिमान या मद में अंधा होना। | 
			
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