| शब्द का अर्थ | 
					
				| चंद्रिका					 : | स्त्री० [सं० चंद्र+ठन्-इक, टाप्] १. चंद्रमा का प्रकाश। चांदनी। २. मोर की पूँछ पर का वह अर्द्धचंद्राकार चिन्ह्र जो सुनहले मंडल से घिरा होता है। ३. इलायची। ४. चाँदा नाम की मछली। ५.चंद्रभागा नदी। ६. कनफोड़ा नाम की घास। ७. चमेली। ८. सफेद भटकटैया। ९. मेथी। १॰. चंसुर या हालम पौधा। ११. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में न, न, त, त, ग (॥। ।॥ ऽऽ। ऽऽ। ऽ) और ७-६ पर यति होती है। १२. एक देवी का नाम। १३. माथे पर पहनने का टीका या बेंदी। १४. स्त्रियों के पहनने का एक प्रकार का मुकुट या शिरोभूषण जिसे चंद्रकला भी कहते थे। | 
			
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				| चंद्रिकातप					 : | पुं० [चंद्रिका-आतप, मयू० स०] चांदनी। ज्योत्स्ना। | 
			
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				| चंद्रिका-द्राव					 : | पुं० [ब० स०] चंद्रकांत मणि। | 
			
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				| चंद्रिकापायी(यिन्)					 : | पुं० [सं० चंद्रिका√पा (पीना)+णिनि युक् उप० स०] चकोर पक्षी जो चंद्रमा से निकलनेवाले अमृत या रस का पीनेवाला कहा गया है। | 
			
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				| चंद्रिकामिसारिका					 : | स्त्री० [चंद्रिका-अभिसारिका, मध्य० स०]=शुक्लाभिसारिका (नायिका)। | 
			
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