| शब्द का अर्थ | 
					
				| चंचल					 : | वि० [सं०√चंच् (चलना)+अलच्] [स्त्री० चंचला, भाव० चंचलता] १.जो एक स्थान पर खड़ा, स्थित या स्थिर न रहकर बराबर इधर-उधर आता जाता, चलता-फिरता अथवा हिलता-डुलता रहता हो। जैसे–चंचल दृग, चंचल पवन। २. जिसमें स्थायित्व न हो। ३. (व्यक्ति) जो एक न एक काम, बात आदि में स्वभावतः फँसा या लगा रहता हो। चुलबुला। ४. जो स्थिरचित्त अथवा एकाग्र होकर कोई काम न करता हो। जैसे–चंचल बालक। ५. नटखट। शरारती। ६. जो शांत न हो। उद्विग्न। विकल। जैसे–चंचल हृदय। पुं० १.वायु। हवा। २. उपद्रवी, कामुक या रसिक व्यक्ति। | 
			
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				| चंचलता					 : | स्त्री० [सं० चंचल+तल्-टाप्] १. चंचल होने की अवस्था या भाव। अस्थिरता। २. चपलता। ३. पाजीपन। शरारत। ४. उद्विग्नता। | 
			
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				| चंचलताई					 : | स्त्री०=चंचलता। | 
			
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				| चंचला					 : | स्त्री० [सं० चंचल+टाप्] १. लक्ष्मी। २. बिजली। विद्युत। ३. पिप्पली। ४. चार चरणों का एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में रगण, जगण, रगण, जगण, रगण और लघु होता है। | 
			
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				| चंचलाई					 : | स्त्री०=चंचलता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| चंचलास्य					 : | पुं० [चंचल-आलस्य, ब० स०] एक प्रकार का गंध-द्रव्य। | 
			
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				| चंचलाहट					 : | स्त्री०=चंचलता। | 
			
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				| चंचली					 : | स्त्री० [सं० चंचरी, रस्यल] चंचरी नामक वर्णवृत्त का दूसरा नाम। | 
			
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