शब्द का अर्थ
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					घुड़					 :
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					पुं० [हिं० घोड़ा] हिन्दी घोड़ा का वह संक्षिप्त रूप जो उसे यौगिक शब्दों के आरम्भ में लगने से प्राप्त होता है। जैसे–घुड़-चढ़ा, घुड़-दौड़, घुड़-मुंहा आदि।				 | 
			
			
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					घुड़कना					 :
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					स० [अनु० घुर घुर] खीझने अथवा क्रुद्ध होने पर खिझाने अथवा क्रोध दिलानेवाले को डाँटते हुए यह कहना कि ऐसा काम मत करो जिसमें हम खीझें या क्रुद्ध हों।				 | 
			
			
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					घुड़की					 :
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					स्त्री० [हिं० घुड़कना] १. घुड़कने की क्रिया या भाव। २. क्रुद्ध होकर अथवा खींझकर डाँटते हुए किसी को कही जानेवाली बात। पद-बंदर घुडकी (देखें)।				 | 
			
			
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					घुड़चढ़ा					 :
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					पुं० [हिं० घोड़ा+चढ़ना] १. वह जो घोड़े पर चढ़ा हो। घुड़ सवार। अश्वारोही। २. एक प्रकार का स्वाँग जिसमें घोड़े की सी आकृति बनाकर उसके बीच में सवार की तरह चलते हैं।				 | 
			
			
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					घुड़चढ़ी					 :
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					स्त्री० [हिं० घोडा़+चढ़ना] १. हिंदुओं में विवाह की एक रीति जिसमें वर घोड़े पर चढ़कर दुल्हिन के घर जाता है। २. गाँवों में रहनेवाली वेश्या, जो घोड़े पर चढ़कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती है। ३. घोड़े की पीठ पर रख या लादकर चलाई जाने वाली एक प्रकार की छोटी तोप। घुड़नाल।				 | 
			
			
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					घुड़दौड़					 :
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					स्त्री० [हिं० घोड़ा+दौड़] १. घोड़ों की दौड़। २. एक प्रतियोगिता जिसमें घोड़ों को खूब तेज दौड़ाया जाता है और सबसे तेज दौड़ने वाले घोड़े (अथवा उसके स्वामी को) पुरस्कृत किया जाता है। ३. चलने में घोड़ों की तरह की बहुत तेज चाल। ४. एक प्रकार की बड़ी नाव जिसके अगले भाग पर घोड़े का मुँह बना होता है। ५. घुड़सवार सेना की कवायद। क्रि० वि० घोड़ों की तरह तेजी से आगे बढ़ते या दौड़ते हुए।				 | 
			
			
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					घुड़नाल					 :
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					स्त्री० [हिं० घोड़ा+नाल] घोड़े की पीठ पर रखकर चलाई जानेवाली एक प्रकार की पुरानी चाल की तोप।				 | 
			
			
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					घुड़बहली					 :
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					स्त्री० [हिं० घोड़ा+बहल+ई] एक प्रकार का रथ जिसमें घोड़े जुतते हों।				 | 
			
			
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					घुड़मक्खी					 :
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					स्त्री० [हिं० घोड़ा+मक्खी] भूरे रंग की वह मक्खी जो घोड़ो को काटती है।				 | 
			
			
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					घुड़मुँहा					 :
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					वि० [हिं० घोड़ा+मुँह] जिसका मुख घोड़े की तरह लंबा हो। पुं० एक कल्पित मनुष्य जाति जिसका धड़ मनुष्य का-सा और मुँह घोड़े का-सा माना गया है।				 | 
			
			
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					घुड़ला					 :
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					पुं० [हिं० घोड़ा+ला (प्रत्यय)] १. बच्चों के खेलने के लिए बनाया हुआ काठ, पत्थर, मिट्टी आदि का छोटा घोड़ा। २. छोटा घोड़ा. ३. छोटी रस्सी या सिकड़ी। (लश०)				 | 
			
			
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					घुड़सवार					 :
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					पुं० [हिं० घोड़ा+सवार] [भाव० घुड़सवारी] वह जो घोड़े पर सवार हो। अश्वारोही।				 | 
			
			
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					घुड़सवारी					 :
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					स्त्री० [हिं० घोड़ा+सवारी] घोड़े पर सवार होने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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					घुड़सार					 :
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					स्त्री०=घुड़साल।				 | 
			
			
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					घुड़साल					 :
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					स्त्री० [हिं० घोड़ा+सं० शाला] वह जगह या बाड़ा जहाँ घोड़े बाँधे जाते हैं। अस्तबल।				 | 
			
			
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					घुड़िया					 :
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					स्त्री० [हिं० घोड़ी का अल्पा०] बहुत छोटी घोड़ी। विशेष दे० ‘घोडिआ’।				 | 
			
			
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					घुड़ुकना					 :
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					स०=घुड़कना।				 | 
			
			
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