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गूँगा  : वि० [फा० गुँग=जो बोल न सके] [वि० स्त्री० गूँगी] १. (व्यक्ति) जिसकी वाक्-शक्ति ऐसी विकृति हो कि कुछ भी बोल न सके। जैसे–गूँगा लड़का। २. जिसमें मनुष्य की तरह शब्दों का उच्चारण करने की शक्ति न हो। जैसे–पशु-पक्षी गूँगे होते हैं। पुं० वह जो बोल न सकता हो। पद–गूँगे का गुड़ =ऐसी स्थिति जिसमें उसी प्रकार अनुभूति का वर्णन न हो सके, जिस प्रकार गूँगा व्यक्ति गुड़ खाने पर भी उसकी मिठास का वर्णन नही कर सकता। गूँगे का सपना=गूँगे का गुड़। गूँगी पहेली वह पहेली जो मुँह से न कही जाए, इशारों से कही जाय। मुहावरा–गूँगे का गुड़ खानाकोई ऐसा अनुभव करना जिसका वर्णन न हो सकता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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