शब्द का अर्थ
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गुन :
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पुं० [सं० गुण] १. गुण। २. ऐसा कार्य जिसे पूरा करने के लिए विसिष्ट गुण या योग्यता अपेक्षित ह। उदाहरण-काहू नर सों यह गुन होई।–जायसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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गुनगुना :
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वि० [अनु०] (व्यक्ति) जो नाक से बोलता हो। वि०=कुनकुना (कदुष्ण)। |
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गुनधुन :
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स्त्री० [हिं० गुनना+धुन] सोच-विचार। चिंतन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गुनना :
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अ० [सं० गुणन] १. गुणों आदि से युक्त होना। जैसे–पढ़ना और गुनना। २. मन में सोच विचार करना। कुछ समझने के लिए सोचना। ३. किसी को महत्व का समझना। जैसे–वह तुम्हें गुनता है। स० १. कथन या वर्णन करना। २. गुणा करना। पुं० गुनी या विचारी हुई बात।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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गुनमंत :
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वि०=गुणवंत। |
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गुनरखा :
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पुं०=गोनरखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गुनवंत :
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वि०=गुणवान्। |
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गुनह :
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पुं० [फा०] ‘गुनाह’ का संक्षिप्त रूप। जैसे–गुनहगार। |
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गुनहगार :
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वि० [फा०] १. जिसने कोई गुनाह किया हो। पापी। अपराधी। ३. दोषी। |
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गुनहगारी :
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स्त्री० [फा०] गुनहगार होने की अवस्था या भाव। |
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गुनही :
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पुं०=गुनहगार। वि० दे० ‘गुनहगार’। |
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गुना-प्रत्य० :
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[सं० गुणन] १. एक प्रत्यय जो संख्यावाचक शब्दों के अंत में यह सूचित करने के लिए लगाया जाता है कि कोई परिमाण, मात्रा या संख्या निरंतर कई बार जोड़ने पर कितनी होती है। जैसे–चौगुना, दसगुना आदि। पुं० गणित में गुणन करने की क्रिया। गुणन। पुं,. [?] टिकिया के आकार का एक प्रकार का मीठा पकवान। |
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गुनावन :
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पुं० [सं० गुणन] १. मन में किसी बात पर सोच विचार करने की क्रिया या भाव। उदाहरण–लखत भूप यह साज मनहिं मन करत गुनावन।–रत्ना०। २. आपस में होने वाला परामर्श। सलाह-मशविरा। |
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गुनाह :
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पुं० [फा०] धर्म, विधि शासन आदि का आज्ञा या मान्यता के विरुद्ध किया हुआ ऐसा आचरण जिसके कारण उसके कर्त्ता को दण्ड का भागी बनना पड़ता है। अपराध। पाप। |
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गुनाहगार :
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पुं०=गुनहगार। |
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गुनाही :
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वि० [फा० गुनाह] अपराधी या दोषी। गुनहगार। |
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गुनिया :
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पुं० [हिं० गुणी] वह जिसमें कोई विशिष्ट गुण हो। गुणवान। गुणी। स्त्री० [हिं० कोण] १. वह उपकरण या औजार जिससे बढ़ई, राज आदि कोने की सीध नापते हैं। २. दे० ‘कोनिया’। पुं० [हिं० गून] नाव की गून खींचनेवाला मल्लाह। गुनरखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गुनियाला :
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वि० [हिं० गुण] गुणोंवाला। गुणी। उदाहरण–प्रीति अड़ी है तुज्झ से बहु गुनियाला कंत।–कबीर। |
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गुनी :
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वि०, पुं०=गुणी। वि० [सं० गुण] जिसमें डोरी या रस्सी लगी हो। उदाहरण–मोहन गुनी सुनी न ऐसी प्रीति।–घनानंद। |
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गुनीला :
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वि० [हिं० गुणी] १. जिसमें गुण हो। गुणवान। २. गुणन या गुणा करने वाला। ३. अपने गुणों के द्वारा लाभ पहुँचाने या हित करनेवाला। |
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गुनोबर :
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पुं० [फा० सनोबर] देवदार या सनोबर की जाति का पेड़। |
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गुन्ना :
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पुं० [अ० गुन्नः] अनुस्वार का वह आधा उच्चारण जो हिंदी में अर्द्ध चंद्र से सूचित होता है। जैसे–रवाँ में नून (अनुस्वाद) गुन्ना है। |
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गुन्नी :
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स्त्री० [सं० गुण, हिं० गून] रस्सी को बटकर बनाया हुआ एक प्रकार का कोड़ा जिससे व्रज में होली के अवसर पर लोग एक दूसरे को मारते हैं। |
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