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गलना  : अ० [सं० गलन] १. ताप की अधिकता के कारण किसी घन पदार्थ का तरल होना। जैसे–बरफ, मक्खन या सोना गलना। २. किसी तरल पदार्थ में डाले हुए कड़े या घन पदार्थ का कोमल होकर उसमें घुल कर मिल जाना। जैसे–दूध या पानी में चीनी गलना। ३. आग पर रखकर उबाले या पकाये जाने पर किसी कड़ी वस्तु का इतना नरम हो जाना कि धीरे से उँगली से दबाने पर वह टूट-फूट या दब जाए। जैसे–तरकारी या दाल गलना। मुहावरा–(किसी की) दाल गलना=कौशल, प्रयत्न आदि में सफलता होना। (प्रायः नहिक रूप में प्रयुक्त) जैसे–यहाँ आपकी दाल नहीं गलेगी, अर्थात् प्रयत्न सफल नही होता। ४. उक्त के आधार पर किसी वस्तु का इतना नरम, (क्षीण या जीर्ण) हो जाना कि छूने भर से फट जाए। जैसे–रखे-रखे कपड़ा या कागज गलना। ५. शरीर का क्रमशः क्षीण होते होते बहुत ही दुर्बल और निस्सार होना। जैसे–चिन्ता करते-करते उनका शरीर आधा रह गया है। ६. रोग आदि के कारण शरीर के किसी अंग का धीरे-धीरे कटकर नष्ट होना। जैसे-कोढ़ से पैर या हाथ की उँगलियाँ गलना। ७. बहुत अधिक सरदी के कारण ऐसा जान पड़ना कि पैर या हाथ की उँगलियाँ तरल होकर गिर या बह जायेगी। जैसे–पूस-माघ में तो यहाँ हाथ-पैर गलने लगते हैं। ८. इच्छा न होने पर व्यर्थ व्यय होना। जैसे–सौ रुपये गल गये। ९. निष्फल अथवा व्यर्थ हो जाना। जैसे–जूए में दाँव या चौपड़ के खेल में मोहरा गलना। १॰. गड्ढ़े आदि में बनाई या रखी हुई चीज का धीरे-धीरे धँसना या बैठना। जैसे–कूँए की बनावट में जमवट गलना। ११. (किसी नक्षत्र का) वर्षा करना। पानी बरसना। जैसे–गली रेवती जल को नासै।–भड्डरी। १२. समय से पहले स्राव या पतन होना। जैसे–गर्भ गलना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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