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खेप  : स्त्री० [सं० क्षेप] १. बहुत सी चीजें या आदमी किसी प्रकार हर बार ढो या लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की क्रिया या भाव। लदान। जैसे–जब चलते चलते रस्ते में यह खेप तेरी ढल जायेगी।–नजीर। २. उतनी चीजें या उतने आदमी जितने एक बार उक्त प्रकार की ढुलाई में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाये जाएँ। लदान। जैसे– चार खेप में सब चीजें वहाँ पहुँच जायेगी। मुहावरा–खेप भरना=कहीं ले जाने के लिए माल इकट्ठा करके लादना। खेप हारन=(क) उक्त प्रकार से ढोया जाने वाला माल गँवाना या नष्ट करना। (ख) एक बार किया हुआ परिश्रम व्यर्थ जाना। स्त्री० [सं० आक्षेप] १. ऐब। दोष। २. खोटा सिक्का।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
खेपड़ी  : स्त्री० [सं० क्षेपणी] नाव खेने का डाँड़। (डिं०)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
खेपना  : स० [हिं० खेप] १. कष्टपूर्वक दिन बिताना। २. बरदाश्त करना। सहना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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