शब्द का अर्थ
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कूर :
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वि० [सं० कूर] [भाव० कूरता, कूरपन] १. जिसमें दया न हो। निर्दय। २. दुष्ट। ३. मूर्ख। ४. पापी। ५. डरावना। भयंकर। पुं० १. दे० ‘कूड़ा’। २. दे० ‘कूढ़’। |
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समानार्थी शब्द-
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कूरता :
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स्त्री० [हिं० कूर+ता (प्रत्यय)] १. कूरता। २. कठोरता। |
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कूरा :
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पुं० [सं० कूट] [स्त्री०कूरी] १. ढेर। राशि। उदाहरण—जारि भए√भसम कौ कूरा।—कबीर। २. अंश। भाग। पुं० दे० ‘कूड़ा’। |
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कूरी :
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स्त्री० [हिं० कूरा का स्त्री अल्पा० रूप] १. छोटा ढेर। २. छोटा टीला। |
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कूर्च :
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पुं० [सं०√कुर (शब्द)+चट्, दीर्घ] १. कूँची। २. मोर का पंख। ३. नाक का ऊपरी भाग। ४. सिर। |
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कूर्चक :
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पुं० [सं० कूर्च+कन्] १. कूँची विशेषतः चित्रकार की। २. दाँत साफ करने की कूँची। |
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कूर्चिका :
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स्त्री० [सं० कूर्चक+टाप्, इत्व] १. कूँची। २. कुंजी। ३. कली। ४. सूई। |
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कूर्दन :
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पुं० [सं०√कूर्द (खेलना)+ल्युट-अन] खेलना कूदना। |
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कूर्पर :
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पुं० [सं०√कुर् +क्विप्, कुर्√पृ (पूर्ण करना)+अच्, दीर्घ] १. कोहनी। २. घुटना। |
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कूर्म :
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पुं० [सं० कु-ऊर्मि, ब० स० पृषो० सिद्धि] १. कच्छप। कछुआ। २. भगवान विष्णु का वह अवतार जिसमें उन्होंने कछुए का रूप धारण किया था। विष्णु का कूर्मावतार। ३. वह वायु जिसके बल से पलके खुलती और बन्द होती हैं। |
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कूर्म-क्षेत्र :
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पुं० [मध्य० स०] एक तीर्थ स्थान। |
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कूर्म-पृष्ठ :
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पुं० [ष० त०] कछुए की पीठ। |
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कूर्मासन :
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पुं० [सं० कूर्म-आसन, मध्य० स०] हठयोग में एक प्रकार का आसन, जिसमें शरीर की आकृति कछुए की-सी बना ली जाती है। |
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कूर्मी :
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स्त्री० [सं० कूर्म+ङीष्] कछुई। |
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