शब्द का अर्थ
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कुटी :
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स्त्री० [सं०√कुट्+इन्,ङीष्] १. एकान्त या सूने स्थान में मिट्टी का बना और घास-फूस में छाया हुआ छोटा घर। झोपड़ी। पर्णशाला। २. ऋषियों,साधुओं आदि के रहने का उक्त प्रकार का स्थान। ३. घुमाव। मोड़। ४. फूलों का गुच्छा। ५. एक प्रकार की मदिरा या शराब। ६. मुरा नामक गन्धद्रव्य। ७. सफेद कुड़ा या कुटज। |
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समानार्थी शब्द-
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कुटी-उद्योग :
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पुं० [मध्य० स०] ऐसे छोटे-मोटे काम जिन्हें लोग घर में ही करके जीविका निर्वाह के लिए धन कमा सकते है। (काटेज इन्डस्ट्री)। जैसे—खिलौने, दरी, साबुन आदि बनाने का काम। |
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कुटीका :
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स्त्री० दे० ‘कुटी’। |
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कुटीचक :
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पुं० [सं० कुटी√चक्र (तृप्ति)+अच्] संन्यासी, जो जनेऊ और शिखा का त्याग नहीं करते। प्रायः ये लोग अपने घर का त्याग नहीं करते बल्कि उसी में अपना आश्रम बनाकर रहते हैं। |
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कुटीचर :
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वि० [सं० कुचर] कुटिल प्रकृति या स्वभाववाला। दुष्ट और धोखेबाज। पुं० चालबाज और दुष्ट व्यक्ति। |
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कुटी-प्रवेश :
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पुं० [स० त०] कल्प-चिकित्सा के लिए विशेष रूप से बनाई हुई कुटी में रोगी का जाकर रहना। (आयुर्वेद)। |
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कुटीर :
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पुं० [सं० कुटी+र] दे० ‘कुटी’। |
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कुटीरक :
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पुं० [सं० कुटीर+कन्] कुटी। |
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कुटीरोद्योग :
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पुं० [सं० कुटीर-उद्योग, मध्य० स०] दे० ‘कुटी उद्योग’। |
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कुटी-शिल्प :
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पुं० [मध्य० स०] दे० ‘कुटीउद्योग’। |
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