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कुछ  : सर्व० [सं० किंचित, पा० कोचि, प्रा० किंची, उ० किची, बँ० किछु, ब्रज, कछु] एक सर्वनाम जिसमें रूप-विकार नहीं होता और जिसका प्रयोग प्रसंग के अनुसार विशेषण, क्रिया-विशेषण और अव्यय के रूप में भी नीचे लिखे अर्थों में होता है- सर्वनाम रूप में-१. कोई अज्ञात अनिश्चित या अनिर्दिष्ट चीज (या बात)। जैसे—(क) तुम भी उन्हें कुछ दे आना। (ख) वहाँ जाने पर कुछ तो हो ही जायगा। (ग) उनसे से भी कुछ पूछ देखो। २. मान, संख्या आदि के विचार से, अनिश्चित या अनिर्दिष्ट अंश या भाग। जैसे—(क) कुछ तुम ले लो कुछ हमें दे दो। (ख) उस पुस्तक में कुछ बातें तुम्हारे काम की भी निकल आवेंगी। ३. किसी काम, चीज या बात का ऐसा सामूहिक रूप जो सब प्रकार से संतोषजनक हो। जैसे—(क) परमात्मा ने हमें सब कुछ दिया है। (ख) लड़कीवालों ने दहेज में कुछ नहीं दिया। ४. कोई अनुचित, कड़ी या खटकनेवाली बात। जैसे—यहाँ किसी की मजाल है तो तुम्हें कुछ कहे। ५. कोई हानिकारक चीज या बात। जैसे—(क) वह कुछ (किसी प्रकार का विष) खाकर सो रहा। (ख) लड़के को अंधेरे में मत भेजा करो, कहीं कुछ (भूत-प्रेत आदि की बाधा या कोई घातक बात) हो न जाय। (ग) इसे तो किसी ने कुछ (जादू-टोना आदि) कर दिया। विशेषण रूप में-१. अनिश्चित या अनिर्दिष्ट (पदार्थ परिमाण संख्या आदि) जैसे—(क) कुछ लोग आ चुके हैं। (ख) कुछ पुस्तकें हमारे लिए भी छोड़ देना। (ग) कभी किसी की कुछ भलाई भी किया करो। २. गिनती परिमाण आदि में अधिक नहीं। अल्प। कम। थोड़ा या थोड़े। जैसे—(क) कुछ बन्दर तो वहाँ भी पाये जाते हैं। (ख) इनमें चाँदी-सोने के भी कुछ बरतन हैं। (ग) इनके लिए भी कुछ जगह निकालनी पड़ेगी। ३. प्रतिष्ठा,महत्त्व,योग्यता आदि के विचार से किसी गिनती में आने योग्य। साधारण की तुलना में अच्छा या आगे बढ़ा हुआ। जैसे—(क) यदि शिक्षा आदि की ठीक व्यवस्था हो तो यह लड़का भी थोड़े दिनों में कुछ हो जायगा। (ख) यदि उन्होंने इस काम के सौ रुपए दिये तो कुछ नहीं किया। क्रिया-विशेषण रूप में-१. अज्ञात, अनिश्चित या अनिर्दिष्ट परिमाण, मात्रा या रूप में।—जैसे—(क) अभी तुम्हारा क्रोध कुछ शांत हुआ या नहीं। (ख) किसी ने तुम्हें कुछ जरूर बहकाया है। २. अल्प या सामान्य रूप में। जैसे—(क) यह कुरता तुम्हें कुछ छोटा होगा। (ख) तुम्हारी बात हमें कुछ ठीक नहीं जँचती। अव्यय रूप में-१. नियत, नियमित या वास्तविक रूप में। जैसे—यह कुछ तमाशा तो है नहीं २. किसी दशा प्रकार या रूप में। जैसे—हम लोग कुछ लड़ने तो बैठे नही हैं। ३. उपेक्षा, तिरस्कार, विस्मय आदि के प्रसंग में किसी प्रकार मान या रूप में। जैसे—वहाँ का हाल कुछ न पूछो। पद—कुछ एक=गिनती या संख्या में कम या थोड़े। जैसे—वहाँ भी कुछ एक लोग चले गये थे। कुछ ऐसा=साधारण से भिन्न और विलक्षण। जैसे—उन्होंने कुछ ऐसा ढोंग रचा कि सब लोग घबरा गये। कुछ का कुछ=जैसा था, उससे बिलकुल भिन्न या विपरीत। जैसे—(क) भूकंप के एक ही धक्के ने वहाँ कुछ का कुछ कर दिया। (ख) पाठशाला का प्रबंध लेते ही उन्होंने उसे कुछ का कुछ कर दिखाया। (ग तुमने हमारी बात का मतलब कुछ का कुछ समझ लिया। कुछ-कुछ=मात्रा या मान में,थोड़ा। जैसे—अब रोग कुछ-कुछ घट रहा है। कुछ न कुछ=ऐसा जिसका ठीक तरह से अवधारण या निश्चय न हो सके। जैसे—वहाँ भी तुम्हें कुछ न कुछ मिल ही जायगा। मुहावरा—(अपने आपको) कुछ लगाना या समझना=अभिमानपूर्वक यह समझना कि हम भी गण्य या मान्य हैं अथवा कुछ कर सकते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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