शब्द का अर्थ
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कुर्बर :
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विं० [सं०√कर्ब् (गर्व करना)+ उरच्] जिस पर या जिसमें कई तरह के रंग एक साथ हों। चित-कबरा। रंग-बिरंगा। पुं० १. सोना। २. धतूरा। ३. पाप। ४. राक्षस। ५. जल। पानी। ६. कचूर। ७. जड़हन धान। |
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कुँअर :
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पुं० [सं० कुमार] [स्त्री० कुँअरि] १. पुत्र। बेटा। जैसे—राजकुँअर। २. बालक। लड़का। ३. राजा का लड़का। राजकुमार। जैसे—कुँअर श्यामसिंह। |
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कुँअर-बिलास :
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पुं० [हिं०+सं०] एक प्रकार का बढ़िया धान और उसका चावल। |
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कुँअरि :
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स्त्री० १. कुमारी। २. राजकुमारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँअरेटा :
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पुं० [हिं० कुँअर+एटा] [स्त्री० कुँअरेटी] बड़े आदमी का बच्चा या लड़का। कुमार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँआ :
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पुं० =कूआँ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँआर :
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पुं० =क्वार (महीना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँआर-मग :
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पुं० [हिं० कुमार+हिं० मग=मार्ग] आकाश-गंगा। (राज)। उदाहरण—मांग समाहि कुँआर मग।—प्रिथीराज। विशेष—राजस्थान में यह प्रवाद है कि आकाश में उक्त स्थान पर कुँआरे लड़के नमक ढोते हैं, इसी से यह नाम पड़ा है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँआरा :
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वि० [सं० कुमार] [स्त्री० कुँआरी] १. (युवक) जिसका अभी विवाह न हुआ हो। अ-विवाहित। २. (व्यक्ति) जिसने विवाह न किया हो। पुं० =क्वार (महीना)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँइयाँ :
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स्त्री० [हिं० कूआँ] छोटा कुँआ। |
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कुँई :
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स्त्री० [सं० कुमुदिनी, प्रा० कुडई] कुमुदिनी। स्त्री०=छोटा कूँआ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुंकुम :
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पुं० [सं०√कुक् (आदान)+उमक्, मुम् (नि०)] १. केसर। २. रोली। ३. कुमकुमा। |
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कुंकुमा :
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पुं० १. =कुमकुमा। २. =कुंकुम। |
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कुँकुहँ :
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पुं० =कंकुम।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँकुह-बानी :
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वि० [हिं० कुकुम+बानी=वर्णी] कुंकुम के रंग का। केसरिया। उदाहरण—भै जेंवनार फिरा खँडवानी। फिरा अरगजा कुंकुहबानी।—जायसी। |
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कुंचन :
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पुं० [सं०√कुंच (सिकुड़ना)+ल्युट्-अन] १. संकुचित होने या सिकुड़ने की क्रिया या भाव। २. बालों आदि का घुँघराला होना। ३. आँख का एक रोग, जिसमें पलकें कुछ सिकुड़ने लगती हैं। |
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कुंचिका :
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स्त्री० [सं०√कुंच (+ण्वुल्-अक, टाप्, इत्व] १. घुँघची। गुंजा। २. कुंजी। ताली। ३. बाँस की छोटी टहनी। ४. एक प्रकार की मछली। |
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कुंचित :
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वि० [सं०√कुंच+क्त] १. सिकुड़ा हुआ। २. टेढ़ा या घूमा हुआ। ३. घुँघराला। |
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कुंची :
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स्त्री० [सं० कुंचिका] ताला खोलने की ताली। कुंजी। चाभी। |
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कुंज :
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पुं० [सं० कु√जन् (उत्पन्न होना)+ड, पृषो० सिद्धि] १. झाड़ियों, लताओं आदि से घिरा हुआ, प्रायः गोलाकार स्थान। २. हाथी का दाँत। पुं० [फा० मिं० सं० कुंज] १. कोना। २. छाजन में कोने पर पड़नेवाली लकड़ी। कोनिया। ३. चादरों, दुशालों आदि के चारों कोनों पर बनाये जानेवाले बूटे। कुंजक पुं० [सं० कंचुकी] कंचुकी। डेवढ़ी पर का वह चोबदार जो अंतःपुर में आता जाता हो। ख्वाजःसरा। पुं० =कंचुकी (अंतःपुर का पहरेदार)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुंज-कुटीर :
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पुं० [उपमि० स०] किसी कुंज के अंदर रहने का स्थान। लता-गृह। |
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कुंज-गली :
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स्त्री० [सं० +हिं] १. बगीचों आदि में वह पगडंडी या तंग रास्ता जो झाड़ियों, लताओं आदि से छाया हुआ हो। २. बहुत पतली या सँकरी गली, जिसमें जल्दी धूप न आती हो। |
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कुंजड़ :
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पुं० =कुंदुर (गोंद)। |
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कुँजड़ा :
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पुं० [सं० कुंज+हिं० ड़ा(प्रत्य)] [स्त्री० कुँजड़ी, कुँजड़िन] १. तरकारी, फल आदि होने या बेचनेवाले लोगों की एक जाति। पद—कुँजड़े-कसाई=छोटी जातियों के लोग। २. तरकारी, फल साग आदि बेचनेवाला दूकानदार। पद—कुँजड़े का गल्ला=किसी पदार्थ, विशेषतः धन, आदि की ऐसी राशि, जिसके आय-व्यय या लेन-देन का कोई हिसाब न रहता हो। |
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कुँजड़ियाना :
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पुं० [हिं० कुँजड़ा] वह स्थान जहाँ कुँजड़े बैठकर तरकारी बेचते हैं। उदाहरण—मींटिंग क्या होगी, कुँजड़ियाना बन जायगा।—वृंदावनलाल वर्मा। |
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कुंज-पक्षी (क्षिन्) :
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पुं० [मध्य० स०] नीलकंठ की तरह का एक प्रकार का पक्षी,जिसका घोंसला प्रायः कुंज के रूप में होता है। यह प्रायः झुंड बनाकर गाता-नाचता है। |
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कुंजर :
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पुं० [सं० कुंज+र] [स्त्री० कुंजरा, कुंजरी] १. हाथी। २. आठ दिग्गजों के कारण आठ की संख्या का वाचक शब्द। ३. हस्त नक्षत्र। ४. कच। बाल। ५. पीपल। ६. एक प्राचीन देश। ७. अंजना के पिता और हनुमान के नाना का नाम। ८. छप्पय के छंद का इक्कीसवाँ भेद जिसमें ५॰ गुरु और ५२ लघु अर्थात् कुल १॰२ वर्ण और १५२ मात्राएँ अथवा ५॰ गुरु और ४ ८ लघु अर्थात् कुल ९८ वर्ण और १४८ मात्राएँ होती है। ९. पाँच मात्राओं वाले छंदों के प्रस्तार में पहला प्रस्तार। वि० उत्तम। श्रेष्ठ। जैसे—नर-कुंजर। |
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कुंजर-कण :
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स्त्री० [मध्य० स०] गज-पीपल (ओषधि)। |
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कुंजर-दरी :
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स्त्री० [ब० स०] मलय के पास के एक प्रदेश का पुराना नाम। |
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कुंजर-पिपली :
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स्त्री० [मध्य० स०] गज-पीपल (ओषधि)। |
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कुंजरा :
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स्त्री० [सं० कुंजर+टाप्] हथिनी। |
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कुंजराराति :
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पुं० [सं० कुंजर-अराति, ष० त०] हाथी का शत्रु, सिंह। शेर। |
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कुंजरारोह :
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पुं० [सं० कुंजर-आरोह, ष० त०] महावत। हाथीवान। |
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कुंजराशन :
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पुं० [सं० कुंजर-अशन, ष० त०] हाथी का भोज्य या खाद्य पीपल। |
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कुंजरी :
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स्त्री० [सं० कुंजर+ङीष्] हथिनी। |
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कुंजल :
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पुं० [सं० कु-जल, ब० स० पृषो० सिद्धि] काँजी। पुं० =कुंजर (हाथी)। |
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कुंज-बिहारी (रिन्) :
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पुं० [सं० कुंज-वि√हृ (हरना)+णिनि, उप० स०] १. कुंजों में बिहार करनेवाला पुरुष। २. श्रीकृष्ण का एक नाम। |
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कुंजा :
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पुं० [अ० कूजाः] मिट्टी का पुरवा। चुक्कड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुंजिका :
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स्त्री० [सं०√कुंज् (गति)+ण्वुल्-अक, टाप्, इत्व] काला जीरा। |
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कुंजित :
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वि०=कूजित।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुंजी :
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स्त्री० [सं० कुंञ्चिका, गु० कुंची, पं० सि० कुंजी, कुझ, बँ० कूजी, उ० कुंझी] १. वह उपकरण जिससे ताला खोला तथा बन्द किया जाता है। ताली। २. ताली जैसी कोई वस्तु। जैसे—घड़ी या मोटर की कुंजी। ३. ऐसा सरल साधन, जिसे कोई उद्देश्य सहज में सिद्ध होता हो। मुहावरा—(किसी की) कुंजी हाथ में होना=परिचालित करने का सूत्र हाथ में होना। ४. ऐसी सहायक पुस्तक जिसमें किसी दूसरी कठिन पुस्तक के अर्थ भाव आदि स्पष्ट किये गये हों। (की उक्त सभी अर्थों के लिए)। |
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कुंठ :
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वि० [सं०√कुंठ (मंद होना)+अच्]=कुंठित। |
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कुंठक :
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वि० [सं०√कुंठ+ण्वुल्-अक] कुंठित बुद्धिवाला अर्थात् मूर्ख। |
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कुंठा :
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स्त्री० [सं०√कुंठ+णिच्+अङ्-टाप्] १. मनुष्य की अतृप्त तथा सुप्त भावना। २. ऐसी लज्जा या संकोच जो आगे बढ़ने में बाधक हो। |
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कुंठित :
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वि० [सं०√कुंठ+क्त] १. (वस्तु) जिसकी धार या नोक तीक्ष्ण या तेज हो। कुंद। २. (व्यक्ति) जिसकी बुद्धि मंद हो। जड़। ३. अवरुद्ध। गतिहीन। जैसे—कुंठित विचार-धारा। ४. (व्यक्ति) जो लज्जा, संकोच आदि के कारण आगे बढ़ने से रुक रहा हो। |
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कुंड :
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पुं० [सं०√कुंण (शब्द करना)+ड] १. छोटा तालाब। २. नदियों आदि में थोड़े-से घेरे में अधिक गहरा स्थान। ३. किसी स्थान पर किसी प्रकार का कुछ गहरा स्थान। उदाहरण—गढ़ तर सुरँग कुंड अवगाहा।—जायसी। ४. चौंड़े मुँह का गहरा बर्तन। कुंडा ५. प्राचीन काल का अनाज नापने का एक बड़ा पात्र। ६. होम करने के लिए खोदा हुआ गड्ढा या मिट्टी का बना हुआ वैसा पात्र। हवन कुंड। ७. बटलोई। ८. कमंडलु। ९. सधवा स्त्री का ऐसा पुत्र जो उसके जार या परपुरुष से उत्पन्न हुआ हो। जारज पुत्र। १॰. शिव का एक नाम। ११. धृतराष्ट के एक पुत्र का नाम। १२. खप्पर। १३. ज्योतिष में चंद्र-मंडल का एक प्रकार का रूप। पुं० [?] १. पूला गट्टा। २. लोहे की टोप। ३. हौंदा। |
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कुंड-कीट :
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पुं० [उपमि० स०] १. ब्राह्मणी का जारज पुत्र। २. वह जिसने बिना विवाह किये किसी स्त्री को घर में रख लिया हो। ३. चार्वाक-दर्शन का अनुयायी या नास्तिक। |
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कुंड-कील :
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पुं० [उपमि० स०] नीच आदमी। |
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कुंडकोदर :
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वि० [सं० कुंडक, कुंड+कन्, कुंडक-उदर, ब० स०] घड़े जैसे पेटवाला। पुं० शिव का एक गण। |
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कुंड-गोलक :
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पुं० [ब० स०] काँजी। |
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कुंडपायिनामयन :
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पुं० [सं० कुंडपायिनाम्-अयन, अलुक्० स०] एक यज्ञ जिसके लिए यजमान २१ रात्रि तक दीक्षित रहता था। |
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कुंडपायी (यिन्) :
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पुं० [सं० कुंड√पा (पीना)+णिनि] १. ऐसा यजमान जो सोलह ऋत्विजों से सोमसत्र कराकर कुंडाकार चमसे से सोमपान कर चुका हो। २. उक्त के वंशज या शिष्य। |
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कुँड-पुजी :
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स्त्री० [हिं० कुँड़+पुजी=पूजना]=कुँड-मुदनी। |
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कुँड-मुँदनी :
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स्त्री० [हिं० मुँड+मुदनी-मूँदना] रबी की बोआई समाप्त होने पर किसानों का मनाया जानेवाला उत्सव। |
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कुँड़रा :
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पुं० [सं० कुंडल] [स्त्री० अल्पा, कुँडरी] १. किसी वस्तु की सुरक्षा के लिए उसके चारों ओर मंडलाकार खींची हुई रेखा। २. उक्त प्रकार की वह रेखा जिसके अंदर खड़े होकर लोग शपथ करते हैं। ३. कई फेरे देकर मंडलाकार लपेटी हुई रस्सी या कपड़ा जिसे सिर पर रखकर बोझ या घड़ा आदि उठाते हैं। इँडुवा। गेंडुरी। ४. कुंडा। घड़ा। |
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कुंडल :
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पुं० [सं० कुंड√ला (आदान)+क] १. कान में पहना जानेवाला मंडलाकार प्रसिद्ध गहना, जो बड़े बाले की तरह होता है। २. चंद्रमा या सूर्य के चारों ओर दिखाई देनेवाले बादलों का गोल घेरा। ३. लकड़ी, लोहे आदि का कोई गोल घेरा या बंद, जो किसी चीज के चारों ओर अथवा मुँह पर सुरक्षा आदि के लिए लगाया जाता है। बंद। जैसे—कोल्हू, चरसे आदि का कुंडल। ४. किसी प्रकार की मंडलाकार आकृति या रचना। जैसे—साँप का कुंडल बनाकर बैठना। ५. दो मात्राओं और एक अक्षर का मात्रिक गण। (छंदशास्त्र) जैसे—मा। ६. एक सम मात्रिक छंद, जिसके प्रत्येक चरण में २२ मात्राएँ होती है और अंत में २ गुरु होते हैं। |
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कुंडलपुर :
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पुं० =कुंडिनपुर। |
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कुंडलाकार :
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वि० [सं० कुंडल-आकार, ब० स०] जिसका आकार कुंडल या गेंडुरी की तरह गोल हो। मंडलाकार। वर्त्तुल। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंडलिका :
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स्त्री० [सं० कुंडली+तन्-टाप्, ह्रस्व] १. गोल रेखा। २. जलेवी नाम की मिठाई। ३. कुंडलिया छंद। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंडलित :
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वि० [सं० कुंडल+इतच्] जो कुंडल की तरह गोलाकार रूप में स्थित हो। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंडलिनी :
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स्त्री० [सं० कुंडल+इनि-ङीष्] १. हठ योग में नाभि के पास मूलाधार के नीचे प्रायः सुषुप्त अवस्था में रहनेवाली वह शक्ति जिसे साधना में जाग्रत किया जाता है और जिसके ब्रह्मरन्ध्र में पहुँच जाने पर योगी मुक्त और अमर जीवन प्राप्त करता है। २. इमरती या जलेबी नाम की मिठाई। ३. गुडुच। गिलोय। ४. सोमलता। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंडलिया :
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स्त्री० [सं० कुंडलिका] छः चरणों का एक मात्रिक छंद,जिसके पहले दो चरणों का एक मात्रिक छंद, पहले दो चरण दोहे के और अन्तिम चार रोले के होते हैं। इसके पहले चरण का पहला शब्द छठे चरण के अंत में भी होता है। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंडली :
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स्त्री० [सं० कुंडल+ङीष्] १. किसी प्रकार की गोल आकृति, रचना या रेखा। जैसे—साँप का कुंडली मारकर बैठना। २. फलित ज्योतिष में वह गोलाकार चक्र अथवा चौकोर लिखावट जिसमें यह दिखलाया जाता है कि किसी के जन्म के समय कौन-कौन से ग्रह किस-किस लग्न या स्थान में थे जिसके आधार पर उसके सारे जीवन के शुभाशुभ फल बतलाये जाते हैं। जन्म-पत्री का मुख्य और मूल भाग। ३. कुंडलिनी। ४. गेंडुरी। ५. डफली नाम का बाजा। ६. इमरती या जलेबी नाम की मिठाई। ७. गुडुच। गिलोय। ८. केवाँच। कौंछ। ९. कचनार। पुं० [सं० कुंडल+इनि] १. साँप। २. वरुण। ३. विष्णु। ४. मोर। ५. चितकबरा हिरन। ६. कुंडल। वि० १. जो कानों में कुंडल पहने हो। २. किसी प्रकार का कुंडल धारण करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंडा :
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पुं० [सं० कुंड] १. चौड़े मुंह का मिट्टी का बना हुआ बड़ा मटका। २. उक्त में भरकर देवी-देवताओं को चढ़ाया जानेवाला प्रसाद अथवा संबंधियों के यहाँ भेजी जानेवाली मिठाई। पुं० [सं० कुंडल] १. किवाड़ की चौखट में लगा हुआ कोढ़ा, जिसमें साँकल फँसाते हैं। २. कुश्ती का एक दाँव,जिसमें दाँव लगानेवाले के शरीर की मुद्रा कुंडलाकार हो जाती है। पुं० [?] जहाज के अगले मस्तूल का चौथा खंड। तिरकट। ताबर डोल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडाला :
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पुं० [सं० कुंड] मिट्टी की वह कूँड़ी या पथरी जिसमें कलाबत्तू बनानेवाले टिकुरियों पर कलाबत्तू लपेटकर रखते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडाशी (शिन्) :
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पुं० [सं० कुंड√अश् (भोजन करना)+णिनि] १. कुंडा। (जारज पुत्र) का अन्न खानेवाला व्यक्ति। २. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडि :
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स्त्री० [सं० कुंड] लोहे का टोप। कूँड़। उदाहरण—संड-मुंड सब टूटहिं सिउँ बकतर औ कुंडि।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडिक :
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पुं० [सं० ] धृतराष्ट्र का एक पुत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडिका :
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स्त्री० [सं० कुंड+कन्-टाप्, इत्व] १. पत्थर का बना हुआ बर्तन। कूँड़ी। पथरी। २. छोटा कुंड या तालाब। ३. कमंडल। ४. ताँबे का बना हुआ हवन पात्र। ५. एक उपनिषद् का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडिनपुर :
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पुं० [सं० कुंडिन√कुंड+इनच्, कुंडिन-पुर, ष० त०] विदर्भ (बरार) का एक प्राचीन नगर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुँडिया :
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स्त्री० [सं० कुंड] शोरे के कारखाने का चौखूँटा गड्ढा। स्त्री०=कूँड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडी :
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स्त्री० [सं०√कुंड+इन्-ङीष्] १. बड़े कटोरे के आकार का एक प्रकार का पात्र। कूँड़ी। २. दरवाजा बंद करने की जंजीर। मुहावरा—कुंडी खटखटाना=कुंडी से खट-खट शब्द करते हुए दरवाजा खोलने का संकेत करना। ३. जंजीर या श्रंखला की कोई कड़ी। ४. किसी प्रकार की मंडलाकार रचना। छल्ला। जैसे—घड़ी या लंगर में लगी हुई कुंडी। ५. मुर्रा, भैंस, जिसके सींग छल्ले की तरह घूमे हुए होते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडू :
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पुं० [देश] काले रंग का एक पक्षी, जिसका कंठ और मुँह सफेद तथा पूँछ पीली होती हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंडोदर :
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पुं० [सं० कुंड-उदर, ब० स०] शिव का एक गण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुँढ़वा :
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पुं० [सं० कुंड़] मिट्टी की कुल्हिया। पुरवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंत :
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पुं० [सं० कु√उन्दं( भिगोना)+त (बा०)] १. भाला। बरछा। २. कौडिल्ला। गवेधुक (पक्षी) ३. जूँ नाम का कीड़ा। ४. किसी प्रकार का उग्र, क्रूर या प्रचंड मनोभाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंतल :
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पुं० [सं० कुंत√ला (लेना)+क] १. सिर के बाल। केश। २. जौ। ३. हल। ४. प्याला। ५. एक प्रकार का सुंगधित द्रव्य। ६. सूत्रधार। ७. संगीत में संपूर्ण जाति का एक राग। ८. कोंकण और बरार के बीच का एक प्राचीन जनपद। ९. राम की सेना का एक बंदर। १॰. आज-कल के हैदराबाद के दक्षिण-पश्चिमी प्रदेश का पुराना नाम। वि० [स्त्री० कुंतला] जिसके सिर के बाल बड़े-बड़े हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंतल-वर्द्धन :
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पुं० [सं० वर्धन√वृध् (बढना)+णिच्+ल्यु-अन, कुंतल-वर्धन, ष० त०] भृंगराज या भंगरैया नामक वनस्पति, जिसका तेल सिर के बाल बढ़ाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंतलवाही (हिन्) :
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पुं० [सं० कुंतल√वह् (ढोना)+णिनि] [स्त्री० कुंतलवाहिनी] वह जो राजाओं की सवारी के साथ भाला या बरछा लेकर चलता हो। भाला-बरदार। बरछैत। उदाहरण—कुंतलवाही निपुन साहसी सजग सजीले।—रत्ना०। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंतला :
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स्त्री० [सं० कुंतल+अच्-टाप्] लंबे केशोंवाली स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंतलिका :
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स्त्री० [सं० कुंतल+ठन्-इक,टाप्,इत्व] १. एक प्रकार की वनस्पति। २. मक्खन आदि काटने या निकालने का चम्मच। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंतली :
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स्त्री० [सं० कुंत=भाला] १. चाकू। २. मधुमक्खी की एक जाति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंता :
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=कुंती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंति :
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पुं० [सं०√कम् (चाहना)+झिच्-अन्त्, नि० सिद्धि] मध्य प्रदेश का एक प्राचीन प्रदेश जो अवंति के पास था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंति-भोज :
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पुं० [मध्य० स०] महाभारतकालीन एक राजा जिन्होंने पृथा को गोद लिया था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंती :
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स्त्री० [सं० कुंति+ङीष्] कुरु-नरेश पाण्डु की ज्येष्ठ पत्नी, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन और कर्ण की माता। स्त्री० [सं० कुंत] १. बरछी। भाला। २. =कुंतली। स्त्री० [देश] मध्य बंगाल, बरमा आदि देशों में होनेवाला कुंडा जाति का एक पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंथु :
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पुं० [सं०√कुंथ् (श्लेष)+उन्] वर्तमान अवसर्पिणी का सत्रहवाँ अर्हत। (जैन)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंद :
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पुं० [सं० कुं√दा (देना)+क, नि० मुम्] १. जूही की तरह का एक पौधा। २. इस पौधे के सफेद फूल जिनसे दाँतों की उपमा दी जाती है। ३. कनेर का पेड़। ४. कमल। ५. विष्णु। ६. कुंदुर नामक गोंद। ७. एक प्राचीन पर्वत। ८. नौ निधियों में से एक। ९. उक्त के आधार पर नौ की संख्या। १॰. खराद। उदाहरण—कुंदै फेरि जानि गिउ काढ़ी।—जायसी। वि० [फा०] १. गुठला। कुंठित। २. मंद। |
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कुंद-जेहन :
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वि० [फा० कुन्द+अ० जहन] जिसकी बुद्धि मंद या मोटी हो। पुं० मंद बुद्धिवाला व्यक्ति। |
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कुंदण :
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पुं० =कुंदन। |
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कुंदणपुरि :
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पुं० =कुंडिनपुर। |
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कुंदन :
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पुं० [सं० कुंद=श्वेतपुष्प] १. बहुत अच्छे और साफ सोने का पतला पत्तर, जो प्रायः अवलेह के रूप में होता है और जिसकी सहायता से गहनों में नगीने जड़े जाते हैं। २. शुद्ध और स्वच्छ सोना। वि० उक्त प्रकार के सोने की तरह शुद्ध, सुंदर और स्वच्छ। |
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कुंदनपुर :
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पुं० =कुंडिनपुर। |
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कुंदन-साज :
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पुं० [हिं० कुंदन+फा० साज] १. सोने से कुंदन का पत्तर बनानेवाला। २. कुंदन की सहायता से नगीने जड़नेवाला। ज़ड़िया। |
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कुँदना :
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पुं० [सं० कंडु] बाजरे के पौधों में लगनेवाला एक रोग, जिसमें बाल में दाने न पड़कर राख-सी उड़ने लगती है। कंडो। |
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कुंदम :
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पुं० [सं० कुंद√मा (मान)+क] बिल्ली का बिल्ला। |
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कुंदर :
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पुं० [सं० कु√दृ (विदारण)+अच्, नि० मुम्] १. ओषधि के काम आनेवाली एक प्रकार की घास। कंडूर। खरच्छद। (निघंटु) २. विष्णु का एक नाम। |
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कुँदरू :
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पुं० १. एक प्रकार की लता जिसमें परवल की तरह फल लगते हैं। २. उक्त लता के फल, जिसकी तरकारी बनती है। बिम्बा-फल। |
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कुंदला :
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पुं० [?] एक तरह का तंबू या खेमा। |
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कुंदा :
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पुं० [सं० स्कंद से फा० कुंदः] १. वृक्षों आदि के तने या मोटी डालों का बड़ा और मोटा टुकड़ा, जो अभी चीरकर काम में लाने के योग्य न बनाया गया हो। २. उक्त प्रकार की लकड़ियों का वह जोड़ा जिसमें अपराधियों के पैर फँसाकर उन्हें एक जगह बैठा रखते थे। विशेष—इसी प्रकार के दंड को पैर में ‘काठ मारना’ कहते थे। ३. उक्त प्रकार की लकड़ी का वह मोंगरा जिससे कपड़ों पर कुंदी की जाती है। ४. उक्त प्रकार की लकड़ी का वह टुकड़ा जिस पर रखकर बढ़ई लकड़ियां गढ़ते हैं। ठीहा। निहठा। ५. लकड़ी का वह टुकड़ा जो बंदूक के पिछले भाग में लगा रहता है। ६. औजारों आदि का दस्ता या मूठ। बेंट। ७. लकड़ी का वह टुकड़ा जिससे खोआ बनाने के समय दूध चलाया और कड़ाही के तल से रगड़ा जाता है। ८. उक्त के आधार पर दूध से तैयार किया हुआ खोआ। मावा। मुहावरा—कुंदा कसना या भनना=दूध गाढ़ा करके उससे खोआ तैयार करना। ९. कुश्ती लड़ने के समय प्रतिपक्षी को नीचे गिराकर उसकी गरदन पर कलई और कोहनी के बीचवाले भाग से (जिसका रूप बहुत कुछ लकड़ी के कुंदे के समान होता है) रगड़ते हुए किया जानेवाला आघात। घस्सा। घिस्सा। रद्दा। विशेष—यह भी कसरत या व्यायाम का एक अंग है। इससे एक ओर तो ऊपर वाले पहलवान के हाथ मजबूत होते हैं, और दूसरी ओर नीचे गिरे हुए पहलवान की गरदन मोटी होती है। पुं० [सं० स्कंध=कंधा] १. गरदन के दोनों ओर के भाग या विस्तार। कंधा। मुहावरा—(पक्षियों का) कुंदे जोड़, तौल या बाँधकर नीचे उतरना=दोनों ओर के पर समेटकर नीचे आना या उतरना। २. गुड्डी या पतंग के वे दोनों कोने जो कमानी की सहायता से सीधे रखे जाते हैं। ३. पायजामें की कली, जिससे दोनों पाँवों के ऊपरी भाग बीच से जुड़े रहते हैं। पुं०=कुंडा। |
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कुंदी :
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स्त्री० [हिं० कुंदा] १. धुले या रंगे हुए कपड़ों को लकड़ी की मोगरी से कूटने की वह क्रिया जो उनकी तह जमाने और उनमें चमक तथा चिकनाई लाने के लिए की जाती है। २. उक्त के आधार पर किसी को अच्छी तरह मारने-पीटने की क्रिया। |
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कुंदीगर :
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पुं० [हिं० कुंदी+फा० गर] कपड़ों आदि की कुंदी करनेवाला कारीगर। |
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कुंदु :
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पुं० [सं० कुं√दृ (विदारण)+डु, बा० मुम्] चूहा। |
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कुंदुर :
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पुं० [सं० कुं√दृ+उरन्, मुम्] एक प्रकार का सुगंधित पीला गोंद जो सलई के पेड़ों से निकलता है। शल्लकीं-निर्यास। |
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कुँदेरना :
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स० [सं० कुदलन्=खोदना] खुरचना या छीलना। कुरेरना। |
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कुँदेरा :
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पुं० =कुनेरा। |
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कुँबी :
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स्त्री० [सं० कुंभी] १. कायफल। २. जल-कुंभी। २. एक प्रकार का बड़ा वृक्ष। |
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कुंभ :
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पुं० [सं० कुं√उभ् (पूर्ण करना)+अच्] १. धातु मिट्टी आदि का बना हुआ पानी रखने का घड़ा। कलश। विशेष—हमारे यहाँ जल से भरा हुआ घड़ा बहुत शुभ माना जाता है और इसी दृष्टि से इसका महत्त्व है। २. प्राचीन भारत में अन्न आदि की एक तौल या माप अर्थात् एक घड़ा भर अन्न। ३. मंदिरों आदि के शिखर पर होनेवाली (धातु, पत्थर आदि की) वह रचना, जिसकी आकृति औंधें घड़े के समान होती है। ४. हाथी के मस्तक के दोनों ओर के भाग,जो देखने में घड़े के आकार के होते हैं। ५. ज्योतिष में दसवी राशि, जिसमें कुछ तारों के योग से कुंभ या घड़े की-सी आकृति बनती हैं। ६. प्रति बारहवें वर्ष लगने वाला एक प्रसिद्ध पर्व जो सूर्य और बृहस्पति के कुछ विशेष राशियों में प्रविष्ट होने के समय पड़ता है और जिसमें उज्जैन, नासिक, प्रयाग, हरद्वार आदि तीर्थों में स्नान करने वाले यात्रियों की बहुत भीड़ होती है। ७. प्राणायाम की कुंभक नामक क्रिया, जिसमें हृदय को कुंभ मानकर बाहर की हवा खींचकर उसमें भरी जाती है। ८. वर्तमान अवसरर्पिणी के उन्नीसवें अर्हत् का नाम। (जैन)। ९. गौतम बुद्ध के पूर्व जन्म का एक नाम। १॰. प्रहलाद के पुत्र, दैत्य का नाम। ११. कुम्भकर्ण के एक पुत्र का नाम। १२. संगीत में एक राग जो श्रीराग का आठवाँ पुत्र कहा गया है। १३. वह व्यक्ति जिसने वेश्या रखी हो। १४. एक प्रकार का जंगली वृक्ष, जिसे कुंभी भी कहते हैं। १५. रहस्य संप्रदाय में हृदय रूपी कमल। |
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कुंभक :
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पुं० [सं० कुंभ√कै (भासना)+क] प्राणायाम की वह क्रिया जिसमें साँस से हवा खींचकर उसे अन्दर रोक रखते हैं। |
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कुंभ-कर्ण :
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पुं० [ब० स०] एक प्रसिद्ध राक्षस, जो रावण का भाई और बहुत बड़ा बलवान था। |
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कुंभकार :
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पुं० [सं० कुंभ√कृ (करना)+अण्] १. मिट्टी का बर्तन तैयार करनेवाली एक जाति। कुम्हार। २. कुक्कुट। मुरगा। |
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कुंभकारिका :
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स्त्री० [सं० कुंभकारी+कन्-टाप्, ह्रस्व]=कुंभकारी। |
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कुंभकारी :
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स्त्री० [सं० कुंभकार+ङीष्] १. कुंभकार की स्त्री। २. मैनसिल। ३. कुलथी। |
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कुंभज :
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वि० [सं० कुंभ√जन् (उत्पन्न होना)+ड] जिसकी उत्पत्ति घड़े से हुई हो। पुं० १. महर्षि अगस्त्य। २. वसिष्ठ। ३. द्रोणाचार्य (तीनों की उत्पत्ति घड़े से कही गई है।) |
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कुंभ-जात :
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वि० पुं० [पं० त०]=कुंभज। |
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कुँभड़ा :
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पुं० =कुम्हाड़ा। |
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कुंभ-दासी :
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स्त्री० [ष० त०] १. कुटनी। दूती। २. जल-कुंभी। |
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कुंभनदास :
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पुं० ब्रजभाषा के अष्टछाप के कवियों में एक प्रसिद्ध कवि तथा महात्मा। |
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कुंभ-मंडूक :
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पुं० [स० त०] संसार के विस्तार से अपरिचित व्यक्ति। वह जो अपने ही परिमित क्षेत्र को सारा जगत् समझता हो। |
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कुंभ-योनि :
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पुं० [ब० स०] १. दे० ‘कुंभज’। २. गूमा नामक वृक्ष। |
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कुंभरी :
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स्त्री० [सं० कुंभ√रा (देना)+क, ङीष्] दुर्गा का एक रूप। |
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कुंभरेता (तस्) :
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पुं० [ब० स०] अग्नि का रूप। |
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कुंभला :
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स्त्री० [सं० कुंभ√ला (आदाम)+क, टाप्] गोरखमुंडी। |
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कुंभ-संधि :
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पुं० [स० त०] हाथी के मस्तक के बीचोबीच का गड्ढा, जिसके दोनों ओर के भाग कुंभ की तरह उठे हुए होते हैं। |
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कुंभ-संभव :
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पुं० [ब० स०] दे० ‘कुंभज’। |
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कुंभ-हनु :
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पुं० [ब० स०] रावण के दल का एक राक्षस। |
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कुंभाड़ :
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पुं० [सं० कुंभ-अंड, ब० स०] बाणासुर का एक मंत्री। |
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कुंभा :
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स्त्री० [सं० कुंभ+टाप्] वेश्या। रंडी। |
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कुंभार :
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पुं० =कुम्हार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुंभिक :
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पुं० [सं० कुंभ+ठन्-इक] नपुंसक पुरुष। |
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कुंभिका :
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स्त्री० [सं० कुंभिक+टाप्] १. जलाशयों में होनेवाली एक प्रकार की घास या वनस्पति, जो बहुत अधिक बढ़ती तथा फैलती है। जलकुंभी। २. वेश्या। ३. कायफल। ४. आँखों की कोरों पर होनेवाली एक प्रकार की छोटी-छोटी फुसियाँ। |
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कुंभिनी :
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स्त्री० [सं० कुंभ+इनि, ङीष्] १. पृथ्वी। २. जमालगोटा। |
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कुंभिल :
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पुं० [सं० √कुंभ्+लच् (शक०)] १. वह चोर जो किसी के घर में सेंध लगाकर घुसता हो। २. अवयस्क माता अथवा कच्चे गर्भ से उत्पन्न होनेवाला बच्चा। ३. साला। ४. एक प्रकार की मछली। |
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कुँभिलाना :
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अ०=कुम्हलाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुंभी (भिन् :
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वि० [सं० कुंभ+इनि] १. जिसके पास कुंभ अर्थात् मिट्टी का घड़ा हो। २. जिसका आकार-प्रकार कुंभ की तरह हो। पुं० १. हाथी। २. घड़ियाल। ३. गुग्गुल का पेड़ और उसका गोंद। ४. एक प्रकार का जहरीला कीड़ा। ५. बच्चों को कष्ट देनेवाला एक राक्षस। ६. एक प्रकार की मछली। ७. कुंभीपाक नामक नरक। स्त्री० [सं० कुंभ+ङीष्] १. छोटा कुंभ या घड़ा। २. कायफल गनियारी, दंती, पांडर, सलई, आदि के पेड़ जिनकी लकड़ी इमारती कामों में आती है और जिनसे सजावट की चीजें बनाई जाती है। ३. तरबूज। ४. बंसी। |
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कुंभीक :
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पुं० [सं० कुंभी√कै+क] १. एक तरह के नपुंसक। २. जलकुंभी। ३. पुन्नाग का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंभीका :
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स्त्री० [सं० कुंभीक+टाप्] १. जलकुंभी (दे०) २. आँख में होनेवाली एक प्रकार की फुंसी। बिलनी। ३. लिंग में होनेवाला एक रोग। |
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कुंभी-धान्य (क) :
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पुं० [सं० ब० स० कप्] वह व्यक्ति जिसने कुंभ में इतना अन्न भरकर रख लिया हो जो उसके तथा उसके परिवार के छः दिन के उपभोग के लिए यथेष्ट हो। |
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कुंभीनस :
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पुं० [सं० ब० स०] [स्त्री० कुंभीनसा] १. कुंभ-जैसी नासिकावाला एक प्रकार का जहरीला साँप। २. एक प्रकार का जहरीला कीड़ा। ३. रावण। |
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कुंभीनसि :
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पुं० [सं० ब० स०, इत्व (पृषो)] शंबर असुर का एक नाम। |
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कुंभीनसी :
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स्त्री० [सं० कुंभीनस+ङीष्] सुमाली राक्षस की एक कन्या, जो कैतुमती से उत्पन्न हुई थी और जिसके गर्भ से लवण नामक असुर उत्पन्न हुआ था। |
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कुंभीपाक :
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पुं० [सं० ] १. पुराणानुसार एक प्रसिद्ध नरक, जिसमें पशु पक्षियों को मारनेवाले लोग खौलते हुए तेल के कड़ाहों में डाले जाते हैं। २. एक प्रकार का सन्निपात रोग, जिसमें नाक से काला खून जाता है। |
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कुंभी-पुर :
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पुं० [सं० कुंभीपुर] पांडवों की राजधानी हस्तिनापुर का एक नाम। |
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कुंभीमुख :
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पुं० [सं० ब० स०] एक तरह का घाव या फोड़ा (चरक)। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंभीर :
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पुं० [सं० कुंभित्√ईर् (गति)+अण्] १. घड़ियाल की जाति का नक्र या नाक नामक एक जल-जन्तु। २. एक प्रकार का छोटा कीड़ा। |
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कुंभीरक :
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पुं० [सं० कुंभीर+कन्] चोर। |
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कुंभीरासन :
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पुं० [सं० कुंभीर-आसन, उपमि० स०] योग में एक आसन जिसमें जमीन पर चित लेटकर और पैर दूसरे पैर पर चढ़ाकर दोनों हाथ माथे पर रखते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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कुंभील :
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पुं० [सं० कुंभ√ईर्+अण्, र-ल] १. =कुंभीर। २. =कुंभीरक। |
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कुँभेर :
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स्त्री० [सं० कुंभ√ईर्+अच्] गँभारि का पेड़। |
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कुंभोदर :
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पुं० [सं० कुंभ-उदर, ब० स०] शिव का एक गण जिसने सिंह बनकर नन्दिनी पर आक्रमण किया था (रघुवंश)। |
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कुंभोलूक :
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पुं० [सं० कुंभ-उलूक, उपमि० स०] एक प्रकार का बहुत बड़ा उल्लू। |
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कुँवर :
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पुं० [सं० कुमार, प्रा० कुँवार, गु० कुमर, कुवर, कुवेर, सि० कुयारो, पं० राज० कँवर, सि० कुमरूबा, मरा० कुँवर] [स्त्री० कुँवरि] १. पुत्र। बेटा। लड़का। २. राजा का लड़का। राजकुमार। ३. कुँवारा लड़का। (क्व०) |
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समानार्थी शब्द-
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कुंवर-बेरास :
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पुं० =कुँवर-विलास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुंवर-विलास :
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पुं० [हिं० कुँवर+सं० विलास] एक प्रकार का धान और उसका चावल। |
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कुँवरी :
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स्त्री०=कुँवरि। |
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कुँवरेटा :
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पुं० [कुँवर+एटा (प्रत्य)] १. छोटा कुँवर या लड़का। २. छोटा राजकुमार। |
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कुँवाँ :
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पुं० =कूआँ। |
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कुँवारा :
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वि० [सं० कुमार, प्रा० कुँवार] [स्त्री० कुँवारी] जिसका अभी तक विवाह न हुआ हो। अ-विवाहित। कुँआरा। |
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समानार्थी शब्द-
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कुँह-कुँह :
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पुं० =कुंकुम।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कु :
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उप० [सं०√कु (शब्द)+डु] एक उपसर्ग जो संज्ञाओं के पहले लगकर निम्नलिखित अर्थ देता हैः-(क) कुत्सित और निंदनीय। जैसे—कुकर्म। (ख) अनुचित और बुरा। जैसे—कुपात्र,कुमार्ग। (ग) निकृष्ट। जैसे—कु-धातु, कु-धान्य। (घ) अशुभ या अनिष्ट कारक। जैसे—कुदिन, कुबेला। स्त्री० पृथ्वी। |
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कुआ :
|
पुं० =कूआँ। |
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कुआड़ी :
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स्त्री० [सं० कु+आड़ी] संगीत की एक लय, जिसमें बराबर और ड्योढ़ी (आड़ी) दोनों लय होती है। |
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कुआर :
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पुं० दे० ‘आश्विन’। |
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कुआरा :
|
वि० [हिं० कुआर] [स्त्री० कुआरी] १. कुआर अर्थात् आश्विन मास से संबंध रखने या उसमें होनेवाला। जैसे—कुआरी धान। वि०=कुँवारा। वि० कुँवारी अवस्था में किया जानेवाला (वैवाहिक संबंध)। |
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कुआरी :
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स्त्री० [हिं० कुआर] आश्विन मास में पकनेवाला एक प्रकार का मोटा धान। |
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कुइंदर :
|
पुं० [हिं० कुआँ+दर=जगह] कुएँ के दबने या बैठने से बना हुआ गड्ढा। |
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कुइक :
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सर्व० [हिं० कोई+एक] कोई। उदाहरण—परिभख्खन, रख्खिसन, कु क चीसन मुख सासन।—चंदबरदाई। |
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समानार्थी शब्द-
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कुइयाँ :
|
स्त्री० [हिं० कूआँ] छोटा कूआँ। |
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कुइला :
|
पुं० =कोयला। |
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समानार्थी शब्द-
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कुई :
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स्त्री०=कुमुदिनी। स्त्री०=कुइयाँ। |
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कुकटी :
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स्त्री० [सं० कुक्कुटी=सेमल] एक प्रकार की कपास,जिसकी रूई कुछ ललाई लिये होती है। |
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कुकठ :
|
वि० [सं० कु-कथ्य] न कहने योग्य। अनुचित। उदाहरण—कुकठ कुमाण साँ जिण कहई रास।—नरपति नाल्ह। |
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कुकड़ना :
|
अ० [हिं० कुक्कुट-मुर्गा] मुरगे की तरह दब या सिकुड़ जाना। |
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कुकड़-बेल :
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स्त्री० [सं० कु-कटुवल्ली] बंदाल। (वनस्पति)। |
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कुकड़ी :
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स्त्री० [सं० कुक्कुटी] १. तकुए पर से उतारा हुआ कच्चे सूत का लच्छा। अंटी। २. मदार का डोडा या फल। स्त्री० [सं० कुक्कुट] मुरगी। स्त्री०=खुखड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कुकडूँकूँ :
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स्त्री० [अनु०] मुरगा का बोल। |
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कुकनुस :
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पुं० [यू० कुकनू से फा०] एक कल्पित पक्षी, जिसके संबंध में यह कहा जाता है कि इसके गाने पर इसके मुँह से आग निकलती है जो स्वयं इसे ही भस्म कर देती है। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकनू :
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पुं० =कुकनुस। |
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कुकभ :
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पुं० [सं० कुक√भा+क] एक प्रकार की शराब। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकर :
|
पुं० [अं०] एक प्रकार का बडा पात्र, जिसमें कई डब्बें होते हैं और जिसमें भाप की सहायता से दाल, चावल, तराकरी आदि चीजें अलग-अलग रखकर एक ही समय में पकाई जाती हैं। पुं० [स्त्री० कुकरी]=कुकुर (कुत्ता)। पुं० [स्त्री० कुकरी]=कुक्कुट (मुरगा) जैसे—जल कुकरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कुकरी :
|
स्त्री० [?] १. घाव के ऊपर जमनेवाली झिल्ली। झिल्ली। २. दर्द। पीड़ा। स्त्री०=खुखड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कुकरौंदा :
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पुं० =कुकरौंधा। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकरौंधा :
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पुं० [सं० कुक्कुरद्रु] एक छोटा जंगली पौधा, जिसकी पत्तियां पालक की पत्तियों-जैसी पर कुछ बड़ी होती है और जो दवा के काम आता है। कुकुरमुत्ता। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकर्म (न्) :
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पुं० [सं० कुगति० स०] कुत्सित और निदनीयं कर्म। बुरा कर्म। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकर्मी :
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वि० [सं० कुकर्म+इनि] कुकर्म, अर्थात् कुत्सित तथा निंदनीय काम करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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कु-कास :
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पुं० [सं० कुगति० स०] लगातार होनेवाली एक प्रकार की खाँसी, जिसके साथ कुछ विलक्षण ‘खों-खों या हू-हू’ शब्द भी होता है। (हूपिंग कफ)। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकुंदर :
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पुं० [सं० कुंकु√दृ (विदारण)+णिच्+अच् (पृषो)] १. कुकरौंधा। २. चूतड़ पर का गड्ढा। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकुत्संग :
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पुं० [सं० कुंकुद√सद् (बैठना)+अच्, मुम् (पृषो)] गौतम बुद्ध से पहले होनेवाले एक बुद्ध। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकुद :
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पुं० [सं० कुकु√दा+क] विधिवत् तथा उपयुक्त साज-सज्जा से युक्त कर कन्यादान करनेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकुभ :
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पुं० [सं० कु√स्कुंभ (रोकना)+क(पृषो)] १. संगीत में एक राग। २. एक मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में ३॰ मात्राएँ होती हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकुभा :
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स्त्री० [सं० कुकुभ+टाप्] कुकुभ राग की एक रागिनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुर :
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पुं० [सं० ] १. यदुवंशियों की एक शाखा। २. राजपूताने के अन्तर्गत एक प्राचीन प्रदेश, जहां उक्त जाति के क्षत्रिय रहते थे। ३. कुत्ता। ४. गठिवन या शालपर्णी नामक वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुर-आलू :
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पुं० [हिं० कुकुर+आलू] एक प्रकार की जंगली लता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुर-खाँसी :
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स्त्री० [हिं० कुक्कुर+खाँसी] एक प्रकार की सूखी खाँसी,जिसमें रोगी प्रायः खों-खों शब्द करता रहता है और जिसमें कफ नहीं निकलता। ढाँसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुर-खाँसी :
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स्त्री०=कुकुरखाँसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुरदंत :
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पुं० [सं० कुक्कुर-दंत] [वि० कुकुरदंता] वह दाँत जो किसी-किसी को किसी दाँत के नीचे आड़ा निकल आता है और जिससे होंठ कुछ उठ जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुरदंता :
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वि० [हि० कुकुरदंत] जिसके मुँह में कुकुरदंत हो। कुकुर दंतवाला (व्यक्ति) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुरभंगरा :
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पुं० [हिं० कुक्कुर+भँगरा] काली भँगरैया। (वनस्पति)। |
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समानार्थी शब्द-
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कुकुर-माछी :
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स्त्री० [हिं० कुक्कर+माछी] एक तरह की मक्खी जो घोड़ों, बैलों आदि के शरीर में लगकर उन्हें काटती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुरमुत्ता :
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पुं० [हिं० कुक्कुर+मूतना] एक छोटा जंगली पौधा, जिसमें से दुर्गन्ध निकलती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुरा :
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स्त्री०=कुकड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुरौंछी :
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स्त्री०=कुकुर-माछी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकुही :
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स्त्री० [देश] बाजरे की फसल में होनेवाला एक रोग, जिसके कारण उसकी बालें काली पड़ जाती हैं।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकूण :
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पुं० [सं० कुकूणक] आँखों का एक रोग, जिसमें पलकों के नीचे दाने निकल आते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकूल :
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पुं० [सं० ष० त० या कुगति० स०] १. भूसी की आग। २. भूसी। ३. चिनगारी। ४. कवच। ५. वह गड्ढा जिसमें लकड़ी के छोट- छोटे टुकड़े भरे हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुकूलाग्नि :
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पुं० [सं० कुकूल-अग्नि, ष० त०] भूसी की आग। तुषानल। |
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समानार्थी शब्द-
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कुक्कुट :
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पुं० [सं० √कुक्+क्विप्, कुक्√कुट्+क] १. मुरगा। २. जटाधारी या मुर्गकेश नाम का पौधा। ३. आग की चिनगारी। ४. आग की लपट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुटक :
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पुं० [सं० कुक्कुट+कन्] १. कुकुही। बनमुर्गी। २. प्राचीन भारत की एक वर्ण संकर जाति, जो शूद्र पिता और निषादी माता से उत्पन्न कही गई हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुट-नाड़ी :
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स्त्री० [सं० मध्य० स०] टेढ़ी नली के आकार का एक यंत्र जिससे एक पात्र या स्थान का पानी, दूसरे पात्र या स्थान में पहुँचाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुट-पाद :
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पुं० [सं० ब० स०] एक प्राचीन पर्वत, जिसे अब कुर्किहार कहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुट-मस्तक :
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पुं० [सं० ब० स०] चव्य या चाव नामक ओषधि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुट-व्रत :
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पुं० [सं० मध्य० स०] भादों शुक्ल सप्तमी को होनेवाला एक व्रत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुट-शिख- :
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पुं० [सं० ब० स०] कुसुम का वृक्ष या फूल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुटांडक :
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पुं० [सं० कुक्कुट-अंड, ष० त०+कन्] एक प्रकार का मीठा कसैला धान। दुद्धी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुटाभ :
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पुं० [सं० कुक्कुट-आभा, ब० स०] एक प्रकार का साँप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुटासन :
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पुं० [सं० कुक्कुट-आसन, उपमि० स०] योग का एक आसन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुटी :
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स्त्री० [सं० कुक्कुटी+ङीष्] १. मुरगी। २. पाखंड। ३. एक प्रकार का कीड़ा। ४. सेमल का वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्कुर :
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पुं० [सं० कुक्√कुर् (शब्दे)+क] [स्त्री० कुक्कुरी] १. कुत्ता। २. एक प्राचीन ऋषि का नाम। यदुंवंशी क्षत्रियों की कुकुर नाम की शाखा। वि०=गाँठदार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्ष :
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पुं० [सं०√कुष् (निष्कर्ष)+क्स] १. पेट। उदर। २. पेट के बगल का भाग। कोख। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्षिंभरि :
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वि० [सं० कुक्षि√भृ (भरना)+खि,मुम्] १. पेटू। २. स्वार्थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्षि :
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स्त्री० [सं०√कुष्+क्सि०] १. पेट। उदर। २. पेट के बगल का भाग। कोख। ३. किसी चीज के बीचवाला भाग। ४. पेट से उत्पन्न होने वाले वंशज। औलाद। संतान। ५. गुफा। ६. राजा बलि का एक नाम। ७. इक्ष्वाकु के एक पुत्र का नाम। ८. राजा प्रियव्रत का एक नाम। ९. एक प्राचीन देश का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुक्षि-भेद :
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पुं० [सं० ब० स०] ग्रहण के सात प्रकार के मोक्षों में से एक। (बृहत्संहिता)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुखेत :
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पुं० [सं० कुक्षेत्र, पा० कुखेत] दूषित या बुरा स्थान। खराब जगह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुख्यात :
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वि० [सं० कुगति० स०] बदनाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुख्याति :
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स्त्री० [सं० कुगति० स०] बदनामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुगति :
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स्त्री० [सं० कुगति० स०] बुरी दशा। दुर्दशा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-गहनि :
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स्त्री० [सं० कु-ग्रहण] अनुचित आग्रह। व्यर्थ का और बुरा हठ। जिद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुगात :
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पुं० [हिं० कु+गात=शरीर] निन्दनीय या बुरा शरीर। स्त्री०=कुगति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुघड :
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वि० [हिं० कु+घड़ना=गढ़ना] १. जिसकी गढ़न या घड़न अच्छी न हो। २. कुरूप। भद्दी। जैसे—जनता के सांस्कृतिक जीवन को कुघड़, अस्वस्थ और पतनोन्मुख बनाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुघा :
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स्त्री० [हिं० घा०=और] ओर। तरफ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुघाइ :
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पुं० =कुघाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुघाट :
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पुं० [हिं० कु+घाट] १. बुरा घाट या स्थान। २. बुरी दशा। उदाहरण—साँप अंगूठा मेल ज्यूँ, कदियक हुसी कुघाट-बाँकीदास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुघात :
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पुं० [हिं० कु+घात] १. अनुचित या बुरा अवसर। २. अनुचित रूप से चली हुई चाल या किया हुआ घात। ३. बहुत ही विकट अवसर पर या विकट रूप में किया जानेवाला घात या प्रहार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुघाय :
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पुं० =कुघाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुघाव :
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पुं० [हिं० कु+घाव०] बहुत बुरी तरह से या मर्मस्थल पर आघात करके उत्पन्न किया हुआ घाव या जखम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचंदन :
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पुं० [सं० कुगति० स०] १. लाल चंदन। देवीचंदन। २. पटरंग। बक्कम (वृक्ष) ३. कुंकुम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुच :
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पुं० [सं०√कुच् (संपर्क)+क] स्त्रियों की छाती। स्तन। वि० १. सिकुड़ा हुआ। संकुचित। २. कंजूस। कृपण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचकार :
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पुं० [देश०] उत्तरी कश्मीर में होनेवाली एक प्रकार की भेड़। कुलंजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचकुचवा :
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पुं० [अनु०] उल्लू।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचकुचा :
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वि० [अनु०] [स्त्री० कुचकुची०] खाने में गीला कच्चा लगनेवाला। पिचपिचा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचकुचाना :
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स० [अनु० कुचकुच] किसी को नुकीली चीज से बार-बार कोंचना। बार-बार कोई चीज चुभाना या धँसाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुच-कोर :
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पुं० दे० ‘कुचाग्र’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचक्र :
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पुं० [सं० कुगति० स०] किसी व्यक्ति अथवा कई व्यक्तियों द्वारा बनाई हुई ऐसी योजना जिसका उद्देश्य किसी की छलपूर्ण या रहस्यमय ढंग से हानि करना होता है। (प्लाट)। क्रि० प्र०-रचना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचकी (किन्) :
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पुं० [सं० कुचक+इनि] कुचक्र रचनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचना :
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अ० [सं० कुचन०] सिकुड़ ना। अ० [हिं० कोचना०] किसी वस्तु का कोचा जाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुच-मर्दन :
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पुं० [सं० ष० त०] १. स्त्रियों के कुच या स्तन हाथ में लेकर दबाना। २. एक प्रकार का सन या पटुआ, जो रस्से बनाने के काम आता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचर :
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वि० [सं० कु√चर् (गति)+अच्०] १. बुरी जगहों पर घूमने-वाला। २. व्यर्थ इधर-उधर मारा-मारा फिरनेवाला। आवारा। ३. दुष्कर्म, निंदा आदि करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचरा :
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पुं० =कूचा (झाड़ू)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचलना :
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स० [हिं० कुँचना०] १. किसी वस्तु या पदार्थ को इस प्रकार पीसना, मलना या रगड़ना कि वह बिलकुल महीन हो जाय। जैसे—आलू कुचलना। २. बार-बार आघात करते हुए इस प्रकार दबाना कि सब अंग बेकार हो जाय। जैसे—साँप का सिर कुचलना। ३. पैरों से उक्त प्रकार की क्रिया करना। रौंदना। ४. इस प्रकार अच्छी तरह दबाना या दमन करना कि जल्दी सिर न उठा सके। जैसे—प्रजा या शत्रु को कुचलना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचला :
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पुं० [सं० कच्चीर] १. एक प्रकार का वृक्ष जिसके बीज विषैले होते हैं। २. इस वृक्ष के बीज जो दवा के काम आते हैं। पुं० [हिं० कुचलना] कुचलकर बनाई हुई भोज्य वस्तु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचली :
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स्त्री० [हिं० कुचलना] दाढ़ों और राजदंत के बीच के दाँत जिनसे खाने की चीजें कुचली जाती है। सीता दाँत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंचाशुक :
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पुं० [सं० कुच-अंशुक, ष० त०] कुचों पर बाँधने की पट्टी। ‘स्तनोत्तरीय’ (देखे) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचाग्र :
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पुं० [सं० कुच-अग्र, ष० त०] स्त्रियों के स्तन का अगला भाग। ढेंपी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचाल :
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स्त्री० [सं० कु+हिं० चाल] १. बुरा और निंदनीय आचरण या चाल-चलन। २. दुष्टता। पाजीपन। ३. दुष्तापूर्वक चली हुई चाल या की हुई युक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचालक :
|
वि० [सं० कुगति० स०] १. बुरा चालक। २. (वस्तु) जिसमें विद्युत ताप आदि का परिचालन उचित रूप में या सुगमता से न हो सके। कुसंवाहक। (बैड कंडक्टर)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचालिया :
|
पुं० =कुचाली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचाली :
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पुं० [हिं० कुचाल] १. व्यक्ति, जिसका आचरण या चाल-चलन बुरा हो। कुमार्गा। २. दुष्ट-या पाजी व्यक्ति। वि० कुचाल करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचाह :
|
स्त्री० [सं० कु+हिं० चाह] कुत्सित अभिलाषा। बुरी इच्छा या चाह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचिक :
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पुं० [सं०√कुच्+इकन्] ईशान कोण का एक प्राचीन देश। (संभवतः आधुनिक कूचबिहार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचित :
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वि० [सं०√कुच्+कितच्] १. सिकुड़ा हुआ। संकुचित। २. अल्प। थोड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचिया :
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स्त्री० [सं० कुचिका वा गु्ञिका] छोटी टिकिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचिया-दाँत :
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पुं० =कुचली (दाँत)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचिलना :
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पुं० =कुचलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचिला :
|
पुं० =कुचला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुची :
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स्त्री०=कुंजी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचील :
|
वि० [सं० कुचेल०] १. मैले कपड़ोंवाला। २. मैला-कुचैला। मलिन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचीला :
|
वि०=कुचैला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचेल :
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पुं० [सं० कुगति० स०] १. गंदा और मैला कपड़ा। २. पाठा या पाढ़ा नामक वृक्ष। वि० १. जो मैले-कुचैले कपड़े पहने हो। २. गंदा। मलिन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचेष्ट :
|
वि० [सं० ब० स०] १. बुरी चेष्टावाला। २. कुरूप। भद्दा। ३. बुरी चेष्टा या प्रयत्न करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचेष्टा :
|
स्त्री० [सं० कुगति० स०] [वि० कुचेष्ट] १. बुरी चेष्टा या प्रयत्न। २. बुरी चेष्टा या आकृति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचैन :
|
स्त्री० [सं० कु+हिं० चैन] १. चैन या सुख का अभाव। विकलता। बेचैनी। २. कष्ट। दुःख। वि० बेचैन। विकल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचैला :
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वि० [सं० कुचेल] [स्त्री० कुचैली] १. जो गंदे और मैले कपड़े पहने हो। २. गंदा। मलिन। मैला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुचोद्य :
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पुं० [सं० कुगति० स०] व्यर्थ की कहा-सुनी या तर्क-वितर्क। वितड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुच्चा :
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पुं० [स्त्री० अल्पा० कुच्ची]=कुप्पा। (चमड़े आदि का)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुच्छित :
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वि०=कुत्सित।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुछ :
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सर्व० [सं० किंचित, पा० कोचि, प्रा० किंची, उ० किची, बँ० किछु, ब्रज, कछु] एक सर्वनाम जिसमें रूप-विकार नहीं होता और जिसका प्रयोग प्रसंग के अनुसार विशेषण, क्रिया-विशेषण और अव्यय के रूप में भी नीचे लिखे अर्थों में होता है- सर्वनाम रूप में-१. कोई अज्ञात अनिश्चित या अनिर्दिष्ट चीज (या बात)। जैसे—(क) तुम भी उन्हें कुछ दे आना। (ख) वहाँ जाने पर कुछ तो हो ही जायगा। (ग) उनसे से भी कुछ पूछ देखो। २. मान, संख्या आदि के विचार से, अनिश्चित या अनिर्दिष्ट अंश या भाग। जैसे—(क) कुछ तुम ले लो कुछ हमें दे दो। (ख) उस पुस्तक में कुछ बातें तुम्हारे काम की भी निकल आवेंगी। ३. किसी काम, चीज या बात का ऐसा सामूहिक रूप जो सब प्रकार से संतोषजनक हो। जैसे—(क) परमात्मा ने हमें सब कुछ दिया है। (ख) लड़कीवालों ने दहेज में कुछ नहीं दिया। ४. कोई अनुचित, कड़ी या खटकनेवाली बात। जैसे—यहाँ किसी की मजाल है तो तुम्हें कुछ कहे। ५. कोई हानिकारक चीज या बात। जैसे—(क) वह कुछ (किसी प्रकार का विष) खाकर सो रहा। (ख) लड़के को अंधेरे में मत भेजा करो, कहीं कुछ (भूत-प्रेत आदि की बाधा या कोई घातक बात) हो न जाय। (ग) इसे तो किसी ने कुछ (जादू-टोना आदि) कर दिया। विशेषण रूप में-१. अनिश्चित या अनिर्दिष्ट (पदार्थ परिमाण संख्या आदि) जैसे—(क) कुछ लोग आ चुके हैं। (ख) कुछ पुस्तकें हमारे लिए भी छोड़ देना। (ग) कभी किसी की कुछ भलाई भी किया करो। २. गिनती परिमाण आदि में अधिक नहीं। अल्प। कम। थोड़ा या थोड़े। जैसे—(क) कुछ बन्दर तो वहाँ भी पाये जाते हैं। (ख) इनमें चाँदी-सोने के भी कुछ बरतन हैं। (ग) इनके लिए भी कुछ जगह निकालनी पड़ेगी। ३. प्रतिष्ठा,महत्त्व,योग्यता आदि के विचार से किसी गिनती में आने योग्य। साधारण की तुलना में अच्छा या आगे बढ़ा हुआ। जैसे—(क) यदि शिक्षा आदि की ठीक व्यवस्था हो तो यह लड़का भी थोड़े दिनों में कुछ हो जायगा। (ख) यदि उन्होंने इस काम के सौ रुपए दिये तो कुछ नहीं किया। क्रिया-विशेषण रूप में-१. अज्ञात, अनिश्चित या अनिर्दिष्ट परिमाण, मात्रा या रूप में।—जैसे—(क) अभी तुम्हारा क्रोध कुछ शांत हुआ या नहीं। (ख) किसी ने तुम्हें कुछ जरूर बहकाया है। २. अल्प या सामान्य रूप में। जैसे—(क) यह कुरता तुम्हें कुछ छोटा होगा। (ख) तुम्हारी बात हमें कुछ ठीक नहीं जँचती। अव्यय रूप में-१. नियत, नियमित या वास्तविक रूप में। जैसे—यह कुछ तमाशा तो है नहीं २. किसी दशा प्रकार या रूप में। जैसे—हम लोग कुछ लड़ने तो बैठे नही हैं। ३. उपेक्षा, तिरस्कार, विस्मय आदि के प्रसंग में किसी प्रकार मान या रूप में। जैसे—वहाँ का हाल कुछ न पूछो। पद—कुछ एक=गिनती या संख्या में कम या थोड़े। जैसे—वहाँ भी कुछ एक लोग चले गये थे। कुछ ऐसा=साधारण से भिन्न और विलक्षण। जैसे—उन्होंने कुछ ऐसा ढोंग रचा कि सब लोग घबरा गये। कुछ का कुछ=जैसा था, उससे बिलकुल भिन्न या विपरीत। जैसे—(क) भूकंप के एक ही धक्के ने वहाँ कुछ का कुछ कर दिया। (ख) पाठशाला का प्रबंध लेते ही उन्होंने उसे कुछ का कुछ कर दिखाया। (ग तुमने हमारी बात का मतलब कुछ का कुछ समझ लिया। कुछ-कुछ=मात्रा या मान में,थोड़ा। जैसे—अब रोग कुछ-कुछ घट रहा है। कुछ न कुछ=ऐसा जिसका ठीक तरह से अवधारण या निश्चय न हो सके। जैसे—वहाँ भी तुम्हें कुछ न कुछ मिल ही जायगा। मुहावरा—(अपने आपको) कुछ लगाना या समझना=अभिमानपूर्वक यह समझना कि हम भी गण्य या मान्य हैं अथवा कुछ कर सकते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजंत्र :
|
पुं० [सं० कुयंत्र०] १. खराब या बुरा यंत्र। २. दुष्ट उद्देश्य से किया जानेवाला जादू-मंतर या टोना-टोटका।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजंभ :
|
वि० [सं० ब० स०] लम्बे और भयंकर दाँतोवाला। पुं० प्रह्लाद के पुत्र एक असुर का नाम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजंभल :
|
पुं० [सं० कु-जम्भल, ष० त०] सेंध लगाकर चोरी करनेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजंमिल :
|
पुं० =कुजंभल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुज :
|
पुं० [सं० कु√जन् (उत्पन्न होना)+ड] १. मंगल ग्रह जो पृथिवी का पुत्र अर्थात् उससे उत्पन्न कहा गया है। २. पेड़। वृक्ष। ३. नरकासुर का एक नाम। वि० लाल (मंगल का रंग लाल होने के कारण)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजा :
|
स्त्री० [सं० कुंज+टाप्] १. जनक-पुत्री सीता। २. कात्यायनी। अव्य० [फा०] किस जगह। कहाँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजात :
|
स्त्री०=कुजाति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजाति :
|
स्त्री० [सं० कुगति० स०] १. नीच या बुरे कर्म करनेवाली जाति। २. समाज में छोटी या हीन समझी जानेवाली जाति। पुं० १. छोटी जाति का आदमी। २. अधम या पतित व्यक्ति। ३. जाति से निकाला हुआ व्यक्ति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजाम :
|
वि० [हिं० कु+जमना=जन्म लेना] १. जिसका जन्म बुरे कर्मों के फलस्वरूप हुआ हो। २. जारज। दोगला। पुं० [सं० कु+याम] बुरा अवसर या समय। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजाष्टम :
|
पुं० [सं० कुज-अष्टम, ब० स०] जन्मकुंडली के आठवें घर में मंगल स्थित होने का एक योग। (ज्योतिष) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजिया :
|
स्त्री० [फा० कूजा=प्याला] मिट्टी का छोटा कूजा या पात्र। घरिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजून :
|
स्त्री० [सं० कु+हिं० जून (समय)] १. अनुपयुक्त या बुरा समय। २. देर। विलम्ब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजोग :
|
पुं० [सं० कुयोग] १. अनुपयुक्त या बुरा लोग। बुरा मेल। २. अनुपयुक्त या बुरा समय। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुजोगी :
|
वि० [सं० कुयोगी] १. अच्छे योग या संपर्क से रहित। २. योग या संयम का ठीक तरह से पालन न करनेवाला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुज्जा :
|
पुं० दे० ‘कूजा’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुज्झटि :
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स्त्री० [सं० √कुज् (अपहरण करना)+क्विप्√झट् (समूह)+इन्, कर्म० स०]=कुज्झटी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुज्झटिका :
|
स्त्री० [सं० कुज्झटि+कन्-टाप्]=कुज्झटी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुज्झटी :
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स्त्री० [सं० कुज्झटि+ङीष्] कोहरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटंगक :
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पुं० [सं० कु-अंगक, ष० त०, शक पररूप] लताओं से ढकने पर बननेवाला मंडप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटंत :
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स्त्री० [हिं० कूटना+त (प्रत्यय)] १. कूटने या कूटे जाने की क्रिया या भाव। कुटाई। २. बहुत मारे-पीटे जाने की क्रिया या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट :
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पुं० [सं०√कुट् (कौटिल्य)+क] [स्त्री० कुटी] १. घर। गृह। २. दुर्ग या गढ़। ३. पत्थर तोड़ने का हथौड़ा। ४. कलश। ५. पहाड़। ६. वृक्ष। पुं० [सं० कूट=कूटना] १. कूटकर बनाया हुआ खंड। जैसे—तिलकुटा। २. पत्थर के टुकड़े। पुं० दे० ‘कालकूट’। स्त्री० [सं० कुष्ठ, प्रा० कुट्ठ] कश्मीर की ढालू पहाड़ियों पर होनेवाली एक प्रकार की मोटी झाड़ी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटक :
|
पुं० [सं० कुट+अन्] वह डंडा जिससे मथानी की रस्सी लपेटी जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटका :
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पुं० [हिं० कूट=कूटना०] [स्त्री० अल्पा० कुटकी] १. किसी वस्तु का छोटा टुकड़ा। २. कसीदे में काढ़ा जानेवाला एक प्रकार का तिकोना बूटा। सिंघाड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट-कारक :
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पुं० [ष० त०] [स्त्री० कुट-कारिका] नौकर। सेवक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटकी :
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स्त्री० [सं० कटुका] १. पश्चिमी और पूरबी घाटों में पाया जानेवाला एक पौधा, जिसका उपयोग औषध के रूप में होता है। २. शिमला और कश्मीर के पहाड़ों में पाई जानेवाली एक प्रकार की जड़ी। ३. कँगनी या चेमा नामक कदन्न। ४. एक प्रकार की छोटी चिड़िया जिसके शरीर का रंग ऋतु-भेद से बदलता रहता है। ५. एक प्रकार का छोटा कीडा या फतिंगा, जो प्राणियों के शरीर पर बैठकर काटता है। स्त्री० [हिं० कुटका=छोटा टुकड़ा०] किसी चीज का छोटा टुकड़ा। उदाहरण—गैणो तो म्हाँरे माला दोवड़ी और चंदन की कुटकी।—मीराँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटज :
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पुं० [सं० कुट√जन् (उत्पन्न होना)+ड] १. एक प्रकार का जंगली पौधा और उसका फूल। कुरैया। उदाहरण—लसत कुटज धन चंपक पलास बन। सेनापति। २. इन्द्रयव का पेड़ जो प्रायः पहाड़ों पर होता है। ३. महर्षि अगस्त्य। ४. द्रोणाचार्य। ५. कमल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटनई :
|
स्त्री०=कुटनपन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटन-पन :
|
पुं० [सं० कुट्टुन] १. स्त्रियों को बहकाकर पर-पुरुषों के पास ले जाने का काम। कुटने या कुटनी का पेशा। २. दो व्यक्तियों दलों आदि के बीच मे फूट डालने या झगड़ा लगाने का काम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटन-पेशा :
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पुं० दे० ‘कुटनपन’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटना :
|
पुं० [हिं०कुटनी] १. ऐसा व्यक्ति जो स्त्रियों को भगाकर पर-पुरुषों के पास ले जाता हो। दलाल। २. दो व्यक्तियों या दलो में फूट डालने या झगड़ा करानेवाला व्यक्ति। [हिं० ‘कूटना’ का अ० रूप०] कूटा जाना। पुं० [हिं० कूटना] वह उपकरण जिससे कोई चीज कूटी जाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटनाई :
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स्त्री० दे० ‘कुटनपन’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटनाना :
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स० [हिं० कुटना०] १. कुटने या कुटनी का स्त्रियों को भुलावा देकर कुमार्ग पर ले जाना। २. कुटने या कुटनी की तरह गुप्त रूप से प्रलोभन देकर बहकाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटनापन :
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पुं० = कुटनपन । |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटनापा :
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पुं० दे० ‘कुटनपन’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटनी :
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स्त्री० [सं० कुट्टिनी] १. वह स्त्री जिसका पेशा स्त्रियों को बहका कर पर-पुरुषों से मिलाना और इस प्रकार रुपया कमाकर जीविका निर्वाह करना होता है। (प्रोक्योरस) २. दो पक्षों में झगड़ा करानेवाली स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटनीपन :
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पुं० =कुटनपन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटत्रक :
|
पुं० [सं० कुटन्नट का रूपान्तर] केवटी मोथा। कसेरू। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटत्रट :
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पुं० [सं० कुटन्√नट् (नर्तन)+अच्] १. स्योनाक छोंका। २. केवटी मोथा। कैवर्त्त मुस्तक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटम :
|
पुं० =कुटुंब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटमैती :
|
स्त्री० [सं० कुटुम्ब] १. कुटुंबवालों की तरह का संबंध। आपसदारी का संबंध। २. नातेदारी। रिश्तेदारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटम्मस :
|
स्त्री० [हिं० कूटना] किसी को खूब मारने-पीटने की क्रिया या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटर :
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पुं० [सं०√कुट् (कुटिलता)+करन्] वह डंडा जिससे मथानी की रस्सी लिपटी रहती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटर-कुटर :
|
पुं० [अनु०] १. दाँतो से कोई वस्तु चबाई जाने पर होनेवाला शब्द। २. दांतों के टकराने से होनेवाला शब्द। जैसे—चूहे की कुटर-कुटर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटल :
|
पुं० [सं०√कुट्+कलच्] घर का छाजन। वि०=कुटिल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटली :
|
स्त्री० [हिं० कूटना] एक उपकरण जिससे खेतों में निराई की जाती है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटवाना :
|
स० [हिं० कूटना का प्रे०] १. (कोई वस्तु) कूटने का काम दूसरे से कराना। २. (किसी व्यक्ति को) किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा पिटवाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटवार :
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पुं० [हं० कूटना] गिट्टी कूटने अथवा इसी प्रकार का कठोर काम करनेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटवाल :
|
पुं० =कोतवाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटवाली :
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स्त्री०=कोतवाली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटाई :
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स्त्री० [हिं० कूटना] १. कोई वस्तु कूटने या कूटे जाने की क्रिया भाव या मजदूरी। २. अच्छी तरह मारने-पीटने या मारे-पीटे जाने की क्रिया या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटार :
|
पुं० [?] नटखट टटू। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटास :
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स्त्री० दे० ‘कुटम्मस’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिया :
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स्त्री० [सं० कुटी] साधु-सन्तों के रहने की झोपड़ी। २. झोपड़ी। कुटी। ३. छोटा मकान। घर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिल :
|
वि० [सं०√कुट्+इलच्] [स्त्री० कुटिला] १. टेढ़े आकार का। वक्र। २. मन में कपट, छल, द्वेष आदि रखने और छिपकर बदला चुकानेवाला। जो स्वभाव से सरल न हो। दुष्ट। उदाहरण—मो सम कौन कुटिल खल कामी।—सूर। पुं० १. एक वर्णवृत्त जिसके चरण में क्रमश- स, भ, न, य, ग, ग होते हैं। २. तगर का पौधा या फूल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिलक :
|
वि० [सं० कुटिल+कन्] टेढ़ा-मेढ़ा या मुढ़ा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिल-कीट :
|
पुं० [सं० कर्म० स०] सांप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिलता :
|
स्त्री० [सं० कुटिल+तल्-टाप्] १. टेढ़ापन। वक्रता। २. स्वभाव से कुटिल होने की अवस्था या भाव। सरलता का विपर्याय। ३. दुष्टता। धोखेबाजी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिलपन :
|
पुं० =कुटिलता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिला :
|
स्त्री० [सं० कुटिल+टाप्] १. सरस्वती नदी। २. मध्य युग की एक पुरानी भारतीय लिपि। ३. असबर्ग नाम की ओषधि और गंधद्रव्य। ४. आयान घोष की बहन और राधिका की ननद का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिलाई :
|
स्त्री०=कुटिलता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिलिका :
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स्त्री० [सं० कुटिल+कन्, टाप्, इत्व] १. बिना कोई आहट किये और चुपचाप पैर दबाकर आने की क्रिया या भाव। २. लोहा गलाने की भट्ठी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटिहा :
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वि० [हिं० कूट+हा] व्यंग्यपूर्ण और कूट बातें कहनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटी :
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स्त्री० [सं०√कुट्+इन्,ङीष्] १. एकान्त या सूने स्थान में मिट्टी का बना और घास-फूस में छाया हुआ छोटा घर। झोपड़ी। पर्णशाला। २. ऋषियों,साधुओं आदि के रहने का उक्त प्रकार का स्थान। ३. घुमाव। मोड़। ४. फूलों का गुच्छा। ५. एक प्रकार की मदिरा या शराब। ६. मुरा नामक गन्धद्रव्य। ७. सफेद कुड़ा या कुटज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटी-उद्योग :
|
पुं० [मध्य० स०] ऐसे छोटे-मोटे काम जिन्हें लोग घर में ही करके जीविका निर्वाह के लिए धन कमा सकते है। (काटेज इन्डस्ट्री)। जैसे—खिलौने, दरी, साबुन आदि बनाने का काम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटीका :
|
स्त्री० दे० ‘कुटी’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटीचक :
|
पुं० [सं० कुटी√चक्र (तृप्ति)+अच्] संन्यासी, जो जनेऊ और शिखा का त्याग नहीं करते। प्रायः ये लोग अपने घर का त्याग नहीं करते बल्कि उसी में अपना आश्रम बनाकर रहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटीचर :
|
वि० [सं० कुचर] कुटिल प्रकृति या स्वभाववाला। दुष्ट और धोखेबाज। पुं० चालबाज और दुष्ट व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटी-प्रवेश :
|
पुं० [स० त०] कल्प-चिकित्सा के लिए विशेष रूप से बनाई हुई कुटी में रोगी का जाकर रहना। (आयुर्वेद)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटीर :
|
पुं० [सं० कुटी+र] दे० ‘कुटी’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटीरक :
|
पुं० [सं० कुटीर+कन्] कुटी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटीरोद्योग :
|
पुं० [सं० कुटीर-उद्योग, मध्य० स०] दे० ‘कुटी उद्योग’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटी-शिल्प :
|
पुं० [मध्य० स०] दे० ‘कुटीउद्योग’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटुंब :
|
पुं० [सं०√कुटुम्ब (धारण और पोषण)+अच्] एक ही कुल या परिवार के वे सब लोग जो एक ही घर में मिलकर रहते हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटुंबक :
|
पुं० [सं० कुटुम्ब+कन्] १. कुटुंब। परिवार। २. एक प्रकार की घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटुंब-कलह :
|
पुं० [तृ० त०] दे० ‘गृह-कलह’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटुंबिनी :
|
स्त्री० [सं० कुटुबिन्+ङीष्] १. कुटुंब या परिवार की प्रधान स्त्री। २. बाल-बच्चेदार वाली स्त्री। ३. कफ-पित्त-नाशक और रक्तशोधक एक ज़ड़ी या छोटा झाड़। (आयुर्वेद)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटुंबी (बिन्) :
|
पुं० [सं० कुटुम्ब+इनि] [स्त्री० कुटुम्बिनी] १. कुटुंब या परिवारवाला। कुनबेवाला। २. एक कुटुंब के सब लोग। ३. वह जिसके साथ कुटुंब या परिवार का संबंध हो। नातेदार। रिश्तेदार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटुनी :
|
स्त्री०=कुटनी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटुम :
|
पुं० =कुटुंब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटुम-कबीला :
|
पुं० [हिं० कुटुम+अ० कबीलः] स्त्री-बच्चे भाई-भतीजे आदि परिवार के लोग। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटवा :
|
वि० [हिं० कूटना] कूटनेवाला। पुं० वह जो नर-पशुओं के अंड-कोश कूटकर उन्हें बधिया करने का काम करता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटेक :
|
स्त्री० [सं० कु+हिं० टेक] किसी काम के लिए किया जानेवाला अनुचित आग्रह या हट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटेव :
|
स्त्री० [सं० कु√हिं० टेव] बुरी आदत या बान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुटौनी :
|
स्त्री० [हिं० कूटना] १. धान आदि अनाज कूटने का काम। पद—कुटौनी-पिसौनी=धान आदि कूटने, चक्की पीसने आदि का घर के छोटे काम परन्तु परिश्रम के काम। २. इस काम का पारिश्रमिक या मजदूरी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टक :
|
पुं० [सं०√कुट्ट (कूटना)+ण्वुल-अक] वह जो कोई चीज कूटने या पीसने का काम करता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टन :
|
पुं० [सं०√कुट्ट+ल्युट-अन] १. कूटना। काटना। ३. पीसना। ४. नृत्य, संगीत आदि में वह मुद्रा जिसमें वृद्धावस्था शीत आदि के कारण दाँत बजाकर दिखाया जाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टनी :
|
स्त्री० [सं० कुट्टन+ङीष्]=कुटनी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टनीयता :
|
स्त्री० [सं०√कुट्ट+अनीयर+तल्-टाप्] दे० ‘कुटनपन’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टमित :
|
पुं० [सं०√कुट्ट+घञ्+इमप्+इतच्] साहित्य में संयोग श्रंगार के अंतर्गत एक हाव जिसमें प्रिय के स्पर्श से मन में सुखी होने पर भी ऊपर से दिखावटी विकलता या विरक्ति प्रकट की जाती हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टा :
|
पुं० [सं० कुट्टन=काटना] १. वह कबूतर या और कोई पक्षी जिसके पर काट दिये गये हों। २. पर या पैर बाँधकर जाल के नीचे बैठाया हुआ वह पक्षी जिसे देखकर दूसरे पक्षी उसके पास आते और जाल में फँसने लगते है। मुल्लह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टाक :
|
वि० [सं०√कुट्ट+षाकन्] दे० ‘कुट्टक’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टार :
|
पु० [सं०√कुट्ट+आरन] १. पर्वत। पहाड़। २. रति। संभोग। ३. अलगाव। पार्थक्या। ४. कंबल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टित :
|
भू० कृ० [सं०√कुट्ट+क्त] १. कटा हुआ। २. कूटा या पीसा हुआ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टिम :
|
भू० कृ० [सं०√कुट्ट+क्त] कंकड़-पत्थर आदि से कूटकर बनाया हुआ पक्का फर्श। गच। २. अनार नामक वृक्ष और उसका फल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टी :
|
स्त्री० [हिं० कूटना] १. पशुओं के लिए चारा काटने की क्रिया। २. उक्त प्रकार से काटा हुआ चारा। करबी। ३. कूटकर सड़ाया हुआ वह कागज जिससे खिलौने, दौरियां आदि बनाई जाती है। पुं० =कुट्टा (परकटा कबूतर)। स्त्री० [दाँतो से काटने के ‘कुट’ शब्द के अनुकरण पर] एक शब्द जिसका प्रयोग बालक खिलवाड़ में उस समय करते हैं जब वे किसी से कुछ या चिढ़कर उससे संबंध तोड़ने का भाव सूचित करना चाहते हैं। जैसे—जाओ, हमसे तुमसे कुट्टी अब हम तुम्हारे साथ नहीं खेलेंगे। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टीर :
|
पुं० [सं०√कुट्ट+ईरन्] पहाड़ी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुट्टीरक :
|
पुं० [सं० कुट्टीर√कै (प्रतीत होना)+क] कुटिया। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठ :
|
पुं० [सं०√कुठ्(छेदन)+क] वृक्ष। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठर :
|
पुं० [सं०√कुठ्+करन्] दे० ‘कुटर’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठला :
|
पुं० [सं० कोष्ठ, प्रा० कोट्ठ+ला (प्रत्यय)] [स्त्री० अल्पा० कुठली] अनाज रखने के लिए मिट्टी का बना हुआ ऊँचा तथा बड़ा पात्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाँउ :
|
स्त्री०=कुँठाव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाँय :
|
स्त्री०=कुठाँव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाँव :
|
स्त्री० [सं० कु+हिं० ठाँव] १. बुरा स्थान। खराब जगह। २. घातक या भयप्रद स्थान। ३. शरीर का कोमल या सुकुमार। अंग। मर्मस्थल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाकु :
|
पुं० [देश०] कठफोड़वा पक्षी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाटंक :
|
पुं० [सं० कुठारटंक, पृषो० सिद्धि] [स्त्री० अल्पा, कुठाटंका] कुल्हाड़ी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाट :
|
पुं० [सं० कु+हिं० ठाट] १. अनावश्यक या अनुचित तड़क-भड़क। २. बुरा प्रबंध। ३. बुरा सामान। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाँय :
|
स्त्री०=कुठाँव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठार :
|
पुं० [सं० √कुठ्+आरन्] [स्त्री० कुठारी] १. कुल्हाड़ा। २. फसा। पुं० दे० ‘कुठला’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठारक :
|
पुं० [सं० कुठार+कन्] छोटी कुल्हाड़ी। कुठार-पाणि-पुं० [सं० ब० स०] परशुराम जो हाथ में कुठार रखते थे। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाराघात :
|
पुं० [सं० कुठार-आघात, ष० त०] १. कुल्हाड़ी लगने से होनेवाला आघात। २. लाक्षणिक रूप में ऐसा आघात जिससे किसी वस्तु या व्यक्ति की जड़ कट जाय या बहुत बड़ी हानि हो। ३. सर्वनाश। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठारिक :
|
पुं० [सं० कुठार+ठन्-इक] लकड़ी काटने का काम करने वाला व्यक्ति। लकड़हारा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठारिका :
|
स्त्री० [सं० कुठार+कन्-टाप्, ह्रस्व] कुल्हाड़ी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठारी :
|
स्त्री० [सं० कुकुठार+ङीष्]=कुल्हाड़ी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाली :
|
स्त्री० [सं० कुस्थाली] सुनारों की वह घरिया (मिट्टी का छोटा पात्र) जिसमें वे सोना, चाँदी आदि गलाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठाहर :
|
पुं० दे० ‘कुठाँव’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठि :
|
पुं० [सं०√कुठ्+इन्] १. पेड़ । वृक्ष। २. पर्वत। पहाड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठिया :
|
स्त्री० [सं० कोष्ठ प्रा० कोट्ठ] अनाज रखने का मिट्टी का गहरा छोटा बरतन। छोटा कुठला। उदाहरण—उन्हीं की छाप कुठिया पर लगा दो।—वृदावनलाल वर्मा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठिला :
|
स्त्री०=कुठला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठी :
|
स्त्री० [देश] कुसुम या बर्रे नामक पौधे की एक जाति। कटाली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठेर :
|
पुं० [सं०√कुठं+एरक्, नलोप (बा०)] १. अग्नि। २. तुलसी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठेरक :
|
पुं० [सं० कुठेर√कै (प्रतीत होना)+क] सफेद तुलसी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुठौर :
|
पुं० [सं० कु+हिं०ठौर] १. बुरा स्थान। कुठाँव। २. अनुपयुक्त अवसर। बेमौका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुडंग :
|
पुं० [सं०√कुड्+अङच्] निकुंज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़ :
|
पुं० [सं० कुष्ठ, पा० कुट्ठ] कुट या कूट नामक ओषधि। पुं० [सं० कूट] ढेर। राशि। पुं० [सं० कुड़] १. कुंड। २. हल में का जाँघा। अगवाँसी। पुं० =कुक्कुट। उदाहरण—सेही सियाल लंगूर बहु, कुड कर्दम भरि तर रहिय।—चन्दबरदाई। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़क :
|
स्त्री० [फा० कुरक] ऐसी मुरगी जो अंडे न देती हो या अन्डे देना बन्द कर दे। वि० खाली। रहित। मुहावरा—कुड़क बोलना=निरर्थक या व्यर्थ हो जाना। वि०=कुरक या कुर्क।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़कना :
|
अ० [हिं० कुड़क] मुरगी का अंडा देना बंद करना। अ०=कुड़बुड़ाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़कुड़ :
|
अ० [अनु] पशु-पक्षियों को खेतों आदि से भगाने का एक निरर्थक शब्द। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़कुड़ाना :
|
अ० [अनु] मन-ही-मन खींचकर अस्पष्ट रूप से बड़बड़ाना। कुड़बुड़ाना। स० कुड़-कुड़ शब्द करके पक्षियों आदि को खेतों से भगाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़कुड़ी :
|
स्त्री० [अनु] १. भूख आदि के कारण पेट में होनेवाली गुड़गुड़ाहट या विकलता। २. कोई बात जानने के लिए मन में होनेवाली उत्सुकता-पूर्ण विकलता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़प :
|
पुं० =कुड़व। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़पना :
|
स० [हिं० कुंड=हल की लकीर] कँगनी के खेत को उस समय जोतना जब फसल थोड़ी उग आये। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़बुड़ाना :
|
अ० [अनु] खिन्न या रुष्ट होने पर मन-ही-मन कुढ़ते हुए कुछ अस्पष्ट शब्द करना। बड़बड़ाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़रिया :
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स्त्री०=कुड़री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़री :
|
स्त्री० [सं० कुंडली] १. ईडुरी। २. तीन ओर से जल से घिरी हुई जमीन। ३. दे० ‘कुंडली’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़ल :
|
स्त्री० [सं० कुंचन] १. शरीर के किसी भाग में नस पर नस चढ़ जाने के कारण होने वाला तनाव और पीड़ा। नस पर नस चढ़े होने की स्थिति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़व :
|
पुं० [सं०√कुंड् (मापना)+कवन्, नलोप] १. अन्न मापने का एक पुराना मान जिसमें पाव भर के लगभग अन्न आता है। २. उक्त मान का पात्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़ा :
|
पुं० [सं० कुटज] इद्रजौ का वृक्ष। कुरैया। पुं० =कुढ़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़ाली :
|
स्त्री० [सं० कुठारी] कुल्हाड़ी। (लश०)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़ि :
|
पुं० [सं०√कुट्+इन्व] शरीर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़िला :
|
स्त्री० [सं०√कुड्+इलच्, टाप्] पानी पीने या रखने का बरतन। जल-पात्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुडी :
|
स्त्री० [सं०√कुट्+क, ङीष्] झोंपड़ी। कुटी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड़ी :
|
स्त्री० [पं०] दे० ‘लड़की’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुडुक :
|
वि० स्त्री०=कुड़क। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुडेर :
|
स्त्री० [हिं० कुडेरना] कुरिया में से राब निकालने के लिए बनाई हुई नाली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुडेरना :
|
स० [देश] राब के बोरों को एक दूसरे पर इस प्रकार रखना कि उनमें की जूसी बहकर निकल जाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुडौल :
|
वि० दे० ‘बेडौल’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुडमल् :
|
पुं० [सं०√कुड्+कलच्, मुट्] १. कली। २. फूल। ३. एक नरक का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड्य :
|
पुं० [सं०√कुड्+यत्] १. दीवार। २. उत्सुकता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड्यच्छेदी (दिन्) :
|
पुं० [सं० कुड्य√छिद् (काटना)+णिनि] सेंध लगानेवाला चोर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड्य-पुच्छा :
|
स्त्री० [ब० स०] छिपकली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड्य-मत्सी :
|
स्त्री० [उपमि० स०] छिपकली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुड्य-मत्स्य :
|
पुं० [मध्य० स०] छिपकली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुढंग :
|
पुं० [सं० कु+हिं० ढंग] १. अनुचित या बुरा ढंग। २. बुरी चाल। अनरीत। वि० बुरे ढंग या प्रकार का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुढंगा :
|
वि० [हिं० कुढंग०] [स्त्री, कुंढगी] १. जिसकी बनावट का ढंग ठीक न हो। बेंढंगा। २. कुरूप। भद्दा। ३. जो ठीक ढंग से काम न करता हो। बेढंगा। ४. जिसका आचरण या व्यवहार ठीक न हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुढंगी :
|
वि० [हिं० कुढंग०] कुमार्गी। आचरण-हीन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुढ़न :
|
स्त्री० [हिं० कुढ़ना] कष्ट, विपत्ति आदि के कारण मन में होनेवाला संताप। कुढ़ने की क्रिया या भाव। मन-ही-मन होनेवाला दुःख या सन्ताप जिससे मनुष्य विकल तथा चिंतित बना रहे। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुढ़ना :
|
अ० [सं० कुद्ध, प्रा० कुड्ढ] [भाव० कुढ़न] १. किसी प्रकार का कष्ट पड़ने पर मन-ही-मन दुःखी या विकल होना। जैसे—पुत्र शोक में माता का कुढ़-कुढ़ कर मरना। २. किसी बात या व्यक्ति की ओर से मन ही मन दुःखी और विरक्त होना। जैसे—लड़के की नालायकी से कुढ़ना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुढब :
|
वि० [सं० कु+हिं० ढब] १. बुरे ढंग या ढब का। बेढब। २. कठिन। विकट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुढ़ा :
|
पुं० [अ० करहा] सूजाक के रोग में पेशाब की नली में हो जानेवाली गाँठ, जिससे पेशाब रुकता और बहुत पीड़ा होती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुढ़ाना :
|
स० [हिं० कुढ़ना] किसी को कुढ़ने में प्रवृत्त करना। दुःखी और विकल करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुण :
|
पुं,० [सं०√कुण् (शब्द करना)+क] १. चील। २. जमी हुई मैल। किट्ट। सर्व०=कौन। (राज०)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुणक :
|
पुं० [सं० कुण्+कन्] पशु का छोटा बच्चा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुणप :
|
पुं० [सं०√क्वण (शब्द)+कपन्, संप्रसारण] १. मृत शरीर। लाश। शव। २. बरछा। भाला। ३. राँगा। ४. इंदुदी या हिंगोट का वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुणपा :
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स्त्री० [सं० कुणप+टाप्] छोटा भाला। बरछी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुणपाशी (शिन्) :
|
पुं० [सं० कुणप√अश् (खाना)+णिनि] १. वह जीव या जन्तु जो मृत शरीर खाता है। जैसे—गिद्ध, गीदड़ आदि। २. एक प्रकार के प्रेत, जिनके संबंध में यह प्रसिद्ध है कि वे मृत शरीर खाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुणि :
|
पुं० [सं०√कुण्+इन्] १. तुन का पेड़। २. वह जिसके हाथ टूटे हों या बेकाम हो गये हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंतः (स्) :
|
अव्य० [सं० किम्+तसिल्, कु० आदेश] १. किस जगह। कहाँ। २. किस प्रकार। कैसे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतक :
|
पुं० =कुतका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतका :
|
पुं० [हि० गतका] १. मोटा डंडा। सेंटा। २. पुरी के साथ खेलने का गदका। ३. भाँग घोंटने का डंडा। भँग-घोंटना। ४. दाहिने हाथ का अँगूठा (परिहास और व्यंग्य) जैसे—किसी के कुतका दिखाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतना :
|
अ० [हिं० कूतना का अ०] कूतने की क्रिया होना। कूता जाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतप :
|
पुं० [सं० कु√तप् (तपना)+अच्] १. दिन का आठवाँ मुहूर्त। मध्याह्र। २. वे वस्तुएँ जिनकी (मध्याह्र के समय) श्राद्ध में आवश्यकता होती है। ३. सूर्य। ४. अग्नि। ५. एक प्रकार का पुराना बाजा। ६. बकरी के बालों का बना हुआ कंबल। ७. द्विज। ब्राह्मण। ८. अतिथि। मेहमान। ९. बहन का लड़का। भांजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतब :
|
पुं० =कुतुब। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतरन :
|
पुं० [हिं० कुतरना] कुतरा हुआ अंश या टुकड़ा। पुं० दे० ‘कतरन’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतरना :
|
स० [सं० कर्त्तन=कतरना] १. दाँतों की सहायता से किसी चीज का थोड़ा-सा अंश काटकर अलग करना। जैसे—चूहों का कपड़े या कागज कुतरना। २. बीच में पड़कर किसी चीज का कुछ अंश अपने लिए निकाल लेना। जैसे—बीस रुपये में से पाँच तो आपने ही बीच में कुतर लिये। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-तर्क :
|
पुं० [सं० कुगति० स०] अनुचित असंगत या बुरा तर्क। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतर्की (र्किन्) :
|
पुं० [सं० कुतर्क+इनि] अनुचित, असंगत या व्यर्थ के तर्क करनेवाला। कठ-हुज्जती। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतला :
|
पुं० [हिं० कतरना] हँसिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतवार :
|
पुं० [हिं० कूतना+वार (प्रत्य)] कुतवार का काम, पद या पारिश्रमिक। स्त्री०-कोतवाली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतवाल :
|
पुं० =कोतवाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतवाली :
|
स्त्री०=कोतवाली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतार :
|
पुं० [सं० कु+हिं० तार] १. कार्य सिद्ध न होने की स्थिति। २. सुमति का अभाव। अंडस। असुविधा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुताही :
|
स्त्री०=कोताही। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतिया :
|
स्त्री० [हिं० कुत्ती] १. कुत्ते की मादा। कूकरी। कुत्ती। २. लाक्षणिक अर्थ में बदचलन स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुक :
|
पुं० [सं०√कुत्+उकङ् (बा०)]=कौतुक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुप :
|
पुं० [सं० कुतप, पृषो० सिद्धि] १. दिनमान का आठवाँ मुहुर्त। कुतप। २. चमड़े का कुप्पा या कुप्पी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुब :
|
पुं० [अ० कुत्व] ध्रुव तारा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुबखाना :
|
पुं० [अ० कुतुब=किताब का बहु०+फा० खानः] पुस्तकालय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुबनुमा :
|
पुं० [अ०] दिशा सूचक यंत्र, जिसकी सूई की नोक सदा उत्तर की ओर रहती हैं। दिग्दर्शक यंत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुब-फरोश :
|
पुं० [अ० कुतुब-किताबें+फा० फरोश] पुस्तक-विक्रेता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुबशाही :
|
स्त्री० [अ० कुत्व+फा० शाह] पन्द्रहवीं शताब्दी में दक्षिण भारत के पाँच बहमनी राज्यों में से एक जिसकी राजधानी गोलकुंडा थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुरझा :
|
पुं० [देश] हरे रंग का एक पक्षी जिसकी चोंच पीठ और पैर लाल होते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतुली :
|
स्त्री० [देश] इमली की कोमल फली जिसके बीज मुलायम होते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतू :
|
स्त्री० [सं० कु√तन्+कू (बा०)] चमड़े की कुप्पी जिसमें तेल आदि तरल पदार्थ रखे जाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतूणक :
|
पुं० =कुथुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतूहल :
|
पुं० [सं० कुतू√हल्+अच्] [वि० कुतूहली] १. किसी नई और विलक्षण चीज या रहस्य-मयी बात को जानने, सीखने आदि के लिए मन में होनेवाली प्रबल इच्छा। किसी अद्भुत या विलक्षण विषय में होनेवाली जिज्ञासा। (क्यूरियासिटी) २. आश्चर्य। ३. कौतुककीड़ा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतूहली (लिन्) :
|
वि० [सं० कुतूहल+इनि] १. (व्यक्ति) जिसकी अनोखी और नई बातें सुनने, देखने आदि में स्वभावतः विशेष रुचि होती है (क्यरि्अ) २. जिसका मन खेलवाड़ों में रमता हो। खिलवाड़ी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्तक :
|
स्त्री० [सं० कुतुक] १. कोई बात जानने की उत्सुकता। २. कौतुक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्ता :
|
पुं० [सं० कुक्कुर० प्रा० कुत्तु, कुत्ती, द्र० कुक्, कूगु, गु० कुत्रो, मरा० कुत्रा] [स्त्री० कुतिया, कुत्ती] १. गीदड़ भेड़िये आदि की जाति का एक प्रसिद्ध पालतू जानवर। २. लाक्षणिक अर्थ में तुच्छ, दुष्ट, लुच्चा या लोभी व्यक्ति। पद—कुत्ते की दुम=ऐसा व्यक्ति जो समझाने-बुझाने अथवा दंड दिये जाने पर भी अपनी बुरी आदतें न छोड़ता हों। हावरा-कुत्ते घसीटना=गर्हित या तुच्छ काम करना। ३. लपटौआ नाम की घास। ४. बंदूक का घोड़ा। ५. लकड़ी का वह टुकड़ा जिसके नीचे देने पर दरवाजा नही खुल सकता। सिटकिनी। ६. किसी यंत्र में का वह पुरजा जो किसी चक्कर को पीछे की ओर घूमने से रोकता है। ७. रहस्य संप्रदाय में काल या मृत्यु। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्ती :
|
स्त्री० [हिं० कुत्ता] कुत्ते की मादा। कुतिया। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्ते-खसी :
|
स्त्री० [हिं० कुत्ता+खसी] १. कुत्तों की तरह स्वार्थपूर्ण वृत्ति से नोचने-खसोटने की क्रिया। २. बहुत ही गर्हित और तुच्छ काम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्र :
|
क्रि० वि० [सं० किम्+बल्] किस स्थान पर ? किस जगह। कहाँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्स :
|
पुं० [सं०√कुत्स+अच्] एक गोत्र प्रवर्तक ऋषि। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्सन :
|
पुं० [सं०√कुत्स+ल्युट्-अन] [वि० कुत्सित] निंदा या भर्त्सना करना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्सा :
|
स्त्री० [सं०√कुत्स+अ, टाप्] निंदा। बुराई। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्सित :
|
वि० [सं०√कुत्स+क्त] १. जिसकी निंदा या भर्त्सना की गई हो। निंदित। २. जो निंदा या भर्त्सना किये जाने का पात्र हो। अधम। नीच। पु० १. कुष्ठ नाम की ओषधि। २. कुड़ा। कोरैया। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुत्स्य :
|
वि० [सं०√कुत्स+ण्यत्] जिसकी निंदा या भर्त्सना की जानी चाहिए। निंदा का पात्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुथ :
|
पुं० [सं०√कुथ (निष्कर्ष)+क, नलोप] १. कंथा। (गुदड़ी)। २. कुश नामक घास। ३. हाथी की झूल। ३. पालकी या रथ के ऊपर आड़ करने के लिए डाला जानेवाला कपड़ा। ओहार |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुथना :
|
अ० [हिं० कूथना] बहुत मार खाना। पीटा जाना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुतरी :
|
स्त्री०=कथरी। (गुदड़ी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुथरू :
|
पुं० [सं० कुतूण] आँख का एक रोग। कुथुआ (दे०)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुथा :
|
स्त्री० [सं० कुथ+टाप्] कन्या। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुथुआ :
|
पुं० [सं० कुतूणक] एक रोग जिसके कारण पलकों में छोटे-छोटे दाने पड़ जाते हैं और आँखें दुखने लगती हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदई :
|
स्त्री०=कोदों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदकना :
|
अ० [हिं० कूदना] प्रसन्न होने पर छोटे-छोटे डग भरते हुए बार-बार उछलते चलना। उदाहरण—मेमनों से मेघों के बाल कुदरते थे प्रमुदित गिरि पर।—पंत। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदक्का :
|
पुं० [हिं० कूदना] उछल-कूद। मुहावरा—कुदक्का मारना=(क) लंबी छलांग मारना। (ख) व्यर्थ इधर-उधर कूदते फिरना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदरत :
|
स्त्री० [अ०] १. शक्ति। सामर्थ्य। २. ईश्वरीय शक्ति। ३. प्रकृति। पद—कुदरत का खेल=प्रकृति अथवा ईश्वर की अदभुत लीला। ४. रचना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदरती :
|
वि० [अ०] १. ईश्वर या प्रकृति संबंधी। ईश्वरीय या प्राकृतिक। २. स्वाभाविक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदरा :
|
पुं० [सं० कुद्दाल] कुदाल। उद-कुदरा खुरपा बेल...।—सूदन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदर्शन :
|
वि० [सं० कुगति० स०] १. जो देखने में भला न जान पड़े। कुरूप। भद्दा। २. जिसे देखना अशुभ माना जाता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदलाना :
|
स० [हिं० कूदना]=कुदाना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदाई :
|
वि० [हिं० कुदांव] १. अनुचित ढंग से अथवा अनुपयुक्त अवसर पर स्वार्थ साधने वाला। २. विश्वासघाती। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदाँव :
|
पुं० [सं० कु+हिं० दाँव] १. जान बूझकर चली जानेवाली ऐसी अनुचित चाल जिससे किसी की बहुत बड़ी हानि हो सकती हो। २. विश्वासघात। ३. अनुपयुक्त अवसर या स्थान। ४. मर्म स्थान। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदाई :
|
वि०=कुदाँई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-दान :
|
पुं० [सं० कुगति० स०] १. अशुभ कार्य अथवा अशुभ अवसर पर दिया जानेवाला दान। २. कुपात्र को दिया जानेवाला दान। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदान :
|
स्त्री० [हिं० कूदना] १. ऊँचे स्थान पर से नीचे स्थान पर कूद कर आने या प्रतिक्रमात् उछलकर जाने की क्रिया या भाव। २. उतनी दूरी जितनी एक बार में कूदकर पार की जाय। ३. वह स्थान जहाँ से अथवा जहाँ पर कूदा जाय (क्व०) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदाना :
|
स० [हिं० कूदना] १. किसी को कूदने में प्रवृत्त करना। जैसे—घोड़ा कूदाना। २. किसी निर्जीव वस्तु को उछलने में प्रवृत्त करना। जैसे—गेंद कुदाना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदाम :
|
पुं० [सं० कु+हिं०दाम] खोटा या जाली सिक्का।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदाय :
|
पुं० =कुदाँव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदार :
|
स्त्री०=कुदाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदारी :
|
स्त्री०=कुदाली। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदाल :
|
पुं० [सं० कुद्दाल, कुद्दार, प्रा० कुदृलपा० कुद्दाली, गु० कोदालों, सि० कोड्री, पं० कुदाल, बं० कोदाल, मरा कुदल, द्रा० कोडालि] [स्त्री० अल्पा० कुदाली] जमीन या मिट्टी खोदने का एक प्रसिद्ध उपकरण जिसमें लकड़ी का बेंट लगा होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदाली :
|
स्त्री०=कुदाल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदास :
|
पुं० [?] जहाज की पतवार का खंभा। (लश०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदिन :
|
पुं० [सं० कुगति० स०] १. ऐसा दिन या समय जिसमें कोई व्यक्ति कठिनाई या संकट में पड़ा हो। बुरे दिन। २. ऐसा दिन जिसमें कोई अशुभ घटना घटे। ३. दिन का वह परिमाण जो एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक होता है। सावन दिन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदिष्टि :
|
स्त्री०=कुदृष्टि। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदूरत :
|
स्त्री० [अ०] १. द्वेष। २. मलिनता। मैल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदृष्टि :
|
स्त्री० [सं० कुगति० स०] १. अनधिकारपूर्वक तथा बुरे उद्देश्य से किसी की ओर देखने की क्रिया। २. ऐसी दृष्टि जिसका परिमाण या फल बुरा हो। बुरी नजर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदेव :
|
पुं० [सं० कु=भूमि-देव=देवता स० त०] ब्राह्मण। पु० [सं० कु=बुरा+देव० कुगति० स०] १. राक्षस। २. जैनियों के अनुसार अन्य धर्मों के देवता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुदौनी :
|
स्त्री० [हिं० कूदना] १. कूदने की क्रिया, भाव या पारिश्रमिक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुद्दाल (ल) :
|
पुं० =कुदाल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुद्ध :
|
वि०=क्रुद्ध। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुद्रंक :
|
पुं० [सं० पृषो०] घंटाघर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुद्रव :
|
पुं० [सं० कु√द्रु (गति)+अच्०] कोदों। पुं० [देश०] तलवार चलाने के ३२ हाथों में से एक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुधर :
|
पुं० [सं० कुध्र] १. पर्वत। पहाड़। २. शेषनाग। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुधातु :
|
स्त्री० [सं० कुगति० स०] १. बुरी धातु। २. मिश्रित धातु। ३. लोहा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुधी :
|
वि० [सं० ब० स०] दुष्ट या बुरी बुद्धिवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनकुन :
|
वि०=कुनकुना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनकुना :
|
वि० [सं० कदुष्ण, प्रा० कउण्ह] (तरलपदार्थ) जो अधिक गरम न हो। थोड़ा या हलका गरम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनख :
|
पुं० [सं० ब० स०] एक रोग जिसमें नख खराब हो जाते और पककर गिर जाते हैं। स्त्री०=अनख। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनखी (खिन्) :
|
वि० [सं० कुनख+इनि] १. जो कुनख रोग से पीड़ित हो। २. मलिन या बुरे नखोंवाला। वि०=अनखी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनना :
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स० [सं० क्षुणन या घुणन=घुमाना] १. चमकीला या चिकना बनाने के लिए किसी वस्तु को खरीदना। जैसे—बरतन कुनना। २. खरोचना। छीलना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनप :
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पुं० =कुणप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनबा :
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पुं० [सं० कुंटुब, प्रा० कुडुंब] एक साथ रहनेवाले एक ही परिवार के सब लोग। मुहावरा—कुनबा जोड़ना=कोई असंगत और विलक्षण रचना प्रस्तुत करना। उदाहरण—कहीं की ईट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।—कहावत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनबायती :
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वि० [हिं० कुनबा] बड़े परिवारवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनबी :
|
पुं० [सं० कुंटुब, हिं० कुनबा] एक हिन्दू जाति जो प्रायः खेती बारी करती है। |
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कुनलई :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार का छोटा कँटीला झाड़। |
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कुनवा :
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पुं० [हिं० कुनना] [स्त्री० कुनवी] खराद पर चढ़ाकर लकड़ी, लोहे आदि को कुनने या सुडौल करनेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
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कुनह :
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स्त्री० [फा० कीनः] [वि० कुनही] किसी के प्रति मन में होनेवाली वह शत्रुतापूर्ण भावना जो बहुत दिनों से मन में दबी चली आ रही हो। पुराना द्वेष या वैर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनही :
|
वि० [हिं० कुनह] जिसके मन में किसी के प्रति कुनह हो। |
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समानार्थी शब्द-
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कुनाई :
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स्त्री० [हिं० कुनाना=खरादना, खुरचना] १. लकड़ी, लोहे आदि का खराद, खुरच या छीलकर सुडौल बनाने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. लकड़ी, लोहे आदि के वे छोटे या महीन कण जो खरादने, खुरचने छीलने आदि से निकलते हैं। बुरादा। ३. कोयले आदि का महीन चूरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनाभि :
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पुं० [सं० कुगति० स०] १. नौ प्रकार की निधियों में से एक। २. बवंडर। |
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समानार्थी शब्द-
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कुनाम (न्) :
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पुं० [सं० कुगति० स०] अपयश। बदनामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनाल :
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पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार की पहाड़ी चिड़िया। |
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समानार्थी शब्द-
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कुनालिका :
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स्त्री० [सं० कुनाल+ठन्-इक, टाप्, इत्व] कोयल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनित :
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वि०=क्वणित।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनिया :
|
पुं० [हिं० कुनना] कुनवा (दे०)। वि० [हिं० कूतना] कूतनेवाला। स्त्री०=कोनिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुनेरा :
|
पुं० [हिं० कुनना] वह जो लकड़ी, लोहे आदि की कुनाई करता हो। खराद का काम करनेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
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कुनैन :
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स्त्री० [अं० क्विनिन] सिनकोना नामक पेड़ की चाल के रस से बनाई जानेवाली एक पाश्चात्य औषध जो मलेरिया के कीटाणुओं का नाश करती है। |
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समानार्थी शब्द-
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कुन्नना :
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अ० [फा० कीनः] क्रोध या रोष करना। उदाहरण—मनु मृगराज म्रिगीनि जानि कुन्नीय दिख्खिवलि।—चंदवरदाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपंथ :
|
वि० [सं० कुपथ] १. कुपथ। बुरा मार्ग। २. दुराचरण। निषिद्ध आचरण। ३. बुरा मत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपंथी :
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वि० [हिं० कुपथ+ई (प्रत्यय)] बुरे मार्ग पर चलनेवाला कुमार्गी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुप :
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पुं० [देश०] घास, भूसा पुआल आदि का ढेर जो खलिहान में लगाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपक :
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पुं० एक प्रकार का सुरीला पक्षी जो प्रायः पाला जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपढ़ :
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वि० [सं० कु+हिं० पढ़ना] १. अनपढ़। अ-शिक्षित। २. बेवकूफ। मूर्ख। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपत्थ :
|
पुं० =कुपथ्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपत्थी :
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वि० [सं० कुपथ्य] कुपथ्य करनेवाला। असंयमी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपथ :
|
पुं० [सं० कुगति० स०] १. कुमार्गी। कु-पंथ। २. निषिद्ध आचरण। बुरी चाल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपथ्य :
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पुं० [सं० कुगति० स०] १. स्वास्थ्य को हानि पहुँचानेवाला आहार-विहार। २. रोगी होने की दशा में किया जानेवाला उक्त प्रकार का आहार-विहार। पद—परहेजी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपा :
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पुं० [स्त्री० कुप्पी] दे० ‘कुप्पा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपाठ :
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पुं० [सं० कुगति० स०] बुरी सलाह। किसी को अनुचित या बुरे काम के लिए दिया जानेवाला परामर्श या पढ़ाई जानेवाली पट्टी। कुमंत्रणा। |
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समानार्थी शब्द-
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कुपाठी (ठिन्) :
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वि० [सं० कुपाठ+इनि] १. दूसरो को कुपाठ पढ़ानेवाला। २. जिसे दुष्ट उद्देश्य या बुरे काम के लिए सिखा-पढ़ाकर तैयार किया गया हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपात्र :
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पुं० [सं० कुगति० स०] धार्मिक दृष्टि से वह व्यक्ति जिसे दान देना शास्त्रों में निषिद्द हो। वि० १. बुरा या अयोग्य पात्र। २. अयोग्य। नालायक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपायण :
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वि० [हिं० कोप] १. क्रोध से युक्त। २. बकवादी। उदाहरण—कहा कुपायण मुख कहै हमहीं दुरगत जाइ।—जटमल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपार :
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पुं० [सं० अकूपार] समुद्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपित :
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वि० [सं०√कुप् (क्रोध करना)+क्त] १. कोप करनेवाला। जिसे गुस्सा चढ़ा हो। २. अप्रसन्न। नाराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपीन :
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पुं० =कौपीन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपुत्र :
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पुं० [सं० कुगति० स०] अयोग्य या अनाज्ञाकारी पुत्र। कपूत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपूत :
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वि० [कु+पूत] जो पूत अर्थात् पवित्र न हो। उदाहरण—भो अकरून करूनाकरौ यहि कपूत कलिकाल। पुं०=कुपुत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-पोषण :
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पुं० [सं० कुगति० स०] शरीर के लिए ऐसा पोषण (देखेंगे) जो अनुपयुक्त और हानिकारक हो। (माल-न्यूट्रिशन)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुप्पक :
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पुं० [सं० कोप] घोड़ों का एक रोग जिसमें ज्वर आता और नाक से पानी बहता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुप्पना :
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अ० [सं० कोप] कोप या क्रोध करना। गुस्सा होना। उदाहरण—मुनि कुप्पिय प्रथिराज जान पुंछीय श्रप्पमलि।—चंदबरदाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुप्पल :
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पुं० [देश०] एक प्रकार की सज्जी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुप्पा :
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पुं० [सं० कूपक, प्रा० कूपय, गु० कुप्पो, कन्न, कोप्पै, बँ० कुपी, मरा० कुप्पी] [स्त्री० अल्पा० कुप्पी] १. घी, तेल आदि रखने के लिए बना हुआ चमड़े का एक प्रकार का गोल या चौकोर बड़ा पात्र। २. लाक्षणिक अर्थ में मोटा-ताजा व्यक्ति। मुहावरा—(किसी का) फूलकर कुप्पा होना=(क) बहुत अधिक मोटा हो जाना। (ख) प्रसन्नता से फूले न समाना। (मुँह) कुप्पा होना=क्रोध या नाराजगी के कारण मुँह फूल जाना। (कोई चीज) कुप्पा होना=सूज जाना। सूजना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुप्पासाज :
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पुं० [हिं० कुप्पा+फा० साज] कुप्पे बनानेवाला कारीगर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुप्पी :
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स्त्री० [हिं० कुप्पा] छोटा कुप्पा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-प्रबंध :
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पुं० [सं० कुगति० स०] खराब या बुरा प्रबंध। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-प्रयोग :
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पुं० [सं० कुगति० स०] किसी वस्तु का अनुचित रूप या बुरी तरह से होनेवाला प्रयोग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-फल :
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पुं० [सं० कुगति० स०] किसी कार्य या बात के मिलने या होनेवाला बुरा फल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुफुत :
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पुं० [फा० कोफ्त] १. मन-ही-मन होनेवाली विकट चिंता। २. अफसोस। रंज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुफुर :
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पुं० [अ० कुफ्र] मुसलमानी मत से भिन्न या दूसरा मत। विशेष—दे० कुफ्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुफेन :
|
स्त्री० [सं० ब० स०] काबुल नदी का प्राचीन नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुफ्र :
|
पुं० [अ० कुफ्र] १. इस्लाम धर्म या मत के अनुसार उससे भिन्न अन्य धर्म या मत। २. ऐसा आचरण,बात या सिद्धान्त जो इस्लाम-धर्म के प्रतिकूल या विरुद्ध हो। ३. दुराग्रह। हठ। ४. कृतध्नता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुफ्ल :
|
पुं० [अ० कुफ्रल] ताला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुफ्ली :
|
स्त्री० दे० ‘कुल्फी’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबंड :
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पुं० [सं० कोदंड] धनुष। वि० [हिं० कूबड़] टूटे या विकृत अंगोंवाला । विकलांग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुब :
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पु०=कूबड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबग :
|
पुं० [?] गिलहरी की तरह का एक प्रकार का छोटा जंतु जिसके शरीर पर चित्तियाँ होती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबज :
|
वि०=कुब्ज। (टेढ़ा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबजा :
|
स्त्री०=कुब्जा। वि० १. =कुब्ज (टेढ़ा) २. =कुबड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबड़ा :
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पुं० [सं० कुब्ज] [स्त्री० कुबड़ी] ऐसा व्यक्ति जिसकी पीठ आगे की ओर झुकी हुई हो। वि० झुका हुआ। टेढ़ा। वक्र। उदाहरण—चंद दूबरो कूबरो तऊ नखत तें बाढ़ि।—रहीम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबड़ापन :
|
पुं० [हिं० कुबड़ा+पन (प्रत्यय)] कुबड़े होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबड़ी :
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स्त्री० [हिं० कुबड़ा] १. ऐसी स्त्री जिसकी कमर आगे की ओर झुकी हो। २. ऐसी छड़ी जिसका ऊपरी भाग कुछ झुका हुआ हो। वि० टेढ़ी। वक्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबत :
|
स्त्री० [सं० कु+हिं० बात] १. अनुचित, निदंनीय या बुरी बात। २. निन्दा। ३. बुरा आचरण या चाल-चलन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबरी :
|
स्त्री० १. =कुबड़ी। २. =कुब्जा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबलयापीड़ :
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पुं० =कुबलयापीड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-बलि :
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स्त्री० [सं० कुगति० स०] १. निंदनीय हीन, या बुरी बलि। २. बुरी तरह से चढ़ाई हुई बलि। उदाहरण—कुबरो करो कुबलि कैकेयो।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबली :
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स्त्री० [सं० कुवलय-भूमंडल (लाक्षणिक अर्थ में गोल)] गेंद की तरह गोल लपेटची हुई चीज। गोला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबहा :
|
वि० [हिं० कूबड़] १. (व्यक्ति) जिसकी पीठ पर कूबड़ हो। २. (पद्धार्थ) टेढ़ा। वक्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबाक :
|
पुं० [सं० कुवाक्य] १. कुवचन। गाली। २. शाप। ३. अशुभ या बुरी बात।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबानि :
|
स्त्री० [सं० कु+हिं० बान] अनुचित या बुरी आदत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबानी :
|
स्त्री० [सं० कु+बानी (वाणिज्य) बुरा वाणिज्य] दूषित या बुरा व्यवसाय। स्त्री० [सं० कु+वाणी] मुँह से निकली हुई अनुचित, अशुभ या बुरी बात। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबासन :
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स्त्री०=कुवासन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबिचार :
|
वि०=कुविचार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबिचारी :
|
वि०=कुविचारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबिजा :
|
स्त्री०=कुब्जा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबुद :
|
पुं० [फा०-कबूद=चितकबरा] एक प्रकार का बगला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-बुद्धि :
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वि० [सं० ब० स०] निकृष्ट बुद्धिवाला। दुर्बुद्धि। स्त्री० [कुगति० स०] १. बुरी या हानिकारक बुद्धि। २. मूर्खता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबेर :
|
पुं० =कुबेर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबेला :
|
स्त्री० [सं० कुवेला] १. अनुपयुक्त या बुरा समय। २. दुर्दिन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबोल :
|
पुं० [सं० कु+हिं० बोल] किसी को या किसी से संबंध में कही जानेवाली अनुचित, अशुभ या बुरा बात। बुरा वचन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुबोलना :
|
पुं० [हिं० कुबोल] [स्त्री० कुबोलिनी] अनचुति, अशुभ या बुरी बातें कहने या बोलने वाला। कुभाषी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुब्ज :
|
वि० [सं० कु√उब्ज् (सीधा करना)+अच्] [स्त्री० कुब्जा] १. जिसकी पीठ झुक गई हो या टोढ़ी हो। कुबड़ा। २. टेढ़ा। वक्र। पुं० एक रोग जिसमें पीठ कुछ टेढ़ी होकर आगे की ओर झुक जाती है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुब्ज-कंठ :
|
पुं० [ब० स०] एक प्रकार का सन्निपात जिसमें रोगी के गले में पानी नहीं उतरता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुब्जक :
|
पुं० [सं० कु√उब्ज्+ण्वुल्-अक] मालती। वि०=कुबड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुब्जा :
|
स्त्री० [सं० कुब्ज+टाप्०] १. कुबड़ी स्त्री। २. कंस की एक कुबड़ी दासी जो श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुब्जिका :
|
स्त्री० [सं० कुब्जक+टाप्, इत्व] १. आठ वर्ष की लड़की। २. दुर्गा का एक नाम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुब्बा :
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पुं० [हिं० कुबड़ा] [स्त्री० कुब्बी] कूबड़। डिल्ला। वि० १. टेढ़ा। २. कुबड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-भा :
|
स्त्री० [सं० कुगति स०] १. अप्रिय या बुरी आभा अथवा दीप्ति। २. ग्रहण के समय पड़नेवाली पृथ्वी की छाया। ३. काबुल नदी का पुराना नाम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-भाव :
|
पुं० [सं० कुगति० स०] अनुचित, दूषित या बुरा भाव। उदाहरण—भाव कुभाव अनख आलसहू।—तुलसी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुभृत :
|
पुं० [सं० कु√भृ (धारण करना)+क्विप्] १. पर्वत। २. शेषनाग का एक नाम। ३. सात की संख्या। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुंमठी :
|
स्त्री०=कमठी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमंत्रणा :
|
स्त्री० [सं० कुगति० स०] अनुचित अथवा बुरी मंत्रणा या सलाह। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमंत्रित :
|
वि० [सं० कुगति० स०] (व्यक्ति) जिसे बुरी मंत्रणा दी गई हो। (इल एडवाइज्ड) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमइत :
|
पुं० =कुम्मैत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमक :
|
स्त्री० [तु०] १. सैनिक कार्यों के लिए अथवा सैनिकों आदि के रूप में मिलनेवाली सहायता। २. किसी प्रकार की मदद या सहायता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमकी :
|
वि० [तु० कुमक] कुमक का। स्त्री० वह प्रशिक्षित हथनी जिसकी सहायता से हाथी पकड़े जाते हों। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमकुम :
|
पुं० [सं० कुकुंम] १. केसर। २. रोली। ३. नीबू के रस में भिगोई हुई हल्दी, जिसके छापे मांगलिक अवसरों पर लगाये जाते थे। ४. दे० ‘कुमकुमा’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमकुमा :
|
पुं० [तु० क़ुमकुमा] १. लाख का बना हुआ एक प्रकार का पोला गोला जिसमें अबीर, गुलाल आदि भरकर होली के दिनों में लोग एक दूसरे पर फेंकते हैं। २. उक्त आकार के काँच के पीले रंगीन गोले जो छतों में शोभा के लिए लटकाये जाते हैं। ३. छोटे या तंग मुँहवाला एक प्रकार का लोटा। ४. नक्काशी के काम के लिए सुनारों की एक प्रकार की टाँकी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमकुमी :
|
वि० [हिं० कुमकुमा] कुमकुमे के आकार का। गोल और पोला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमरिया :
|
पुं० [?] हाथियों की एक जाति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमरी :
|
स्त्री० [अ०] पंडुक की जाति का एक पक्षी। बनमुर्गी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमलना :
|
अ०=कुम्हलाना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमसुम :
|
पुं० [देश०] एक प्रकार का वृक्ष जिसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती और इमारत के काम आती है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमाइच :
|
स्त्री० [हिं० कुमाश] सारंगी बजाने की कमानी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमाच :
|
पुं० [अ० कुमाशः] १. एक प्रकार का रेशमी कपड़ा। उदाहरण—काम जु आवै कामरी का लै करै कुमाच।—तुलसी। २. गंजीफे में पत्तों का एक रंग। ३. मोटी और बेडौल रोटी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमार :
|
पुं० [सं०√कुमार् (खेलना)+अच्०] १. छोटा बालक, जिसकी अवस्था पाँच वर्ष तक की हो। २. युवक। ३. पुत्र। बेटा। ४. राजपुत्र। राजकुमार। ५. सनंदन, सनक, सुजात आदि ऋषि जिनके विषय में यह माना जाता है कि ये सदा बालक ही बने रहते हैं। ६. अग्नि। ७. अग्नि के एक पुत्र का नाम। ८. एक प्रजापति का नाम। ९. भारत वर्ष का पुराना नाम। १॰. सिंधु नद का एक नाम। ११. कार्तिकेय। १२. जैनों के अनुसार वर्तमान अवसर्पिणी के बारहवें जिन। १३. साईस्। १४. तोता। सुग्गा। १५. खरा सोना। १६. मंगल ग्रह। १७. एक ग्रह जो बच्चों के लिए भारी होता है। वि० [स्त्री० कुमारी] जिसका विवाह न हुआ हो। क्वारा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारग :
|
पुं० =कुमार्ग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमार-तंत्र :
|
पुं० [मध्य० स०] आयुर्वेद का वह विभाग जिसमें बच्चों को होनेवाले रोगो का विवेचन है और उनकी चिकित्सा के उपाय बतलाये गये है। बालतंत्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारबाज :
|
पुं० [अ० किमार=जूआ+फा० बाजी (प्रत्य)] जूआ खेलने वाला व्यक्ति। जुआरी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमार-भृत्या :
|
स्त्री० [ष० त०] १. वह विद्या जिसमें यह बतालाया जाता है कि गर्भिणी को सुखपूर्वक कैसे प्रसव कराया जाय (मिडवाइफरी) २. गर्भिणी अथवा नवजात शशुओं के रोगों की चिकित्सा |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारयु :
|
पुं० [सं० कुमार√या(गति)+कु (नि०)] राजकुमार। राज-पुत्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमार-ललिता :
|
स्त्री० [ब० स०] १. सात अक्षरों का एक वर्णवृत्त जिसमें क्रमशः एक जगण, एक सगण और अन्त में एक गुरु होता है। २. बच्चों की कीड़ा या खेल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमार-लसिता :
|
स्त्री० [ब० स०] आठ अक्षरों का एक वर्णवृत्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमार-वाहन :
|
पुं० [ष० त०] मयूर। मोर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमार-व्रत :
|
पुं० [ष० त] ब्रह्मचर्य व्रत का पालन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारसू :
|
स्त्री० [सं० कुमार√सू (उत्पत्ति)+क्विप्] पार्वती। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारामात्य :
|
पुं० [सं० कुमार-अमात्य, कर्म० स०] प्राचीन भारत में राज-परिवार का वह अधिकारी जो किसी मंत्री या दंड-नायक के अधीन या सहायक रूप में काम करता था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारिक :
|
वि० [सं० कुमार+ठन्-इक] (व्यक्ति) जिसके यहाँ बहुत से बच्चे हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारिका :
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स्त्री० [सं० कुमारी+कन्, टाप्, ह्रस्व] १. कुँआरी कन्या। कुमारी। २. पुत्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारिल् भट्ट :
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पु० शाबर भाष्य के रयचिया तथा अन्य श्रौत सूत्रों के प्रसिद्ध टीकाकार जिनके बौद्ध गुरु के किये गये अपमान के प्रायश्चित स्वरूप तुषानल में जल मरने की कथा प्रसिद्ध है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमारी :
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स्त्री० [सं० कुमार+ङीष्] १. बारह वर्ष की अवस्था की वह कन्या जिसका अभी विवाह न हुआ हो। २. पार्वती। ३. दुर्गा। ४. सीता। ५. भारत के दक्षिणी भाग का वह अंतरीप जहाँ पार्वती ने बैठकर शिव के लिए तपस्या की थी। ६. शाकद्वीप की एक नदी। ७. पृथ्वी का मध्य भाग। ८. रहस्य संप्रदाय में ऐसी माया या संपत्ति। जिसका भोग न किया जाता हो। ९. नव-मल्लिका। १॰. बाँझ ककोड़ी। ११. चचेली। १२. सेवती। १३. बड़ी इलायची। १४. घीकुमार। घृत कुमारी। वि० (बालिका) जिसका अभी विवाह न हुआ हो। कुँआरी। |
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कुमारी-पूजन :
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पुं० [ष० त०] कुमारी कन्या को देवी के रूप में मानकर उसकी की जानेवाली पूजा। (प्रायः नवरात्र आदि में)। |
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कुमार्ग :
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पुं० [सं० कुगति० स०] [वि० कुमार्गी] १. अनुचित या बुरा मार्ग। ऐसा मार्ग जिस पर चलना लोक में बुरा समझा जाता हो। २. अधर्म। ३. पाप। |
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कुमार्गगामी (मिन्) :
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वि० [सं० कुमार्ग√गम्+णिनि] १. कुमार्ग पर चलनेवाला। २. आचरण-भ्रष्ट। ३. अधर्मी। ४. पापी। |
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समानार्थी शब्द-
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कुमार्गी (मिन्) :
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वि० [सं० कुमार्ग+इनि] [स्त्री० कुमार्गीनी] १. कुमार्ग पर चलनेवाला। २. आचरण भ्रष्ट। ३. अधर्मी। पापी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमालक :
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पुं० [सं० कुमार+कन्, र=ल] १. एक प्राचीन देश जो आधुनिक मालवे के आस-पास था। २. उक्त देश का निवासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमाला :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का छोटा वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
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कुमीच :
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वि० [हिं० कु+मीच=मृत्यु] बहुत दुर्दशा भोगकर या बुरी तरह से मरनेवाला। उदाहरण—कहा जानै कैबाँ मुवौ ऐसी कुमति कुमीच।—सूर। स्त्री० बहुत ही दुर्दशा भोगकर या बुरी तरह से होनेवाली मृत्यु। |
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उपलब्ध नहीं |
कुमुक :
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स्त्री०=कुमक। |
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कु-मुख :
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पुं० [सं० ब० स०] १. रावण के दल का दुर्मुख नाम का योद्धा। २. सूअर। वि० बुरे मुख वाला। कुरूप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमुद् :
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पुं० [सं० कु√मुद् (प्रसन्न होना)+क्विप्]=कुमुद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमुद :
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पुं० [सं० कु√मुद्+क] १. कुईं कोका। २. लाल कमल। ३. चाँदी। ४. विष्णु। ५. विष्णु के एक पार्षद का नाम। ६. एक नाग का नाम। ७. एक दिग्गज का नाम। ८. राम की सेना के एक बंदर का नाम। ८. संगीत में एक प्रकार का ताल। १॰. एक द्वीप का नाम। ११. एक केतु तारा। वि० १. कंजूस। २. लोभी। कुमुदनी स्त्री०=कुमुदनी। |
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कुमुद-बंधु :
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पुं० [ष० त०] चंद्रमा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमुदिक :
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वि० [सं० कुमुद+ठन्-इक] १. कुमुद संबंधी। २. कुमुदों से पूर्ण या युक्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमुदिका :
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वि० [सं० कुमुद+ठन्-इक, टाप्] कट्फल। |
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कुमुदिनी :
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स्त्री० [सं० कुमुद+इनि-ङीष्] १. एक प्रकार का पौधा जिसमें कमल की तरह के सफेद पर छोटे फूल लगते हैं। २. उक्त पौधे के फूल जो रात के समय खिलते हैं। कुई। कोई। ३. वह स्थान जहाँ बहुत से कुमुद हों। |
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कुमुदिनी-पति :
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पुं० [ष० त०] चंद्रमा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमुद्वती :
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स्त्री० [सं० कुमुद्+ड्मतुप्, म=व] १. षड्च स्वर की दूसरी श्रुति। २. कुश की पत्नी जो नागराज कुमुद की बहन थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमेड़िया :
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पुं० =कुमारिया (हाथी)। |
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समानार्थी शब्द-
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कुमेदान :
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पुं० [अ० कुम्मः+फा० दान] मुसलमानी शासन काल में एक सैनिक पदाधिकारी। जैसे—शाही में अब्बा कुमेदान थे। |
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समानार्थी शब्द-
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कु-मेरु :
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पुं० [सं० उपमि० स०] पृथ्वी का दक्षिणी सिरा। दक्षिणी ध्रुव। (साउथ पोल)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमैड़ :
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पुं० [हिं० कु+मैड़-मेंड़] १. बुरा रास्ता। कुमार्ग। २. कपट। छल। धोखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमैड़िया :
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वि०=कुमार्गी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमैत :
|
वि०, पुं० =कुम्मैत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमोद :
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पुं० =कुमूद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुमोदक :
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पुं० [सं० कु√मद्(हर्ष)+णिच्+ण्वुल्-अक] विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
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कुमोदनी :
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स्त्री०=कुमुदिनी। |
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समानार्थी शब्द-
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कुम्मैत :
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पुं० [तु० कुमेत] १. घोड़े का एक रंग जो कुछ कालापन लिये लाल होता है। लाखी। २. उक्त रंग का घोड़ा। कुरंग। हाँसल। हिनाई। वि० जिसका रंग कुछ कालापन लिये लाल हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्मैद :
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पुं० वि०=कुम्मैत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्हड़ा :
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पुं० [सं० कूष्माण्ड, पा० कुम्हंड, प्रा० कुंमड] १. बड़े रोएँदार तथा गोल पत्तोवाली एक प्रसिद्ध बेल जिसके फल बड़े और गोल होते हैं। २. उक्त बेल का फल जिसकी तरकारी बनती है। काशीफल। पद—कुम्हड़े बतिया=अशक्त या दुर्बल मनुष्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्हड़ौरी :
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स्त्री० [हिं० कुम्हड़ा+ओरी] सफेद कुम्हड़े के कटे हुए छोटे-छोटे टुकड़ों की पीठी में लपेटकर तैयार की हुई बड़ियाँ जिनकी तरकारी बनती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्हरौटी :
|
स्त्री० [हिं० कुम्हार+औटी (प्रत्यय)] वह काली मिट्टी जिससे कुम्हार घड़े आदि बनाते हैं। जटाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्हलाना :
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अ० [सं० कु+म्लान] १. वनस्पतियों आदि का अधिक ताप या शीत न सह सकने के कारण कुछ-कुछ सूखने पर होना। २. किसी वस्तु की ताजगी या हरापन जाता रहना। ३. चिन्ता, दुःख आदि के कारण किसी के चेहरे का रंग फीका पड़ना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्हार :
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पुं० [सं० कुंभ-कार, प्रा० कुम्भआर, कुम्भार, गु० मरा० सुंभार, सि० कुंमरू, पं० कुम्ह्यार, बँ० कुमार, सिह, कुबुकरू] [स्त्री० कुम्हारी, कुम्हारिन] १. एक जाति जो मिट्टी के बर्तन बनाती और उन्ही के द्वारा अपनी जीविका चलाती है। २. उक्त जाति का व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्हारी :
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स्त्री० [हिं० कुम्हार] १. कुम्हार की स्त्री। २. कम्हार का काम, पद या भाव। कुंभकारी (पाँटरी) वि० कुम्हार का। कुम्हार-संबंधी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्ही :
|
स्त्री० [सं० कुंभी] जलकुंभी नाम की लता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुम्हेरी :
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स्त्री०=कुम्हारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-यश (स) :
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पुं० [सं० कुगति० स०] अपयश। बदनामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुयोधन :
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पुं० [सं० ब० स०] दुर्योधन का दूसरा नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुयोनि :
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स्त्री० [सं० कुगति० स०] क्षुद्र जंतुओं की योनि। तिर्यग् योनि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंकर :
|
पुं० [सं० कुरम्√कृ (करना)+ट] सारस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंकुर :
|
पुं० =कुरंकुर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंग :
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पुं० [सं० कु√रंग (गति)+अच्] [स्त्री० कुरंगी] १. तामड़े या बादामी रंग का हिरन। ३. बरवै नामक छंद का एक नाम। पुं० [सं० कु+हिं० रंग] १. बुरा रंग। २. बुरा लक्षण। वि० बुरे रंग का। बदरंग। वि० पुं०=कुम्मैत। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंगक :
|
पुं० [सं० कुरन्+कन्] मृग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंगम :
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पुं० [सं० कुर√गम् (जाना)+खच्, मुम्]=कुरंग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरं-लांछन :
|
पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंग-सार :
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पुं० [ष० त०] कुरंग अर्थात् हिरन की नाभि में से निकलने वाला सुगंधित द्रव्य। कस्तूरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंगिन :
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स्त्री० [सं० कुरंग] मादा हिरन। हिरनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंगिय :
|
पुं० १.=कुरंग। २.=कुलंग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-रंगी :
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वि० [हिं० कुरंग] १. बुरे या भद्दे रंगवाला। २. बुरे रंग ढंग या लक्षणोंवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंट :
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पुं० [सं०√कुर् (शब्द करना)+अंटक्] पीली कटसरैया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंटिका :
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स्त्री० [सं० कुरंट+कन्-टाप्, इत्व]=कुरंट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंड :
|
पुं० [सं० कुरुर्विंद=माणिक] १. एक प्रकार का खनिज पदार्थ जिसके चूर्ण को लाख आदि में मिलाकर हथियार तेज करने की शान बनाई जाती है। २. उक्त खनिज पदार्थ तथा लाख आदि की सहायता से बनाई जानेवाली सान। (ह्रेट-स्टोन) पुं० [सं०√कुर्+अंडक्] १. साकुरुंड वृक्ष जो गुजरात में पाया जाता है। २. अखरोट का पेड़। अक्षोट वृक्ष। ३. अंड-वृद्धि का रोग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंडक :
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पुं० [सं० कुरंड+कन्] पीली कटसरैया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंबा :
|
पुं० [देश] भेड़ों की एक जाति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरंभ :
|
पुं० [?] कछुआ। उदाहरण—ढैक कुरंभ कुरंच, हंस सारस सुभ भासिय।—चंदबरदाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर :
|
पुं० =कुल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरआन :
|
पुं० =कुरान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकनी :
|
स्त्री० [देश] गधे, घोड़े आदि पशुओं की खाल का अगला भाग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरका :
|
स्त्री० [सं० कुर√कै (शब्द करना)+क-टाप्] १. चीड़ या सलई की लकड़ी। २. ताम्रपर्णी नदी के किनारे की एक प्राचीन नगरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकी :
|
स्त्री०=कुर्की।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकुड :
|
पुं० [देश] कनखुरा या रीहा नामक घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकुट :
|
पुं० =कुक्कुट। (मुरगा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकुटा :
|
पुं० [देश] बहुत ही घटिया अन्न तथा उसका बना हुआ भोजन। उदाहरण—गंदक कहाँ कुरकुटा खावा।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकुर :
|
पुं० [अनु] १. कुरकुरी वस्तु के टूटने पर होनेवाला शब्द। २. करारी या खस्ता चीज खाने पर होनेवाला शब्द। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकुरा :
|
वि० [अनु] १. (पदार्थ) जो कुरकुर शब्द करता हुआ टूटे। मुरमुरा। २. (खाद्य पदार्थ) जिसे खाने में कुरकुर शब्द हो। जैसे—कुरकुरे चने। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकुराहट :
|
स्त्री० [हिं० कुरकुर] कुरकुर शब्द करने या होने का भाव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरकुरी :
|
स्त्री० [अनु] १. पतली मुलायम तथा लचीली हड्डी। २. घोड़ों को होनेवाला एक रोग जिसके कारण उसका पाखाना और पेशाब बन्द हो जाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरखेत :
|
पुं० =कुरुक्षेत्र। पुं० [हिं० कुर+खेत] ऐसा खेत जिसमें बीज अभी न बोया गया हो। अथवा अभी बोया जाने को हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरगरा :
|
पुं० [देश] राज-मजदूरों की एक प्रकार की छोटी थापी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरच :
|
पुं० [सं० क्रौंच] कराँकुल (पक्षी)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरचिल्ल :
|
पुं० [सं० कुर√चिल्ल (शिथिल होना)+अच्] केकड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरज :
|
पुं० [सं० क्रौंच] कराँकुल। (पक्षी)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरट :
|
पुं० [सं०√कुर्+अटन्] १. चमड़े का व्यापार करनेवाला व्यक्ति। २. चमड़े की वस्तुएँ बनानेवाला कारीगर। ३. मोची। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरड़ा :
|
पुं० [देश] [स्त्री० कुरड़ी] १. घोड़े की एक जाति जो अरबी तथा तुर्की के योग से उत्पन्न मानी जाती है। २. संकर जाति नस्ल का घोड़ा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरता :
|
पुं० [तु] [स्त्री० अल्पा० कुरती] कमीज के आकार का परन्तु ढीला-ढाला सिला हुआ एक प्रिसद्ध परिधान जिससे पूरा धड़ तथा दोनों बाहें ढक जाती हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरती :
|
स्त्री० [हिं० कुरता] १. स्त्रियों के पहनने का छोटा कुरता जिसमें प्रायः आगे की ओर बटन लगे रहते हैं। २. अँगिया या चोली के नीचे स्तन ढकने के लिए पहना जानेवाला एक परिधान। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरथी :
|
स्त्री०=कुलथी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरन :
|
पुं० =कुरंड।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरना :
|
अ० [हिं० कूरा-राशि] वस्तुओँ को एक जगह एकत्र करना तथा उनका ढेर लगाना। अ०=कुलरना (कलरव करना)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरबनही :
|
स्त्री० [हिं० कोर+बनाना] रुखानी के आकार का बढ्इयों का एक औजार जिससे वे लकड़ियों में कोर, नास आदि बनाते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरबान :
|
वि० [अ०] १. जो किसी अच्छे उद्देश्य की सिद्धि के लिए बलि चढ़ाया गया हो। निछावर। मुहावरा—कुरबान जाना=(किसी पर) निछावर होना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरबानी :
|
वि० [अ] १. किसी उद्देश्य की सिद्धि के लिए अथवा अपनी किसी मनःकामना की पूर्ति के लिए किसी इष्टदेव के सम्मुख किसी जीव या प्राणी को बलि चढ़ाने की क्रिया या भाव। २. किसी महान या स्तुत्य उद्देश्य की सिद्धि के लिए किया जानेवाला पूरा या बहुत बड़ा त्याग। ३. आत्म-बलिदान। आत्म त्याग। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरमा :
|
पुं० =कुनबा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरर :
|
पुं० [सं०√कु (शब्द करना)+करच्] [स्त्री० कुररी] १. गिद्ध की तरह का पक्षी। २. कुराँकुल या कौंच नामक पक्षी। ३. टिट्टिभ। टिटिहरी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुररा :
|
पुं० [सं० कुरर] [स्त्री० कुररी] १. कराँकुल। क्रौंच। २. टिटिहरी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुररी :
|
पुं० [सं० कुरर+ङीष्] १. आर्या छंद का एक भेद जिसमें चार गुरु और उनचास लघु होते हैं। स्त्री० [सं० कुरर] सिलेटी रंग की तथा लंबी चोंचवाली एक प्रसिद्ध चिड़िया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरल :
|
पुं० [सं०√कु (शब्द करना)+करन्, र=ल] १. कराँकुल। क्रौंच (पक्षी) २. घुँघराले बाल। वि० घुँघराला (बाल)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरलना :
|
अ० [सं० कलरव वा कुरव, हि० कुर्र] पक्षियों का मधुर स्वर में बोलना। कलरव करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरला :
|
पुं० =कुल्ला पुं० [सं० ] लाल फलों की कटसरैया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरलाना :
|
अ० [सं० करुणा] करुण स्वर में बोलना। आर्त्त-नाद करना। स० किसी को कुरलने में प्रवृत्त करना। अ०=कुरलना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-रव :
|
पुं० [सं० कुगति स०] १. बुरा शब्द। २. कर्कश स्वर। ३. [ब० स०] गीदड़। सियार। वि० कर्कश या खराब ध्वनि या स्वरवाला। पुं० =कुरवक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरवक :
|
पुं० [सं० कुरव+कन्]=कुरव। पुं० १. एक प्रसिद्ध पौधा जिसमें लाल फूल लगते हैं। लाल कुरैया। २. उक्त पौधे के फूल। ३. सफेद मदार और उसके फूल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरवा :
|
पुं० [सं० कुड़व] अनाज मापने का लकड़ी का बना हुआ एक बरतन। पुं० =कुरवक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरवारना :
|
स० [सं० कर्त्तन] १. खरोंचना। २. खोदना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरविंद :
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पुं० =कुरुविंद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरषना :
|
पुं० [सं० करुष] चिढ़ना। रुष्ट होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरसथ :
|
अ० [देश०] एक तरह की मटमैली खाँड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरसा :
|
पुं० [देश०] १. जल्दी बढ़कर फैलनेवाला एक प्रकार का सुहावना वृक्ष। २. जंगली गोभी का पौधा। पुं० [सं० कुलिश] एक प्रकार की बड़ी मछली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरसी :
|
स्त्री० [अ०] १. चार पायोंवाली एक प्रकार की ऊँची चौकी जिस पर एक व्यक्ति बैठता है तथा जिसमें पीठ के सहारे के लिए पटरी लगी रहती है। (चेअर)। यौ०—आराम कुरसी=एक प्रकार की बड़ी कुरसी जिसपर आदमी लेट सकता है। मुहावरा—कुरसी तोड़ना=भार बनकर कुरसी पर बेकार बैठे रहना। २. वह स्थान जिस पर कोई अधिकारी बैठता हो। अधिकारी का पद। जैसे—आज तो कोई मंत्री की कुरसी पर बैठ सकता है। मुहावरा—(किसी को) कुरसी देना=आदरपूर्वक बैठाना। ३. इमारत या भवन का उतना निर्मित अंश जो जमीन में चबूतरे की तरह रहता है और जिसके ऊपर इमारत बनती है। (प्लिन्थ) ४. जहाज के मस्तूल के ऊपर की वे आड़ी तिरछी लकड़ियाँ जिन पर खड़े होकर मल्लाह पाल की रस्सियाँ तानते हैं। ५. नाव के किनारे-किनारे लगे हुए तख्ते जिन पर आदमी बैठते हैं। पादारक। ६. पीढ़ी। पुश्त। पद—कुरसीनामा (देखें)। ७. हुमेल के बीच की चौकोर चौकी। उरबसी। तावीज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरसीनामा :
|
पुं० [अ०] वंशवृक्ष जिसमें किसी वंश की पीढ़ियों के लोग अलग-अलग अपने पद के अनुसार दिखाये या लिखे जाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरा :
|
पुं० [अ० कुरह] घाव, रोग आदि के कारण शरीर के किसी अंग में पड़नेवाली गाँठ। स्त्री० [सं० कुरव] कटसरैया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुराई :
|
स्त्री० [सं० कु+हिं० राह] १. बुरा रास्ता। कु-पथ। २. ऊबड़ खाबड़ मार्ग। पुं० =कुमार्गी। स्त्री० [देश०] अपराधियों के पाँवों में डालने का काठ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरान :
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पुं० [अ०] मुसलमानों का प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ जिसमें हजरत मुहम्मद की वाणियाँ संकलित हैं। मुहावरा—कुरान उठाना=कुरान हाथ में लेकर उसकी शपथ खाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरारी :
|
स्त्री० [हिं० कुररी] टिटिहरी उदाहरण—बाएँ कुरारी दाहिन कूचा।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुराल :
|
पुं० [देश०] पहाड़ी प्रदेशों में होनेवाला एक वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुराह :
|
स्त्री० [सं० कु+फा० राह] [वि० कुराही] १. कु-पथ। कुमार्ग। २. ऊबड़-खाबड़ दूर का या विकट मार्ग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुराहर :
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पुं० [सं० कोलाहल] कोलाहल। शोर-शराबा। वि० [हिं० कुराह] बुरे रास्ते पर चलनेवाला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुराही :
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वि० [हिं० कुराह+ई(प्रत्यय)] १. कुराह अर्थात् अनुचित या बुरे मार्ग पर चलनेवाला। कुमार्गी। २. दुराचारी। बदचलन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरिद :
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पुं० [?] दरिद्र। (डि०)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरिआरना :
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स० [हिं० कुरेदना] कोई चीज निकालने के लिए कुछ काटना या खोदना। उदाहरण—सुख कुरिआर फरहरी खाना।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरिया :
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स्त्री० [सं० कुटी, कुटीका] १. फूस की झोपड़ी। कुटिया। मड़ई। २. छोटा गाँव। स्त्री० [हिं० कुरेना-ढेर लगाना] ढेर। राशि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरियाना :
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स०१. =कुरेदना। २. =कुरेना (ढेर लगाना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरियाल :
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स्त्री० [सं० कल्लोल] चिड़ियों आदि का पंख खुजलाना। मुहावरा—कुरियाल में आना=आनन्द में मग्न होना। मौज में आना। कुरियाल में गुलेला लगना-रंग में भंग होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरिल :
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पुं० =कुरट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरिहार :
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पुं० [सं० कोलाहल] शोर-गुल। उदाहरण—को नहिं करे कोल कुरिहारा। जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
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कुरी :
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पुं० [सं० कु√रा (दान)+क, ङीष्] १. चेना नामक कदन्न। २. अरहर की फलियाँ। पुं० [सं० कुल०] १. खानदान। वंश। २. मकान। घर। स्त्री० [हिं० कुरैना=ढेर लगाना] ढेर। राशि। |
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कुरीति :
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स्त्री० [सं० कुगति स०] १. अनुचित या बुरी प्रथा या रीति। ऐसी रीति जो समाज में अच्छी न समझी जाती हो। कुप्रथा। २. दुराचार। कुचाल। अनरीति। |
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कुरीर :
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पुं० [सं०√कृ (करना)+कीरन्, उत्व] संभोग। मैथुन। |
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कुरुंट (क) :
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पुं० [सं० कु√ रुण्ट् (चुराना)+अण् (कुरुण्ट+क)] लाल कटसरैया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरुंड :
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पुं० [सं० कु√रुण्ड् (चुराना)+अण्] लाल कटसरैया। पुं० =कुरंड।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरुंब :
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पुं० [सं०√कृ+उम्बच्, उत्व] नारंगी का पेड़ और उसका फल। |
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समानार्थी शब्द-
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कुरुंबा :
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स्त्री०, [सं० कुरुंब+टाप्] द्रोणपुष्पी। |
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कुरुंबिका :
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स्त्री० [सं० कुरुंब+कन्+टाप्, इत्व]=कुरुंबा। |
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कुरु :
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पुं० [सं०√कृ+कु, उत्व] १. आर्यों का एक प्राचीन कुल। २. एक प्राचीन प्रदेश जिसके अन्तर्गत कुरुराष्ट्र, कुरुक्षेत्र और कुरुजांगल ये तीन इलाके थे। ३. एक प्रसिद्ध राजा जिसके वंश में पाण्डु और धृतराष्ट्र हुए थे। ४. उक्त वंश में उत्पन्न पुरुष। पुं० =कर्त्ता। वि०=क्रूर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कुरुआ :
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पुं० [सं० कुडव] अन्न मापने का एक पात्र जिसमें लगभग दस छटाँक अन्न आता है। |
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समानार्थी शब्द-
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कुरुआर :
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स्त्री० [हिं० कुरियाल] चिडियों आदि का मौज में पंख खुजलाना। उदा०-कोउ नहिं करै केलि कुरुआरा।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरुई :
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स्त्री० [सं० कुडव] बाँस या मूँज की छोटी डलिया। मौनो। |
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कुरु-क्षेत्र :
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पुं० [मध्य० स०] १. दिल्ली और अम्बाले के बीच के उस प्रदेश का प्राचीन नाम जहाँ महाभारत का युद्ध हुआ था। २. उक्त प्रदेश में स्थित एक तीर्थ जहाँ सूर्य-ग्रहण के समय स्नान करने के लिए लोग जाते है। |
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समानार्थी शब्द-
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कुरुख :
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वि० [सं० कु+फा० रूख] १. जिसने किसी के प्रति उदारता दया प्रेम आदि का भाव छोड दिया हो। २. कुपित। नाराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरुखेत :
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पुं० =कुरुक्षेत्र। |
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समानार्थी शब्द-
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कुरुजांगल :
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पुं० [द्व स०] एक प्राचीन प्रदेश जो पांचाल देश के पश्चिम में था। |
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समानार्थी शब्द-
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कुरुम :
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पुं० [सं० कूर्म्म] कूर्म। कच्छप। उदा०-गवनत कुरुम पीठि कलमली। -जायसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरुल :
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पुं० [सं० ] सिर के बालों की लट। पुं० =कुरंड। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरुला :
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स्त्री० [सं० कुरुल+टाप्] एक प्रकार का गमक। (संगीत)। |
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समानार्थी शब्द-
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कुरुविंद :
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पुं० [सं० कुरु√विद् (लाभ)+श, मुम्] १. मोथा। २. नीलम और मानिक की तरह का एक रत्न जिसका चूर्ण पालिश के काम आता है। ३. दर्पण। शीशा। ४. उरद। ५. ईंगुर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरूप :
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वि० [सं० ब स०] [स्त्री० कुरूपा] जिसका रूप या आकार अच्छा या सुडौल न हो। बदसूरत। बेडौल। भद्दा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरूपता :
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स्त्री० [सं० कुरूप+तल्-टाप्] कुरूप होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरेद :
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स्त्री० [हिं० कुरेदना] १. कुरेदने की क्रिया या भाव। २. मन में होनेवाली खलबली या उत्कट जिज्ञासा। (परिहास) |
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समानार्थी शब्द-
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कुरेदना :
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स० [सं० कर्त्तन] १. खुरचना या खरोचना। २. नीचे से कुछ निकालने के लिए ऊपर का कुछ अंश निकालना या हटाना। ३. लाक्षणिक रूप में किसी बात की टोह या रहस्य जानने के लिए किसी अन्य प्रासंगिक बात की उधेड़बुन करना। |
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समानार्थी शब्द-
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कुरेदनी :
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स्त्री० [हिं० कुरेदना] छड़ की तरह का एक लंबा औजार जो भट्ठे की आग आदि कुरेदने का काम आता है० |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरेभा :
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स्त्री० [सं० करभ=बच्चा] ऐसी गाय जो वर्ष में दो बार बच्चा देती हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरेर :
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स्त्री०=कुलेल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरेलना :
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पुं० =कुरेदना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरेलनी :
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स्त्री०=कुरेदनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरैत :
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पुं० [हिं० कूरा=भाग या ढेर] [स्त्री० कुरैतिन] साझीदार। हिस्सेदार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरैना :
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स० [हिं० कूरा] १. कूरा अर्थात् ढेर लगाना। २. दौरों, बोरों आदि में भरी हुई चीज एक स्थान पर गिराकर उसका ढेर लगाना। अ० ऊपर से ढेर के रूप में किसी चीज का नीचे आकर ढेर के रूप में गिरना या पड़ना। उदाहरण—जसुदा के कोरे एक बारक कुरै परी।—देव। पुं० ढेर। राशि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरैया :
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स्त्री० [सं० कु़टज] १. सुन्दर फूलों तथा लंबी लहरदार पत्तियों वाला एक जंगली पौधा। कुटज। गिरिमल्लिका। २. उक्त पौधे के फूल। ३. उक्त पौधे के बीज जिन्हें इंद्र जौ कहते है और जो दवा के काम आते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरौना :
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अ०, स०, पुं० =कुरैना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुरौनी :
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स्त्री० [हि० कूरा] ढेर। राशि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्क :
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वि० [तु० कुर्क] [भाव० कुर्की] न्यायालय के आदेशानुसार दंडस्वरूप या देन आदि चुकाने के लिए राज्या या शासन द्वारा किसी अपराधी या देनदार का जब्त किया हुआ (माल या संपत्ति)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्क-अमीन :
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पुं० [तु० कुर्क+फा० अमीन] वह शासनिक कर्मचारी जो न्यायालय के आदेशानुसार अपराधियों देनदारों आदि का माल कुर्क करता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्कनामा :
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पुं० [तु० कुर्क+फा० नामा] न्यायालय द्वारा जारी किया हुआ वह अधिपत्र जिसमें शासन को किसी अपराधी या देनदार की संपत्ति कुर्क करने का अधिकार दिया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्की :
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स्त्री० [तु० कुर्क+ई (प्रत्यय)] किसी का माल या धन-संपत्ति कुर्क करने की क्रिया या भाव। विशेष—दे० आसंजन। मुहावार-कुर्की उठाना=कुर्क या जब्त किया हुआ माल छोड़ देना। कुर्की बैठाना=कुर्क करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्कुट :
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पुं० [सं० कुर्√कुट् (कौटिल्य)+क] १. मुरगा। कुक्कुट। २. कूड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्कुर :
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पुं० [सं० कुर√कुर् (शब्द)+क] कुत्ता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्चिका :
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स्त्री० [सं० कूर्चिका० पृषो, ह्रस्व] १. कंद में से निकलनेवाला दूधिया तरल पदार्थ। २. कूची। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्ता :
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पुं० =कुरता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्त्ती :
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स्त्री०=कुरती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्दमी :
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स्त्री० [देश] जहाज का रास्ता। आलात। (लश।) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्मर :
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पुं० [सं०√कुर्+क्विप्, कुर्√पृ (पूर्ति)+अच्] १. कोहनी। २. घटना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्पास :
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पुं० [सं० कुर्पर√अस् (होना)+घञ्, पृषो, सिद्धि] १. कुरती के आकार-प्रकार का लोहे आदि का बना हुआ कवच जिसे योद्धा छाती पर बाँधते थे। २. स्त्रियों के पहनने की अंगिया। चोली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्पासक :
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पुं० [सं० कुर्पास+कन्]=कुर्पास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्ब :
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पुं० [अ०] समीपता। सामीप्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्बान :
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पुं० =कुरबान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्बानी :
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स्त्री०=कुरबानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्मी :
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पुं० =कुरमी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्मुक :
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पुं० [सं० क्रमुक] सुपारी। (डि०)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्रना :
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अ० [सं० कलरव] १. पक्षियों का कलरव करना। २. मधुर स्वर में बोलना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्री :
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स्त्री० [देश] पटरा या हेंगा। (खेत में चलाने का)। स्त्री०=कुरकुरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्स :
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पुं० [अ०] १. गोल टिकिया। जैसे—औषध आदि का। २. अरब देश का चाँदी का एक गोल सिक्का। पुं० [देश] एक प्रकार की घास जिसे बटकर रस्सी बनाई जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्सी :
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स्त्री०=कुरसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुर्सीनामा :
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पुं० =कुरसीनामा (वंशवृक्ष) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलंग :
|
पुं० [फा०] १. मटमैले रंग का एक प्रकार का पक्षी। २. मुरगा। ३. सिर पर वार करने का एक पुराना हथियार जिसमें लोहे के डंडे में दूसरा टेढ़ा और नुकीला डंडा लगा रहता था। ४. बहुत लंबा या लंबी टाँगों वाला व्यक्ति। (परिहास और व्यंग्य)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलंज :
|
पुं० =कुलंजन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलंजन :
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पुं० [सं० कु√रञ्ज् (राग)+णिच्+ल्युट-अन] १. मुलेठी की जाति का एक पौधा जिसकी जड़ दवा के काम में आती है। २. पान के पौधे की जड़ जो दवा के काम आती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलंभर :
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पुं० [सं० कुल√भृ (भरण करना)+खच्, मुम्] सेंध लगानेवाला चोर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल :
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पुं० [सं०√कुल् (बन्ध)+क या कु√ला (लेना)+क] १. झुंड। समूह। २. एक ही पुरुष से उत्पन्न सब वंशज अथवा उनकी पीढ़ियों का वर्ग या समूह। खानदान। घराना। वंश। परिवार। (फैमिली) मुहावरा—(किसी का) कुल बखानना=किसी के कुल के लोगों को कोसना, गाली देना, उनकी निंदा करना अथवा उनके दोषों का उल्लेख करना। ३. एक ही मूल तत्त्व या पदार्थ के भिन्न-भिन्न वर्गों या शाखाओं का समूह। (फैमिली) ४. घर। मकान। ५. हठयोग में कुंडलिनी शक्ति। ६. वाम मार्ग। कौल धर्म। ७. तंत्र के अनुसार आकाश, काल, जल, तेज, प्रकृति, वायु आदि पदार्थ। ८. संगीत में एक प्रकार का ताल। ९. कुलीनों का राज्य। कुलीन तंत्र। (कौ०)। वि० [अ०] १. मान, मात्रा, संख्या आदि के विचार से जितने हों, उतने सब। जैसे—कुल बीस आदमी थे। २. पूरा। सारा। जैसे—यह कुल खुराफत उन्हीं की है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-कंटक :
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पुं० [ष० त०] ऐसा व्यक्ति जिसके बुरे आचरण के कुल के लोग दुःखी तथा संतप्त रहते हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलक :
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पुं० [सं० कुल+कन्] १. एक साथ या एक ही स्थान पर होने, बनने प्रकाशित होनेवाली अथवा एक साथ काम आनेवाली वस्तुओं का समूह। (सेट) जैसे—(क) एक ही ग्रंथमाला के सब ग्रन्थों का कुलक। (ख) पहनने के सब कपड़ों का कुलक। २. संस्कृत में गद्य लिखने का एक ढंग या प्रकार। ३. दीया। दीपक। ४. हरा साँप। ५. परवल या उसकी लता। ६. कुचला नामक विष। ७. मकर तेंदुआ नामक वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलकना :
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अ०=निकलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-कर्त्ता (र्त्तृ) :
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पुं० [ष० त०] किसी कुल का आदि पुरुष। मूल पुरुष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-कलंक :
|
पुं० [ष० त०] वह व्यक्ति जो अपने बुरे आचरण से अपने कुल की मर्यादा नष्ट करता या उसमें कलंक लगाता हो। अपने वंश की कीर्ति में धब्बा लगानेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलकानि :
|
स्त्री० [सं० कुल+हिं० कान=मर्यादा] कुल की प्रतिष्ठा, मर्यादा और लज्जा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-कुडंलिनी :
|
स्त्री० [ष० त०] तंत्र के अनुसार एक शक्ति जिसका एक अंश यह भौतिक संसार माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलकुल :
|
पुं० [अनु] बोतल या सुराही में भरे हुए तरल पदार्थ को उँडेलने से होनेवाला शब्द। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलकुलाना :
|
अ० [अनु] १. कुल-कुल शब्द होना। २. विकल और व्यथित होना। स० १. कुलकुल शब्द उत्पन्न करना। २. विकल और व्यथित करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलकुली :
|
स्त्री० [अनु] १. =खुजली। २. =बेचैनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलक्षण :
|
वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० कुलक्षणी] १. बुरे लक्षणोंवाला। २. अशुभ। पुं० [कुगति स०] दूषित या बुरा लक्षण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलक्षणी (णिन्) :
|
वि० [सं० कुलक्षण+इनि] बुरे लक्षणोंवाला। स्त्री०बुरे लक्षणोंवाली स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलखना :
|
वि० [स्त्री० कुलखनी]=कुलक्षण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलगारी :
|
स्त्री० [सं० कुल+हिं० गाली] १. किसी के सारे कुल को दी जानेवाली गाली। २. ऐसी निंदा या बदनामी की बात जिससे सारे कुल को कलंक लगता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-गुरु :
|
पुं० [ष० त०] १. वह जिसके कुल या वंश के लोग बराबर किसी दूसरे कुल या वंश के लोगों के गुरु होते आये हों। २. गुरुकुल का अध्यक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलचंडी :
|
स्त्री० [ष० त०] एक देवी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलचा :
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पुं० [फा० कलीचा] १. गुँधे हुए आटे में खमीर उठाकर बनाई जानेवाली एक प्रकार की मोटी रोटी। २. औरों से छिपाकर इकट्ठा किया हुआ धन। ३. तंबू या खेमें के डंडे के ऊपर का गोल लट्टू। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलच्छन :
|
वि० पुं० =कुलक्षण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलच्छनी :
|
वि० स्त्री०=कुलक्षणी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलज :
|
पुं० [सं० कुल√जन् (पैदा होना)+ड] [स्त्री० कुलजा] १. अच्छे या उत्तम वंश से उत्पन्न व्यक्ति। २. परवल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलजा :
|
स्त्री० [देश] जंगली भेडों की एक जाति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलजात :
|
वि० [स० त०] १. किसी कुल या वंश से उत्पन्न होनेवाला। २. अच्छे कुल में उत्पन्न। कुलीन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलट :
|
वि० [सं० कुल√अट्+अच्] [स्त्री० कुलटा] बदचलन। व्यभिचारी। पुं० व्यभिचारिणी स्त्री का पुत्र। जारज संतान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलटा :
|
स्त्री० [सं० कुलट+टाप्] १. अनेक पर-पुरुषों से संबंध रखनेवाली स्त्री। दुराचारिणी। व्यभिचारिणी। २. साहित्य में वह नायिका जिसका संबंध अनेक पुरुषों से हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-तंतु :
|
पुं० [ष० त०] घर के सब लोगों का पालन-पोषण करनेवाला। मुख्य व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-तंत्र :
|
पुं० [ष० त०] ऐसा राज्य या शासन प्रणाली जिसमें सब काम क्रियात्मक या वास्तविक रूपमें कुछ विशिष्ट लोग ही गुट बाँधकर और मिलकर चलाते हों। (आलिंगार्की) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलतारन :
|
वि० [सं० कुल+हिं० तारन] [स्त्री० कुलतारनी] कुल को तारने या उसका उद्दार करनेवाला। पुं० वह व्यक्ति जिससे कुल पवित्र होता हो। कुल का यश बढ़ानेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलती :
|
स्त्री०=कुलथी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलत्थ :
|
पुं० [सं० कुल√स्था (ठहरना)+क, पृषो० सिद्धि]=कुलथी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलत्थिका :
|
स्त्री० [सं० कुलत्थ+कन्-टाप्, इत्व]=कुलथी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलथ :
|
पुं० =कुलथी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलथी :
|
स्त्री० [सं० कुलत्थ] उरद की जाति का एक मोटा अन्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-देव :
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पुं० [ष० त०] कुलदेवता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-देवता :
|
पुं० [ष० त०] [स्त्री० कुलदेवी] वह देवता जिसकी पूजा तथा वंदना किसी कुल के लोग परंपरा से करते चले आ रहे हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-धर :
|
पुं० [ष० त०] पुत्र। बेटा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-धर्म :
|
पुं० [ष० त०] ऐसा आचरण जिसे कुल के सब लोग सदा से करते चले आ रहे हो। कुल की रीति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-धारक :
|
पुं० [ष० त०] पुत्र। बेटा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलन :
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स्त्री० [हिं० कल्लाना] १. दर्द। पीड़ा। २. टीस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-नक्षत्र :
|
पुं० [मद्य० स०] तंत्र के अनुसार ये नक्षत्र-भरणी, रोहिणी, पुष्य, मघा, चित्रा, विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़, श्रवण और उत्तर भाद्रपद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलना :
|
अ०=कल्लाना। (शरीर के किसी अंग का)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-नाम (न्) :
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पुं० [ष० त०] वह संज्ञा जो कुल के सब पुरुषों के नामों के साथ लगती है। जाति या वंश-गत नाम। अल्ला। जैसे—उपाध्याय, त्रिवेदी आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-नायिका :
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स्त्री० [ष० त०] वाम मार्ग में ऐसी स्त्रियाँ जिनकी पूजा चक्र में बैठाकर की जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलनार :
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पुं० [देश०] सुरमई रंग का एक प्रकार का खनिज पदार्थ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-पढ़ैया :
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स्त्री० [फा० कुल-सब+हिं० पढ़ैया०] कुछ विशिष्ट अवसरों पर पढ़ी जाने वाली वह नमाज जिसमें किसी नगर या बस्ती के सब मुसलमान एक साथ सम्मिलित होते हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल-पति :
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पुं० [ष० त०] १. घर का स्वामी। २. प्राचीन भारत में गुरुकुल का वह प्रधान अधिकारी जो विद्यार्थियों को शिक्षा देता था और उनके भोजन वस्त्र आदि की भी व्यवस्था करता था। ३. आज-कल किसी विश्वविद्यालय का प्रधान। (चांसलर)। |
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कुल-पर्वत :
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पुं० [मध्य० स०] पुराणानुसार महेन्द्र, मलय, सह्य शुक्ति, ऋक्ष, विन्ध्य और पारियात्र इन सात पर्वतों का वर्ग। |
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कुल-पूज्य :
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वि० [तृ० त० या स० त०] १. जिसकी पूजा या आराधना किसी कुल के सब लोग करते हों। २. कुल में परंपरा से जिनकी पूजा होती चली आई हो। |
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कुलफ :
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पुं० [अ० कुल्फ] ताला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलफत :
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स्त्री० [अ० कुल्फत] १. कष्ट देनेवाली मानसिक चिंता। २. विकलता। |
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कुलफा :
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पुं० [फा० खुर्फा, अ० कुल्फः] एक साग,जिसके पत्ते छोटे चौड़े और नुकीले होते हैं। पुं० [हिं० कुलफी] विशेष प्रकार से जमाया हुआ दूध जिसमें कई प्रकार की पौष्टिक तथा सुगंधित चीजें मिली होती हैं। |
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कुलफी :
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स्त्री० [हिं० कुलफ] १. धातु का वह टुकड़ा जो किसी चीज में घूमने अथवा उसे घुमाने के लिए पेंच से कसा जाता है। २. टीन, मिट्टी आदि का बना हुआ चोगा जिसमें दूध आदि भरकर बर्फ की सहायता से जमाते हैं। ३. उक्त प्रकार से जमाया हुआ दूध या कोई खाद्य तरल पदार्थ। ४. हुक्के में की वह गोल या टेढ़ी नली जिसके ऊपर नरकुल लगाकर नैचा बाँधा जाता है। |
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कुलबाँसा :
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पुं० [हिं० कुल+बाँस] करघे में का वह बाँस जिसमें कंछी लगी रहती है। (जुलाहे) |
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कुलबुल :
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पुं० [अनु०] [भाव० कुलबुलाहट] १. बोतल, सुराही आदि सँकरे मुँह तथा चौड़े पेंदेवाले पात्रों में भरे हुए तरल पदार्थ को उँडेलने पर होनेवाला शब्द। २. छोटे-छोटे कीड़ों के हिलने-डुलने की क्रिया या उससे होनेवाला शब्द। ३. किसी चीज के हिलने-डुलने की क्रिया तथा उस क्रिया से उत्पन्न होनेवाला शब्द। |
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कुलबुलाना :
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अ० [हि० कुलबुल] १. बहुत-से छोटे-छोटे कीड़ों, पक्षियों आदि का एक साथ रेंगना, हिलना-डोलना तथा शब्द करना। २. कुछ कहने के लिए अत्यधिक व्यग्र होना। |
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कुलबुलाहट :
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अ० [हि० कुलबुल] १. कुलबुल करने या कुलबुलाने की क्रिया या भाव। |
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कुलबोरन :
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वि० [हिं० कुल+बोरना] अपने कुकृत्य या दुराचरण से कुल को कलंकित तथा उसकी मर्यादा नष्ट करनेवाला (व्यक्ति)। |
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कुल-राज्य :
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पुं० =कुल-तंत्र। |
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कुलवंत :
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वि० [सं० कुलवत्] [स्त्री० कुलवंती] अच्छे कुल का। कुलीन। |
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कुल-वधू :
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स्त्री० [मध्य० स०] उत्तम कुल की मर्यादा से रहनेवाली स्त्री। ऐसी वधू जो कुल के आचार का ठीक तरह से पालन करती है। |
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कुलवान् :
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वि० [सं० कुल+मतुप्, म=व] [स्त्री० कुलवती] अच्छे कुल या वंश का। (व्यक्ति)। कुलीन। |
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कुलशतावरग्राम :
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पुं० [सं० कुल-शत, ष० त० कुलशत-अवर, पं० त० कुलशतावर-ग्राम, ष० त०] ऐसा गाँव जिसमें एक सौ से अधिक लोग रहते हों। |
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कुल-संकुल :
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पुं० [तृ० त०] पुराणानुसार एक नरक। |
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कुल-संघ :
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पुं० [ष० त०] कुल-तंत्र शासन प्रणाली में शासन चलानेवालों का संघ या समूह। |
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कुलसन :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार की चिड़िया। |
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कुलह :
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स्त्री० [फा० कुलाह] १. एक प्रकार की गोल टोपी जिसके बीच का भाग कुछ ऊपर उठा होता है। प्रायः इसके ऊपर पगड़ी बाँधी जाती है। २. शिकारी चिड़ियों की आँखों पर बाँधी जानेवाली पट्टी। अँधियारी। पुं० [सं० कुलधर] वंशधर। उदाहरण—तहुँ सु विजय सुर राजपति जादू कुलह अभग्ग।—चंदबरदाई। |
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कुलहवरा :
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पुं० [फा० कुलाह+बाला] बच्चों के पहनने की एक प्रकार की छोटी टोपी या कंटोप जिसके पिछले भाग में चुना हुआ लंबा कपड़ा पीठ पर लटकता रहता है। |
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कुलहा :
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पुं०=कुलह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलही :
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स्त्री०=कुलहवरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलांगना :
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स्त्री० [सं० कुल-अंगना, म्य० स०] भले घर की साध्वी स्त्री। कुलवधू। |
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कुलांगार :
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पुं० [सं० कुल-अंगार, उपमि० स०] अपने ही कुल का नाश करनेवाला व्यक्ति। |
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कुलाँच :
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स्त्री० [तु० कुलाच०] १. दोनों हाथों के बीच की दूरी। २. चौकड़ी। छलाँग। |
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कुलाँचना :
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अ० [हिं० कुलाँच] छलाँगे लगाना। चौकड़ी भरना। |
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कुला :
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पुं० =कुलह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलाकुल :
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पुं० [सं० कुल-अकुल, द्व० स०] तंत्र के अनुसार कुछ निश्चित नक्षत्र, वार और तिथियाँ। |
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कुलाचल :
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पुं० [सं० कुल-अचल, मध्य० स०]=कुलपर्वत। |
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कुलाचार :
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पुं० [सं० कुल-आचार, ष० त०] १. वह आचार या रीतिव्यवहार जिसे किसी कुल के लोग परंपरानुसार करते चले आ रहे हों। २. वाममार्गियों का धर्म। कौल धर्म। |
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कुलाचार्य :
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पुं० [सं० कुल-आचार्य, ष० त०] १. कुल-गुरु। २. पुरोहित। |
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कुलाबा :
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पुं० [अ० कुलाबः] १. लोहे का वह छ्ल्ला जिसके द्वारा पल्ले को चौखट में कसा या जकड़ा जाता है। पायजा। २. नाली। मोरी। ३. मछली फँसाने का काँटा। |
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कुलाय :
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पुं० [सं० कुल√अय् (गति)+घञ्] १. शरीर। २. घोंसला। |
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कुलायिका :
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स्त्री० [सं० कुलाय+ठन्-इक, टाप्] वह स्नान जहाँ पक्षी रखे या पाले जाते हों। चिड़ियाघर। |
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कुलाल :
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पुं० [सं० कुल√अल् (गति)+अण्] [स्त्री० कुलानी] १. वह जो मिट्टी के बरतन बनाता हो। कुम्हार। २. बनमुरगा। ३. उल्लू। |
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कुलालिका :
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स्त्री० [सं० कुलाली+कन्, टाप्, ह्रस्व] दे०‘कुलाली’। |
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कुलाली :
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स्त्री० [सं० कुलाल+ङीष्] कुम्हारिन। कुम्हार की स्त्री० स्त्री० [देश] दूरबीन। (डि०) |
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कुलाह :
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पुं० [सं० कुल-आ√हन् (मारना)+ड] १. वह घोड़ा जिसका रंग भूरा और घुटने तथा पैर काले हो। २. वाराह। उदाहरण—कलि अवतार कुलाह, असंपति पारन कंसह।—चंदबरदाई। ३. कमल। पुं०=कुलह। |
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कुलाहक :
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पुं० [सं० कुलाह+कन्] १. गिरगिट। २. एक प्रकार का शाक। |
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कुलाहल :
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पुं० =कोलाहल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलिंग :
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पुं० [सं० कु√लिंग (गति)+अच्] चिडि़या। पक्षी। |
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कुलिंगक :
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पुं० [सं० कुलिंग+कन्] चटक। चिड़ा। |
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कुलिजन :
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पुं० =कुलंजन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलिंद :
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पुं० [सं० कुलि√दा+कन्, पृषो] १. उत्तर पश्चिमी भारत का प्राचीन प्रदेश। कुनिंद। २. उक्त प्रदेश का राजा। ३. उक्त प्रदेश का निवासी। |
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कुलि :
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वि०=कुल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलिक :
|
पुं० [सं० कुल+ठन्-इक] १. किसी कुल का प्रधान व्यक्ति। २. वह कलाकार या शिल्पकार जिसका जन्म अच्छे कुल में हुआ हो। ३. घुँघची का पेड़। ४. वह नाग जिसका रंग हलके भूरे रंग का होता है तथा जिसके मस्तक पर अर्द्धचंद्र बना होता है। इसकी गिनती आठ महानगरों में होती है। ५. तालमखाना। ६. ज्योतिष के अनुसार दिन का वह भाग जिसमें कोई शुभ काम अथवा यात्रा आदि करना वर्जित होता है। ७. केंकड़ा। ८. एक प्रकार का विष। |
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कुलिया :
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स्त्री० [सं० कुल्या] नहर में से निकला हुआ छोटा नाला। स्त्री० [हिं० कुल्हिया] छोटी और अँधेरी कोठरी। |
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कुलिर :
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पुं० [सं० √कुल्+इरन्]=कुलीर। |
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कुलिश :
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पुं० [सं० कुलि√शी (सोना)+ड] आकाश से गिरनेवाली बिजली। गाज। वज्र। २. कुठार। ३. हीरा। ४. राम, कृष्ण आदि अवतारों के चरणों में होनेवाला के प्रकार का चिन्ह जिसका आकार व्रज (अस्त्र) जैसा होता है। ५. एक प्रकार की मछली। |
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कुलिश-धर :
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पुं० [ष० त०] देवराज इंद्र जो हाथ में कुलीन या व्रज रखते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलिश-नायक :
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पुं० [ष० त०] एक प्रकार का रतिवंध। |
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कुलिश-पाणि :
|
पुं० [ब० स०] =कुलिशधर। |
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कुलिशासन :
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पुं० [कुलिश-आसन, ब० स०] गौतमबुद्ध। |
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कुलिशी :
|
स्त्री० [सं० कुलिश] वेदानुसार एक नदी जो आकाश के बीच में से होकर बहती है। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलिस :
|
पुं० =कुलिश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलींजन :
|
पुं० =कुंलजन। |
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समानार्थी शब्द-
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कुली :
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पुं० [तु] सिर पर बोझ (विशेषतः यात्रियों का सामान) ढोनेवाला अकुशल मजदूर। |
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कुली-कबाड़ी :
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पु० [हि० कुली+कबाड़ी] मेहनत मजदूरी विशेषतः सिर पर बोझ ढोनेवाला अकुशल मजदूर। |
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कुलीन :
|
वि० [सं० कुल+ख-ईन] [भाव, कुलीनता] १. (पवित्र) जिसका जन्म उच्च या उत्तम कुल में हुआ हो। २. (पशु) जो अच्छी नसल का हो। ३. पवित्र। शुद्ध। पुं० उच्च वर्ग के बंगाली ब्राह्मणों का एक वर्ग। |
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कुलीन-तंत्र :
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पुं० [सं० मध्य०स] वह शासन प्रणाली जिसमें किस देश का शासन उच्च कुल के लोग चलाते हैं। कुल-तंत्र। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलीर :
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पुं० [सं०√कुल (बाँधना)+ईरन्] केंकड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलीश :
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पुं० [सं० =कुलिश+पृषो० दीर्घ]=कुलिश। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलुक :
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पुं० [सं०√कुल+उलच्, ल=क] जीभ पर जमी हुई मैल। |
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कुलुक्क गुंजा :
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स्त्री० [सं० कु-लुक्का, स० त० कुलक्का-गुंजा, कर्म० स०] जलती हुई लकड़ी का टुकड़ा। लुकाठी। |
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कुलुफ :
|
पुं० [अ० कुफल्] १. दरवाजे बंद करने के लिए लगाया जानेवाला ताला० २. धातु का अँकुड़ीदार टुकड़ा जिसमें कोई चीज फँसाई जाती हो। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलुस :
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पुं० [सं० कुलिश] एक प्रकार की मछली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कुलू :
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पुं० [सं० कुलूत] काँगड़े के समीप का एक प्रसिद्ध पहाड़ी प्रदेश। पुं० दे० ‘गुलू’। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलूत :
|
पुं० [सं० ]=कुलू। पुं० आधुनिक कुलू प्रदेश का आधुनिक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलेल :
|
स्त्री०=कलोल। (कीड़ा)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलेलना :
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अ० [हिं० कुलेल] कुलेल या क्रीड़ा करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्टू :
|
पुं० दे० ‘कुटू’ या ‘कोटू’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्थी :
|
स्त्री०=कुलथी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्फ :
|
पुं० =कुलुफ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्फी :
|
स्त्री०=कुलफी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्माष :
|
पुं० [सं०√कुल+क्विप्, कुल-माष, ब० स०] १. एक प्रकार का मोटा अन्न० कुलथी। २. उरद। ३. वह अन्न जिसके दो दल या भाग होते है। दाल। जैसे—चना। ४. खिचड़ी। ५. काँजी। ६. एक प्रकार का रोग। ७. सूर्य का एक पारिपार्श्वक। |
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समानार्थी शब्द-
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कुल्य :
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पुं० [सं० कुल+यत्] उत्तम कुल में जन्मा हुआ व्यक्ति। कुलीन। |
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समानार्थी शब्द-
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कुल्या :
|
स्त्री० [सं० कुल्य+टाप्] १. कुलीन स्त्री। २. छोटी नहर। ३. नाली। पनाला। ४. जीवंती नामक ओषधि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्ल :
|
वि०=कुल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्ला :
|
पुं० [सं० कवल] [स्त्री० कुल्ली] १. मुँह तथा दाँत साफ करने के लिए मुँह में पानी भरकर बाहर फेंकने की क्रिया या भाव। २. चुल्लू भर पानी जो कुल्ला करने के लिए एक बार मुंह में लिया जाय। ३. वह घोड़ा जिसकी पीठ की रीढ़ पर काले रंग की धारी हो। पुं० [फा० काकुल, सं० कुंतल] [स्त्री० कुल्ली] बाल। जुल्फ। पट्टा। पुं०=कुलह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्ली :
|
स्त्री० [हिं० कुल्ला]=कुल्ला। स्त्री० [फा० काकुल] जुल्फ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्लुक :
|
पुं० [देश] एक प्रकार का बाँस जिसे बाँसिनी भी कहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्लूक :
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पुं० [सं० ] दिवाकर भट्ट के पुत्र जिन्होंने मनुसंहिता की टीका की है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्वक :
|
पुं० =कुलुक। |
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समानार्थी शब्द-
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कुल्हड़ :
|
पुं० [सं० कुल्हर] [स्त्री० कुल्हिया] मिट्टी का पका हुआ छोटा पात्र। चुक्कड़। पुरवा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्हाड़ा :
|
पुं० [सं० कुठार] [स्त्री० अल्पा० कुल्हाड़ी] पेड़ काटने तथा लकड़ी चीरने का एक प्रसिद्ध औजार। (ऐक्स)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्हाड़ी :
|
स्त्री० [हिं० कुल्हाड़ा का अल्पा०] १. छोटा कुल्हाड़ा। कुठार। टाँगी। २. बसूला। (लश०)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्हारा :
|
पुं० =कुल्हाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्हिया :
|
स्त्री० [हिं० कुल्हड़] १. मिट्टी का छोटा कुल्हड़। २. बहुत छोटी या तंग कोठरी (परिहास)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुल्हू :
|
पुं० =कुलू (देश)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवंग :
|
पुं० [सं० कु-वंग, उपमि० स०] सीसा नामक धातु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुव :
|
पुं० [सं० कु√वा (गति)+क] १. कमल। २. फूल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवज :
|
पुं० [सं० कुव√जन् (पैदा होना)+ड] ब्रह्मा जो कमल से उत्पन्न माने गये हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवम :
|
पुं० [सं० कु√वम् (बरसाना)+अच्] सूर्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-वर्ष :
|
पुं० [सं० कुगति० स०] बहुत अधिक या घोर वर्षा। अतिवृष्टि। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवल :
|
पुं० [सं० कु√वल् (गति)+अच्] १. जल। पानी। २. कुई। ३. मोती। ४. साँप का उदर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कु-वलय :
|
पुं० [सं० उपमि० स०] [स्त्री० कुवलयिनी] १. नील कुई। २. नील कमल। ३. भूमंडल। ४. अंसुरों का एक वर्ग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवलयापीड़ :
|
पुं० [कुवलय-आपीड़, ब० स०] कंस का वह हाथी जिसका वध श्रीकृष्ण ने किया था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवलयाश्व :
|
पुं० [कुवलय-अश्व, ब० स०] राजा धुंधुमार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवलयिनी :
|
स्त्री० [सं० कुवलय+इनि-ङीष्] नीली कुई का पौधा। नीली कुई के पौधों या फूलों का समूह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवाँ :
|
पुं० =कूँआ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवाँर :
|
पुं० [सं० कु+पाटल] जंगली गुलाब का पौधा और उसका फूल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवाक्य :
|
पुं० [सं० कुगति० स०] कुत्सित या बुरी बात। दुर्वचन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवाच्य :
|
वि० [सं० कुगति० स०] (बात) जो मुँह से कहना उचित न हो। न कहने योग्य (बात)। पुं० १. गाली। २. दुर्वचन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवाट :
|
पुं० =कपाट (राज०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवाण :
|
पुं० =कृपाण। पुं० [?] धनुष। (डि०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवार :
|
पुं० =कुआर (मास)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवारी :
|
वि० [स्त्री० हिं० कुवार]=कुआरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवासना :
|
स्त्री० [सं० कुगति० स] अनुचित या बुरी इच्छा या वासना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवाहुल :
|
पुं० [सं० कु√वह (ढोना)+उलञ् (बा)] ऊँट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुविंद :
|
पुं० [सं०√कुष् (खींच कर निकालना)+किन्दच्, ष=व] जुलाहा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुविचार :
|
पुं० [सं० कुगति० स] मन में होनेवाला कुत्सित, निंदनीय या बुरा विचार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुविचारी (रिन्) :
|
वि० [सं० कुविचार+इनि] १. बुरी बातें सोचनेवाला। २. भली-भाँति तथा ठीक विचार न करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुविजा :
|
वि० [सं० कुब्ज] टेढ़ा-मेढ़ा। उदाहरण—कुविजा खप्पर हथ्यं रिद्ध सिद्धाय वचनयं मज्झं।—चंदबरदाई। स्त्री०=कुब्जा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवेणी :
|
स्त्री० [सं० कु√वेण् (रखना)+इन्-ङीष्] १. वेणी (चोटी) जो ठीक प्रकार से गूँथी न गई हो। २. मछलियाँ रखने की टोकरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुवेर :
|
पुं० [√कुवं (आच्छादित करना)+एरक्, नलोप] १. पुराणानुसार यक्षों, और किन्नरों के राजा के सौतेले भाई थे और इंद्र की निधियों के भंडारी माने जाते हैं। यही विश्व की समस्त संपत्ति के स्वामी माने जाते हैं। २. तुन का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
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कुवेराचल :
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पुं० [कुवेर-अचल, मध्य० स०] कैलास पर्वत। |
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समानार्थी शब्द-
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कुवेराद्रि :
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पुं० [कुवेर-अद्रि, मध्य० स०] कैलास पर्वत। |
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समानार्थी शब्द-
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कुवेल :
|
पुं० [सं० कुव=पुष्प+ई=शोभा√ला (आदान)+क] कमल। |
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समानार्थी शब्द-
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कुवेला :
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स्त्री० [सं० कुगति० स०] १. अनुचित या अनुपयुक्त समय। २. बुरा समय। दुर्दिन। |
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समानार्थी शब्द-
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कु-व्यवहार :
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पुं० [सं० कुगति० स०] किसी के प्रति किया जानेवाला अनुचित या निंदनीय व्यवहार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुशंडिका :
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स्त्री० [सं० कुशम्√डी (प्राप्त होना)+क्विप्, विभक्ति का अलुक्+कन्-टाप्, ह्रस्व]=कुशकंडिका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुश :
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पुं० [सं० कु√शी (सोना)+ड] [स्त्री० कुशा, कुशी] १. एक प्रकार की प्रसिद्ध घास जो पवित्र मानी जाती है और जिसका उपयोग धार्मिक कृत्यों, यज्ञों आदि में होता है। २. जल। पानी। ३. एक राजा जो उपरिचर वसु का पुत्र था। ४. भगवान राम के एक पुत्र का नाम। ५. पुराणानुसार के द्वीप। ६. बलाकाश्व का पुत्र। ७. हल की फाल। कुसी। वि० १. कुत्सित। २. पागल। |
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कुश-कंडिका :
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स्त्री० [तृ० त०] यज्ञ के समय अग्नि की वेदी या कुंड के चारों ओर कुश रखने की एक प्रक्रिया। |
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कुश-केतु :
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पुं० [ब० स०] १. ब्रह्मा। २. कुशध्वज (राजा)। |
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कुश-द्वीप :
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पुं० [मध्य० स०] १. सात द्वीपों में से एक जो घृत समुद्र से गिरा हुआ माना गया है। (पुराण) २. मध्यकालीन साहित्य में प्राचीन हब्स देश (हब्शियों का देश) जिसे आजकल एबिसीनिया कहते हैं। |
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कुश-ध्वज :
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पुं० [ब० स०] १. राजा ह्रस्वरोम का पुत्र और सरीध्वज जनक का छोटा भाई। २. बृहस्पति के पुत्र एक ऋषि। |
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कुशन :
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पुं० [अं०] मोटा गद्दा। |
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कुश-नाभ :
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पुं० [ब० स०] राजा कुश का पुत्र और रामचन्द्र का पौत्र। |
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कुशप :
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पुं० [सं०√कुश् (दीप्ति)+कपन् (बा)] पानी पीने का बरतन। |
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कुश-पत्रक :
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पुं० [ब० स०] फोड़ा चीरने का एक धारदार अस्त्र। |
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कुश-पलवन :
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पुं० [ब० स०] महाभारत में उल्लिखित एक तीर्थ। |
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कुश-मुद्रिका :
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स्त्री० [मध्य० स०] कुश नामक घास की बनी हुई एक प्रकार की अँगूठी जो धार्मिक कार्यों के समय पहनी जाती है। पवित्री। |
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कुशय :
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पुं० [सं० कु√शी (सोना)+अच्] १. जलाशय। जलकुंड। २. पानी पीने का बरतन। |
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कुशल :
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वि० [सं० कुश+लच्] [भाव० कुशलता, कौशल, स्त्री० कुशला] १. (व्यक्ति) जो सब तरह के काम या बातें बहुत अच्छी तरह से करना जानता हो। भली भाँति कार्य संपादित करनेवाला। चतुर। होशियार। (स्किलफुल) २. (व्यक्ति) जिसने कोई काम अच्छी तरह करने की शिक्षा पाई हो। प्रशिक्षित तथा योग्य चतुर। (स्किल्ड) ३. पुण्यशील। पुं० [सं०] १. नीरोग तथा स्वस्थ होने की अवस्था या स्थिति। खैरियत। राजी-खुशी। जैसे—कुशल से तो हैं ? २. शिव। ३. कुशद्वीप का निवासी। |
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कुशलता :
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स्त्री० [सं० कुशल+तल्-टाप्] कुशल होने की अवस्था या भाव। २. चतुराई। होशियारी। ३. सकुशल या अच्छी तरह होने की अवस्था या भाव। |
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कुशल-प्रश्न :
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पुं० [ष० त०] किसी से यह पूछना कि आप कुशलपूर्वक या अच्छी तरह है न। |
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कुशलाई :
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स्त्री० दे० ‘कुशलता’। |
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कुशलात :
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स्त्री० [सं० कुशलता] किसी के कुशलपूर्वक या अच्छी तरह होने का समाचार। |
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कुशली (लिन्) :
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वि० [सं० कुशल+इनि] [स्त्री० कुशलिनी] १. जो कुशल हो। दक्ष। चतुर। २. नीरोग स्वस्थ। |
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कुशली :
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स्त्री० [?] १. अखुटा नामक वृक्ष। २. अमलोनी नामक वनस्पति। |
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कुश-वन :
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पुं० [मध्य० स०] ब्रजभूमि का एक वन। |
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कुशवाहा :
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पुं० [सं० कुशवाह] क्षत्रियों का एक भेद या वर्ग। |
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कुश-स्तरण :
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पुं० [ष० त०] यज्ञकुंड के चारों ओर कुश बिछाने की क्रिया या भाव। |
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कुश-स्थली :
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स्त्री० [ष० त०] १. द्वारकापुरी। २. विंध्यप्रदेश में स्थित एक प्राचीन नगरी। कुशावती। |
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कुश-हस्त :
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वि० [ब० स०] जो श्राद्ध, तर्पण या दानादि के लिए हाथ में कुश लेकर उद्यत हो। |
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कुशांगुली (री) य :
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स्त्री० [कुश-अंगुली (री) य, मध्य० स०] १. शुद्धता के विचार से अनामिका में पहनी जानेवाली ताँबे की मुँदरी। २. पवित्री। पैंती। |
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कुशांब :
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पुं० [सं० ] राजा कुश के पुत्र जिन्होंने कौशांबी नगरी बसाई थी। |
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कुशांबु :
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पुं० [सं० कुश-अंबु०, मध्य० स०] १. कुश के अगले भाग से टपकता हुआ जल जो पवित्र माना जाता है। २.=कुशांब। |
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कुशा :
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स्त्री० [सं० कुश+टाप्] १. कुश नामक घास। (दे०) २. रस्सी। ३. एक प्रकार का मीठा नीबू। वि० [फा] १. खोलने या फैलानेवाला। जैसे—दिलकुशा। २. सुलझानेवाला। जैसे—मुश्किल कुशा। |
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कुशाकर :
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पुं० [सं० कुश-आ√कृ (बिखेरना)+अप्] यज्ञ की अग्नि। |
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कुशाक्ष :
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पुं० [कुश-आक्षि, ब० स०] बंदर। |
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कुशाग्र :
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पुं० [कुश-अग्र, ष० त०] कुशा का अगला नुकीला भाग। वि० [सं०] कुश की नोक जैसा तीखा। अति तीक्ष्ण। नुकीला। |
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कुशाग्र-बुद्धि :
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वि० [ब०स] तीक्ष्ण बुद्धिवाला। जो बहुत जल्दी सब बातें समझ लेता हो। |
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कुशादगी :
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स्त्री० [फा०] कुशादा या विस्तृत होने की अवस्था या भाव। विस्तार। |
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कुशादा :
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वि० [फा०] [संज्ञा कुशादगी] १. चारों ओर से खुला हुआ या लंबा-चौड़ा। विस्तृत। २. फैला हुआ। |
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कुशारणि :
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पुं० [कुश-अरणि, ब० स] दुर्वासा ऋषि। |
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कुशावती :
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स्त्री० [सं० कुश+मतुप्-ङीष्, म=व, दीर्घ] रामचन्द्र के पुत्र कुश की राजधानी। |
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कुशावर्त :
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पुं० [कुश-आवर्त, ब० स०] १. हरिद्वार में एक तीर्थ स्थान। २. एक ऋषि का नाम। |
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कुशाश्व :
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पुं० [कुश-अश्व, ब० स०] इक्ष्वाकु वंश का एक राजा। |
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कुशासन :
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पुं० [कुश-आसन, मध्य० स०] कुश नामक घास का आसन। कुश की चटाई। |
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कु-शासन :
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पुं० [सं० कुगति० स०] ऐसा शासन जिसके कारण देश में अव्यवस्था फैली हो। बुरा शासन। |
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कुशिक :
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पुं० [सं० कुश+ठन्-इक] १. एक प्राचीन आर्यवंश। २. उक्त वंश का व्यक्ति। ३. एक राजा जो गाधि के पिता और विश्वामित्र के दादा थे। ४. हल का अगला नुकीला भाग। फाल। कुसी। ५. बहेड़ा। ६. साखू या शाल नामक वृक्ष। ७. तेल की तलछट। |
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कुशी (शिन्) :
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वि० [सं० कुश+इनि] कुशवाहा। जिसके हाथ में कुश हो। पुं० वाल्मिकी ऋषि का एक नाम। |
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कुशीद :
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पुं० =कुसीद। |
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कुशीनगर :
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पुं० [सं०] भगवान बुद्ध का निर्वाण-स्थान जो आज-कल कसया कहलाता है। |
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कुशीनार :
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पुं० =कुशीनगर। |
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कुशीलव :
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पुं० [सं० कु-शील, कुगति० स०+व] १. कवि। २. चारण। भाट। ३. अभिनेता। नट। ४. गवैया। ५. वाल्मिकी ऋषि। |
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कुशुंभ :
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पुं० [सं० कु√शुंभ् (शोभित होना)+अच्] १. संन्यासियों का जलपात्र या कमंडल। २. घड़ा। |
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कुशूल :
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पुं० [सं०√कुस् (घेरना)+ऊलच्, पृषो० स०=श] १. अनाज रखने का कोठार। बखार। २. कड़ाही। ३. भूसी की आग। ४. एक राक्षस का नाम। पुं० [सं० कु+शूल] १. बुरा शूल या कांटा। २. भयंकर दर्द या पीड़ा जो बहुत कष्टदायक हो। |
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कुशूल-धान्यक :
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पुं० [ब० स०] वह गृहस्थ जिसके पास तीन वर्ष तक खाने भर को अन्न हो। |
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कुशेश :
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पुं० =कुशेशय। |
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कुशेशय :
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पुं० [सं० कुशे√शी (सोना)+अच्, अलुक्] १. कमल। २. कनक चंपा। ३. सारस। ४. एक पर्वत जो कुश द्वीप में स्थित माना गया है। |
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कुशोदक :
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पुं० [कुश-उदय, मध्य० स०] ऐसा जल जिसमें कुश घास की पत्तियाँ छोड़ी गई हों। (ऐसा जल पवित्र माना जाता है)। |
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कुशोदका :
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स्त्री० [कुश-उदय, ब० स०, टाप्] कुशद्वीप की एक देवी का नाम। |
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कुश्तमकुश्ता :
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पुं० [हिं० कुश्ती] लड़ने के समय आपस में गुथकर एक दूसरे को पटकने के लिए होनेवाले प्रयत्न।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुश्ता :
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वि० [फा० कुश्तः] फूँका हुआ। पुं० रासायनिक क्रियाओं द्वारा धातुओं, रसों आदि को फूँककर तैयार की हुई भस्म जो पौष्टिक तथा स्वास्थ्य-वर्धक मानी जाती है। |
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कुश्ती :
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स्त्री० [फा०] एक प्रसिद्ध भारतीय खेल या व्यायाम जिसमें दो व्यक्ति अपने शारीरिक बल तथा दांव-पेंच से एक दूसरे को गिराकर चित करने का प्रयत्न करते हैं। मुहावरा—कुश्ती खाना=कुस्ती में हार जाना। कुश्ती बदना=दो पहलवानों में परस्पर यह निश्चय होना कि हम लोग कुश्ती लड़ेंगे। कुश्ती माँगना=(किसी को) अपने साथ कुश्ती लड़ने के लिए कहना या ललकारना। कुश्ती मारना=कुश्ती में विरोधी को चित गिरा देना और उसे जीतना। कुश्ती लड़ाना-किसी को कुश्ती लड़ने के ढंग तथा दांव-पेंच सिखलाना। पद—कुस्तमकुश्ता। (देखें)। |
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कुश्तीबाज :
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वि० [फा०] (व्यक्ति) जिसे कुश्ती लड़ने का शौक हो। पहलवान। |
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कुषल :
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वि० [सं०√कुष् (निष्कर्ष)+कलच्] कुशल। (दे०)। |
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कुषाकु :
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पुं० [सं०√कुष्+काकु] १. सूर्य। २. अग्नि। ३. बंदर। |
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कुषीतक :
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पुं० [सं०] १. एक ऋषि। २. एक प्रकार का पक्षी। |
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कुषीद :
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वि० [सं०√कुस् (घेरना)+इदम्, पृषो० सिद्धि] उदासीन। |
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कुषुंभ :
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पुं० [सं०√कुषुभ् (क्षेप)+अच्, पृषो० सिद्धि] कीड़े-मकोड़े की वह थैली जिसमें उनका जहर भरा रहता है। |
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कुष्ठ :
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पुं० [सं० कुश्+क्थन्] १. एक संक्रामक रोग जिसमें शरीर की त्वचा, तंतु, नसें आदि मलने तथा सडने लगती हैं और इस प्रकार अंग बेकार हो जाते हैं। कोड़। (लेप्रेसी) २. कुट या कुड़ा नाम की ओषधि। |
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कुष्ठ-केतु :
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पुं० [ब० स०] भुई खेखसा नाम का लता। माकिंडिका। |
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कुष्ठ-गंधि :
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स्त्री० [ब० स०] एलुआ। (ओषधि)। |
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कुष्ठध्न :
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पुं० [सं० कुष्ठ√हन् (नष्ट करना)+टक्] हितावली नाम की ओषधि। |
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कुष्ठध्नी :
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स्त्री० [सं० कुष्ठध्न+ङीष्] कठूमर। |
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कुष्ठ-सूदन :
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पुं० [सं० कुष्ठ√सूद् (नष्ट करना)+णइच्+ल्यु-अन] अमलतास। |
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कुष्ठहत् :
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पुं० [सं० कुष्ठ√ह्व (हरण करना)+क्विप्] १. खैर का पेड़। २. विट् खदिर। वि० कुष्ठ नाशक। |
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कुष्ठारि :
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पुं० [कुष्ठ-अरि, ष० त०] १. आक या मदार का पत्ता। २. गंधक। ३. परवल। ४. दे,० कुष्ठह्रत। वि०=कुष्ठनाशक। |
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कुष्ठालय :
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पुं० [सं० कुष्ठ-आलय, ष० त०] वह भवन या चिकित्सालय जिसमें कोढ़ियों को रखकर चिकित्सा और सेवा-सुश्रुषा की जाती है। |
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कुष्ठी (ष्ठिन्) :
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पुं० [सं० कुष्ठ+इनि] [स्त्री० कुष्ठिनी] वह व्यक्ति जो कुष्ठ रोग से पीडि़त हो। कोढ़ी। |
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कुष्मल :
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पुं० [सं०√कुष्+क्मलन्] १. पत्ता। २. काटना या छेदना। |
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कुष्मांड :
|
पुं० [सं० कु-उष्मन्-अंड, ब० स०] १. कुम्हड़ा। २. गर्भ स्थल। जरायु। ३. एक प्रकार के देवता जो शिव के अनुचर कहे गये हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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कुष्मांडी :
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स्त्री० [सं० कुष्मांड+ङीष्] १. पार्वती। २. यज्ञ की क्रिया। ३. ककोस। |
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कु-संग :
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पुं० [सं० कुगति स०] बुरे या हीन लोगों का संग या साथ। बुरी सोहबत। |
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कुसंगति :
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स्त्री० [सं० कुगति स०] दे० ‘कुसंग’। |
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कु-संस्कार :
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पु० [सं० कुगति स०] ऐसे दूषित संस्कार जिनके कारण मनुष्य बुरी बातें सोचता तथा बुरे काम करता है। |
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कुस :
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पुं० =कुश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसगुन :
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पुं० [सं० कु+हिं० सगुन] बुरा सगुन। असगुन। |
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कुसना :
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स० [सं० कुश] खेतों में उगी हुई घास आदि उखाड़ना। निराना। |
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कु-समय :
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पुं० [सं० कुगति स०] १. ऐसा समय जिसमें कोई अपनी जीविका का निर्वाह ठीक प्रकार से न कर पा रहा हो। कष्ट या दुःख के दिन। बुरा समय। २. वह समय जो काम करने के लिए उपयुक्त न हो। ३. नियत से आगे या पीछे का समय। |
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कुसमिसाना :
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अ०=कसमसाना। |
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कुसर :
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पुं० [देश] पानी बेल या मूसल नामक लता की जड़ जो दवा के काम आती है। वि०=कुशल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसल :
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वि० पुं० =कुशल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसलई :
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स्त्री० १. =कुशलता। २. =कुशलात।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसलछेम :
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पुं० =कुशल-क्षेम। |
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समानार्थी शब्द-
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कुसलाई :
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स्त्री० १. =कुशलता। २. =कुशलात।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुसलात :
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स्त्री० १. =कुशलता। २. =कुशलात।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसली :
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स्त्री० [हिं० कसैली] १. आम की गुठली। २. आम की गुठली के आकार का एक पकवान। गोझा। वि०=कुशली। |
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कुसवा :
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पुं० [सं० कुश] धान की फसल में होनेवाला खैरा नामक रोग। |
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कुसवारी :
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पुं० [सं० कोशकार] १. रेशम का जंगली कीड़ा। २. रेशम का कोया। |
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कुसवाहा :
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[?] कोइरी (हिंदू जाति)। काछी। पुं० =कुशवाहा। |
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कुससथली :
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स्त्री०=कुश-स्थली। |
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कुसांब :
|
पुं० =कुशांब। |
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कुसाइत :
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स्त्री० [सं० कु+अ० सायत] १. ऐसी साइत या मुहूर्त्त जो उत्तम न हो। बुरी साइत। २. अनुपयुक्त अवसर या समय। |
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कुसाखी :
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पुं० [सं० कु+शाखिन्=वृक्ष] खराब या बुरा पेड़। पुं० [सं० कु+साक्षी] खराब या बुरा गवाह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसारी :
|
स्त्री० दे० ‘कुसवारी’। |
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कुसिया :
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स्त्री०=कुसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसियार :
|
पुं० [सं० कोशकार] १. सफेद रंग का एक बढ़िया गन्ना। थून। २. ईख। गन्ना। |
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कुसियारी :
|
पुं० =कुसवारी। |
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कुसी :
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स्त्री० [सं० कुशी] १. हल का नुकीला भाग। फाल। स्त्री०=खुशी (प्रसन्नता) उदाहरण—निस दिन होत कुसी।—मीराँ। वि०=खुश (प्रसन्न)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसीद :
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पुं० [सं०√कुस् (श्लेष)+ईद, न गुणः (नि०)] [स्त्री० कुसीदा, वि० कुसीदिक] १. सूद पर रुपया देना। महाजनी। २. मूलधन का ब्याज या सूद। ३. ब्याज या सूद पर दिया जानेवाला धन। ४. लाल चंदन। वि० १. सूदखोर। २. सुस्त। |
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कुसीदजीवी (विन्) :
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पुं० [सं० कुसीद√जीव् (जीना)+णिनि] महाजनी करने वाला। सूदखोर महाजन। |
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कुसीद-वृद्धि :
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स्त्री० [मध्य० स०] ब्याज। |
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कुसीदिक :
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वि० [सं० कुसीद+ष्ठन्-इक] कुसीद या ब्याज-संबंधी। पुं० =कुसीद। |
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कुसीनार :
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पुं० =कुशीनगर। |
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कुसुंब :
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पुं० [सं० कुसुम्भ या कुसुम्बक] १. भारत, बरमा चीन आदि में पाया जानेवाला एक प्रकार का वृक्ष। २. दे० ‘कुसुम’। |
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कुसुंबिया :
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स्त्री० दे० ‘कुसुब’। वि० [हिं० कुसुंब] १. कुसुंब संबंधी। २. कुसुंब के रंग का। |
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कुसुंभ :
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पुं० [सं०√कुस्+उम्भ, गुणभाव (नि०)] १. कुसुम या बर्रे नाम का पौधा। २. केसर। कुमकुम। |
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कुसुंभा :
|
पुं० [सं० कुसुंभ] १. कुसुम का रंग। २. अफीम और भाँग के योग से बननेवाला एक मादक पेय। स्त्री० [सं० कुसुंभ+टाप्] आषाढ़ शुक्ल पक्ष की छठ। |
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समानार्थी शब्द-
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कुसुंभी :
|
वि० [सं० कुसुंभ] कुसुम के रंग का। लाल। |
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कुसुम :
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पुं० [सं०√कुस्+उम, गुणाभाव (नि०)] [वि० कुसुमित] १. पुष्पों। फूल। २. स्त्रियों का रजस्राव। ३. लाल रंग। ४. ऐसा गद्य जिसमें छोटे-छोटे वाक्य हो। ५. वर्तमान अवसर्पिणी के छठे अर्हत् के गणधर। ६. एक राग जो मेघराग का पुत्र कहा गया है। ७. आँखों का एक रोग। ८. छंदशास्त्र में ठगण का छठा भेद जिसमें क्रमशः लघु, गुरु, और लघु (।ऽ॥) होते हैं। पुं० [सं० कुसुभ] एक प्रसिद्ध पौधा जो रबी की फसल के साथ बीजों या फूलों के लिए बोया जाता है। बर्रे। कुसुंब। |
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कुसुम-कार्मुक :
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पुं० [ब०स] कामदेव, जिनका धनुष फूलों का है। |
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कुसुम-चाप :
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पुं० =कुसुम-कार्मुक। |
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कुसुम-पंचक :
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पुं० [ष० त०] कामदेव के पाँच बाण। |
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कुसुम-पल्ली :
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स्त्री० [ष० त०] १. रजस्वली स्त्री। २. दे० ‘कुसुमपुर’। |
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समानार्थी शब्द-
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कुसुम-पुर :
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पुं० [मध्य० स०] आधुनिक पटना नगर का प्राचीन नाम। |
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कुसुम-बाण :
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पुं० [ब०स] कामदेव। |
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कुसुम-रेणु :
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पुं० [ष० त०] पराग। |
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कुसुमवान :
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पुं० [सं० कुसुम-बाण] कामदेव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसुम-विचित्रा :
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स्त्री० [उपमित० स०] एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः नगण, यगण, नगण और यगण होता है। |
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कुसुम-शर :
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पुं० [ब०स] कामदेव। |
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कुसुम-स्तवक :
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पुं० [ष० त०] दंडक छंद का वह भेद जिसमें प्रत्येक चरण में नौ या नौ से अधिक सगण होते हैं। |
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कुसुमांजन :
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पुं० [कुसुम-अंजन, मध्य० स०] जस्ते को फूँककर तैयार की हुई भस्म। |
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कुसुमांजलि :
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स्त्री० [कुसुम-अंजलि, मध्य० स०] फूलों से भरी हुई अजंली। पुष्पांजलि। |
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कुसुमाकर :
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पुं० [कुसुम-आकर, ष० त०] १. वसंत ऋतु। २. फुलवारी। बगीचा। ३. छप्पय का एक भेद। |
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कुसुमाधिप, कुसुमाधिराज :
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पुं० [कुसुम-अधिप, कुसुम अधिराज, ष० त०] चंपा का पेड़। |
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कुसुमायुध :
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पुं० [कुसुम-आयुध, ब० स०] कामदेव। |
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कुसुमाल :
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पुं० [कुसुम-आ√ला (लेना)+क] चोर। |
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कुसुमावलि :
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स्त्री० [कुसुम-आवलि, ष० त०] फूलों का गुच्छा या समूह। |
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कुसुमासव :
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पुं० [कुसुम-आसव, ष० त०] १. फूलों का रस। मकरंद। २. मधु। शहद। |
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कुसुमित :
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वि० [सं० कुसुम+इतच्] १. (पौधा) जिसमें फूल लगें हों। २. खिला हुआ। (क्व०) ३. (स्त्री) जिसका रजस्राव हो रहा हो। |
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कुसुमित-लता-वेल्लिता :
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स्त्री० [कुसुमित-लता, कर्म० स, कुसुमितलता-वेल्लिता, उपमित० स०] एक वर्ण वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः मगण, तगण, नगण, यगण, यगण और यगण होता है। |
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कुसुमी :
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वि० [सं० कुसुम] १. कुसुम संबंधी। कुसुम का। २. कुसुम के फूलों के रंग का। पीलापन लिये हुए लाल रंग का। जैसे—कुसुमी साड़ी। |
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कुसुमेषु :
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पुं० [कुसुम-इष्, ब० स०] कामदेव। |
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कुसुली :
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स्त्री०=कुसली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुसूत :
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पुं० [सं० कु-सूत्र, प्रा० सुत्त] १. खराब या बुरा सूत। २. कु-प्रबंध। |
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कुसूर :
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पुं० [अ० क़ुसूर] १. भूल। २. अपराध। ३. दोष। |
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कुसूरवार :
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पुं० [अ०+फा] १. अपराधी। २. दोषी। |
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कुसूल :
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पुं० =कुशूल। |
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कु-सृति :
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स्त्री० [सं० कुगति स०] १. इंद्रजाल। जादू के खेल। २. दुराचार। बद-चलनी। ३. पाजीपन। दुष्टता। |
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कुसेस :
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पुं० दे० ‘कुसेसय’। |
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कुसेसय :
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पुं० [सं० कुशेशय] कमल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुस्तंबरु :
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पुं० [सं० कुस्तंबरु] धनिया का बीज। |
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कुस्ती :
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स्त्री०=कुश्ती। |
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कु-स्तुंबरू :
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पुं० [सं० कु+तुम्बरु, कुगति स० सका आगम] धनिया। |
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कुस्तुभ :
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पुं० [सं० कु√स्तुम्भ् (धारण)+क] विष्णु। |
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कुस्सा :
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पुं० [देश] कुदाल। |
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कुहँ-कुहँ :
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पुं० दे० ‘कुमकुम’। |
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कुहँचा :
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पुं० [हिं० कोहनी या पहुँचा] कलाई। पहुँचा। |
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कुह :
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पुं० [सं०√कुह् (आश्चर्यित करना)+णिच्+अच्] कुवेर। पुं० [अनु] पक्षियों के कुहकने का शब्द। |
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कुहक :
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पुं० [सं०√कुह्+क्वुन्-अक] १. माया धोखा। २. जाल। ३. इंद्रजाल। ४. जादू की तरह अद्भुत जान पड़नेवाली कोई बात। ५. मेंढक। स्त्री० १. कुहकने की क्रिया या भाव। २. मुरगे की बाँग। ३. कोयल की कूक। वि० [स्त्री० कुहकिनी] १. मायावी। जैसे—लो कुहकिनी अपना कुहुक (कुहक) यह जागा।—मैथिलीशरण गुप्त। २. चालाक। धूर्त्त। |
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कुहकना :
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अ० [सं० कुहक वा कुहू] १. कोयल का कुहू-कुहू शब्द करना। पिहकना। २. पक्षियों का मधुर स्वर में बोलना। |
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कुहकनी :
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वि० [हिं० कुहकना] कुहकनेवाला। स्त्री० कोयल। |
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कुहकुह :
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पुं० =कुंकुम (केसर)। |
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कुहकुहाना :
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अ०=कुहकना। |
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कुहक्क :
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पुं० [?] ताल के आठ भेदों में से एक। जिसमें दो द्रुत और दो लघु मात्राएँ होती है। स्त्री०=कुहक। |
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कुहन :
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वि० [सं० कु√हन् (हिंसा गति)+अप्] १. ईर्ष्यालु। २. घमंडी। ३. पाखंडी। पुं० १. चूहा। २. साँप। ३. मिट्टी या शीशे का छोटा पात्र। |
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कुहना :
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स० [सं० कुह-नन=मारना] वध या हनन करना। जान से मार डालना। स०=कुहकना। पुं० [हिं० कुहकना] कोयल के मधुर बोल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहनी :
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स्त्री०=कोहनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहप :
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पुं० [सं० कुहू-अमावस्या+प] रजनीचर। राक्षस। |
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कुहबर :
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पुं० =कोहबर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहर :
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पुं० [सं० कुह=विस्मय√रा (देना)+क] १. एक सर्प का नाम। २. छिद्र। छेद। ३. बिल। सूराख। ४. गुफा। ५. कंठनीय। पुं० [देश] एक प्रकार का शिकार (शिकारी पक्षी)। |
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कुहरा :
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पुं० =कोहरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहराम :
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पुं० [हिं० कहर+काम] १. संकट आदि के समय जन-समाज में होनेवाली भाग-दौड़ या हलचल। २. बहुत से लोगों का मिलकर रोना-कलपना। |
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कुहरित :
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पुं० [सं० कुहर+णिच्+क्त] १. कोयल की कूक। २. मैथुन के समय मुँह से निकलनेवाले सुख-पूर्ण निरर्थक शब्द। |
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कुहरी :
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स्त्री०=कोहरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहलि :
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पुं० [सं० कु√हल् (विलेखन)+इन्] पान। |
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कुहसार :
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पुं० [फा०] १. पर्वतीय प्रदेश। २. पर्वत। |
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कुहाँर :
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पुं० =कुम्हार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहा :
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स्त्री० [सं०√कुह्+क, टाप्] कटुकी (ओषधि) |
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कुहाड़ा :
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पुं० [स्त्री० अल्पा० कुहाड़ी]=कुल्हाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहाना :
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अ० [सं० क्रोधन, पा० कोहन] १. क्रुद्ध होना। २. रूठना। स० किसी को अप्रसन्न या क्रुद्ध करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहारा :
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पुं० [स्त्री० अल्पा० कुहारी]=कुल्हाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहासा :
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पुं० दे०=कोहरा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहिर :
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पुं० =कोहरा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहिरा :
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पुं० =कोहरा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुही :
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स्त्री० [सं० कुधि=एक पक्षी] एक प्रकार का शिकारी चिडिया,०जिसका आकार प्रकार बाज का सा होता है। पुं० [फा० कोही=पहाड़ी] घोड़े की एक जाति। वि० [हिं० कोह=क्रोध] क्रोधी। उदाहरण—कलहा कुही, मूष रोगी अरू काहूँ नैकुँ न भावै।—सूर। वि० [सं० कुहू] १. अँधकारपूर्ण। २. कृष्ण पक्ष का। |
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कुहुँचा :
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पुं० दे० ‘पहुँचा’। (कलाई)। |
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कुहु :
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स्त्री० [सं०√कुह् (विस्मित करना)+कु]=कुहू। पुं० [फा० कोही] पहाड़ी घोड़ा। |
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कुहुक :
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पुं० स्त्री० वि०=कुहक। |
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कुहुकना :
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अ०=कुहकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहुकबान :
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पुं० [हिं० कुहुक+वाण] बाँस की कई पट्टियों को जोड़कर बनाया जानेवाला एक प्रकार का वाण, जिसके चलते समय कुहक जैसा शब्द निकलता है। उदाहरण—दिल्लीपति, आखेट चढ़ि, कुहुकबान हथनारि।—चंदबरदाई। |
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कुहुकिनी :
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स्त्री०=कुहकनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहूँ :
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स्त्री०=कुहू।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहू :
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स्त्री० [सं० कुहू+ऊङ्] १. अमावस्या की अधिष्ठाती देवी या शक्ति। २. अमावस्या की रात। ३. कोयल की बोली। ४. व्लक्ष द्वीप की एक नदी। स्त्री० [हिं० कुहकना] १. कोयल की बोली। २. मोर की बोली। |
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कुहू-कंठ :
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पुं० [ब० स०] कोयल। |
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कुहूकबान :
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पुं० =कुहुकबान। |
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कुहू-मुख :
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पुं० [ब० स०] कोयल। |
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कुहू-रव :
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पुं० [ब० स०] कोयल। |
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कुहेलिका :
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स्त्री० [सं० कु√हेड् (वेष्टन)+इन्+कन्, टाप्, लत्व] कुहरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहेली :
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स्त्री० [सं० कु√हेड्+इन्, ङीष्, लत्व] कुहरा। |
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कुहौं :
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स्त्री० [सं० कुहू] १. कोयल की कूक। २. मोर की बोली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुहौकुहा :
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स्त्री०=कुहक (कोयल की)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँआ :
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पुं० =कूआँ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुँ-कूँ :
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पुं० [सं० कुंकुम] केसर। उदाहरण—कमनीय करे कूँ कूँ चौ निजकारि।—प्रिथीराज। |
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