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काजल  : पुं० [सं० पा० प्रा० कज्जलम्, उ० पं० कज्जल, गु० मरा० काजल, ने० गाजल, बं० काजल] आँखो में लगाने का काले रंग का वह प्रसिद्ध पदार्थ जो तेल, घी, आदि में जलने से होनेवाले धुँए को जमाकर तैयार किया जाता है। विशेष—यह प्रायः आँखों का सौंदर्य बढ़ाने अथवा आँख का कोई साधारण रोग दूर करने के लिए लगाया जाता है। क्रि०प्र-डालना।—लगाना। मुहावरा—आँखों में काजल घुलाना=अच्छी तरह और बहुत काजल लगाना। काजल पारना=दीपक के धूँए की कालिख को काजल के रूप में जमाकर इकट्ठा करना। काजल सारना=आँखों में काजल लगाना। पद—काजल का तिल=काजल की वह छोटी बिंदी जो स्त्रियाँ शोभा के लिए गाल, चिबुक आदि पर लगाती हैं। काजल की ओबरी या कोठरी=ऐसा दूषित या बुरा स्थान जहाँ जाने पर कलंक लगना अवश्यंभावी हो। उदाहरण—काजल की कोठरी में कैसहू सयानो जाय, काजर की रेख एक लागिहै पै लागिहै।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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