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कड़ी  : स्त्री० [हिं० कड़ा (आभूषण)] १. जंजीर, लड़ी आदि के उन गोल छल्लों में से हर एक जिनके आपस में एक दूसरे में गुथे, जड़े या पिरोये रहने से वह जंजीर या लड़ी बनती है। २. उक्त छल्लों के आपस में गुथे, जड़े या पिरोये जाने से बना हुआ रूप। जंजीर। श्रृंखला। ३. धातु का कोई छोटा वलय, जिसमें चीजें टाँगी, फँसाई या लटकाई जाती हैं। ४. घोड़े की लगाम जिसमें आगे की ओर गोल कड़ी या छल्ला लगा रहता है। उदाहरण—हरि घोड़ा, ब्रह्मा कड़ी बासुकि पीठि पलान।—कबीर। ५. लाक्षणिक अर्थ में, लगातार या क्रम से चलती रहने वाली घटनाओं,बातों आदि में से हर एक। जैसे—(क) बीच में मत बोलिए नहीं तो बातों की कड़ी टूट जायगी। (ख) यह भी इस घटना क्रम की एक कड़ी है। ६. गीत आदि का कोई एक चरण। स्त्री० [सं० कांड, हिं० कांड़ी] १. छतों आदि की पाटन में लगनेवाली छोटी धरन। मुहावरा—कड़ी बोलना=धरन का अकारण आप-से-आप चट-चट शब्द करना। (गृहस्थ के लिए अशुभ या शकुन) २. बकरी, भेंड़ आदि की छाती की हड्डी। स्त्री० [हिं० कड़ा=कठिन] कष्ट। संकट। जैसे—कड़ी उठाना, कड़ी झेलना, कड़ी सहना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कड़ीदार  : वि० [हिं० कड़ी+फा० दार(प्रत्यय)] १. जिसमें कड़ी बुनी या लगी हो। छल्लेदार। २. जिसमें कड़ियों की तरह की आकृतियाँ या बेल-बूटे बने हों। जैसे—कड़ीदार कसीदा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कड़ी धरती  : स्त्री० [हिं०] १. ऐसा प्रदेश जहाँ के लोग हट्टे-कट्टे होते हों। २. ऐसा प्रदेश या स्थान जहाँ अनेक प्रकार के कष्टों या संकटों का सामना करना पड़ता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कड़ी सजा  : स्त्री० [हिं०+फा०] १. किसी प्रकार का कठोर दंड। जैसे—नौकर या लड़के को कड़ी सजा देना। २. न्यायालय द्वारा दिया हुआ किसी अपराधी को ऐसा दंड जिसमें उसे कारावास में कठोर परिश्रम भी करना पड़ता है। सपरिश्रम कारावास। (रिगरस इम्प्रिजन्मेंट)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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