शब्द का अर्थ
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उल्लेख :
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पुं० [सं० उद्√लिख् (लिखना)+घञ्] १. लिखने की क्रिया या भाव। लिखाई। २. लेख आदि के रूप में होनेवाली चर्चा। जिक्र। वर्णन। ३. चित्र आदि अंकित करना। अंकन या चित्रण। ४. साहित्य में, एक अलंकार जिसमें एक ही वस्तु का कई विभिन्न रूपों में दिखाई देने का वर्णन होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लेखक :
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वि० [सं० उद्√लिख् (लिखना)+ण्वुल्, (वु)-अक] उल्लेख करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लेखन :
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पुं० [सं० उद्√लिख् (लिखना)+ल्युट-अन] १. लिखने या वर्णन करने की क्रिया या भाव। २. अंकन या चित्रण करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लेखनीय :
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वि० [सं० उद्√लिख् (लिखना)+अनीयर] १. लिखे जाने के योग्य। २. जिसका उल्लेख करना आवश्यक या उचित हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लेखित :
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भू० कृ०=उल्लिखित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लेख्य :
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वि० [सं० उद्√लिख्+ण्यत्] जिसका उल्लेख किया जाने को हो या किया जा सकता हो। उल्लेखनीय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लेख :
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पुं० [सं० उद्√लिख् (लिखना)+घञ्] १. लिखने की क्रिया या भाव। लिखाई। २. लेख आदि के रूप में होनेवाली चर्चा। जिक्र। वर्णन। ३. चित्र आदि अंकित करना। अंकन या चित्रण। ४. साहित्य में, एक अलंकार जिसमें एक ही वस्तु का कई विभिन्न रूपों में दिखाई देने का वर्णन होता है। |
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समानार्थी शब्द-
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उल्लेखक :
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वि० [सं० उद्√लिख् (लिखना)+ण्वुल्, (वु)-अक] उल्लेख करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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उल्लेखन :
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पुं० [सं० उद्√लिख् (लिखना)+ल्युट-अन] १. लिखने या वर्णन करने की क्रिया या भाव। २. अंकन या चित्रण करना। |
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समानार्थी शब्द-
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उल्लेखनीय :
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वि० [सं० उद्√लिख् (लिखना)+अनीयर] १. लिखे जाने के योग्य। २. जिसका उल्लेख करना आवश्यक या उचित हो। |
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उल्लेखित :
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भू० कृ०=उल्लिखित। |
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उल्लेख्य :
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वि० [सं० उद्√लिख्+ण्यत्] जिसका उल्लेख किया जाने को हो या किया जा सकता हो। उल्लेखनीय। |
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