शब्द का अर्थ
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उपपत्ति :
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स्त्री० [सं० उप√पद् (गति)+क्तिन्] १. घटित या प्रत्यक्ष होनेवाला। सामने आना। २. कारण। हेतु। ३. किसी को विश्वस्त करने के लिए उपस्थित किये हुए तथ्य, तर्क, प्रमाण अथवा किसी गवाह या विशेषज्ञ का साक्ष्य। (प्रूफ) ४. तर्क। युक्ति। ५. मेल बैठना या मिलना। संगति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपपत्ति-सम :
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पुं० [तृ० त०] न्याय में, वह स्थिति जब वादी किसी आधार पर कोई बात सिद्ध करता है, तब वह प्रतिवादी उसी प्रकार के दूसरे आधार पर उसी बात का खण्डन करता है। एक कारण से सिद्ध की हुई बात वैसे ही दूसरे कारण से असिद्द ठहराना। जैसे—यदि वादी उत्पत्ति-धर्म से युक्त होने के आधार पर शब्द को अनित्य बतलावे, तब प्रतिवादी का स्पर्श-धर्म से युक्त होने के आधार पर शब्द को नित्य ठहराना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपपत्ति :
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स्त्री० [सं० उप√पद् (गति)+क्तिन्] १. घटित या प्रत्यक्ष होनेवाला। सामने आना। २. कारण। हेतु। ३. किसी को विश्वस्त करने के लिए उपस्थित किये हुए तथ्य, तर्क, प्रमाण अथवा किसी गवाह या विशेषज्ञ का साक्ष्य। (प्रूफ) ४. तर्क। युक्ति। ५. मेल बैठना या मिलना। संगति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपपत्ति-सम :
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पुं० [तृ० त०] न्याय में, वह स्थिति जब वादी किसी आधार पर कोई बात सिद्ध करता है, तब वह प्रतिवादी उसी प्रकार के दूसरे आधार पर उसी बात का खण्डन करता है। एक कारण से सिद्ध की हुई बात वैसे ही दूसरे कारण से असिद्द ठहराना। जैसे—यदि वादी उत्पत्ति-धर्म से युक्त होने के आधार पर शब्द को अनित्य बतलावे, तब प्रतिवादी का स्पर्श-धर्म से युक्त होने के आधार पर शब्द को नित्य ठहराना। |
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समानार्थी शब्द-
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