शब्द का अर्थ
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उद्वेग :
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पुं०=उद्वेग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वेग :
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पुं० [सं० उद्√विज्(भय़)+घञ्] १. तीव्र। वेग। तेज गति। २. चित्त की किसी वृत्ति की तीव्रता। आवेश। जोश। ३. विरह जन्य चिंता और दुःख जो साहित्य में एक संचारी भाव माना गया है। ४. किसी विकट या चिंताजनक घटना के कारण लोगों को होनेवाला वह भय जिसके फलस्वरूप लोग अपनी रक्षा के उपाय सोचने लगते हैं। (पैनिक)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वेगी (गिन्) :
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वि० [सं० उद्वेग+इनि] उद्विग्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वेग :
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पुं०=उद्वेग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वेग :
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पुं० [सं० उद्√विज्(भय़)+घञ्] १. तीव्र। वेग। तेज गति। २. चित्त की किसी वृत्ति की तीव्रता। आवेश। जोश। ३. विरह जन्य चिंता और दुःख जो साहित्य में एक संचारी भाव माना गया है। ४. किसी विकट या चिंताजनक घटना के कारण लोगों को होनेवाला वह भय जिसके फलस्वरूप लोग अपनी रक्षा के उपाय सोचने लगते हैं। (पैनिक)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वेगी (गिन्) :
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वि० [सं० उद्वेग+इनि] उद्विग्न। |
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समानार्थी शब्द-
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