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शब्द का अर्थ

उदग्र  : वि० [सं० उद्-अग्र, ब० स०] १. जो सीधा ऊपर की ओर गया हो। ऊर्ध्व। (वर्टिकल) २. ऊँचा। उन्नत। ३. बढ़ा हुआ। ४. उभड़ा या उमड़ा हुआ। ५. उग्र। तेज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदग्र-शिर  : वि० [ब० स०] जिसका मस्तक ऊपर हो। उन्नत भालवाला। उदाहरण—वे डूब गये सब डूब गये दुर्दम, उदग्रशिर अद्रिशिखर।—पंत।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदग्रहण  : पुं० [सं० उद्√ग्रह(लेना)+ल्युट-अन] [वि० उद्ग्रहणीय, भू० कृ० उद्गृहीत] ऋण, कर आदि वसूल करने की क्रिया या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदग्राह  : पुं,० [सं० उद्√ग्रह+घञ्] [भू० कृ० उदग्राहित] १. ऊपर उठाना या लाना। २. उत्तर आदि के संबंध में की जानेवाली आपत्ति या तर्क। ३. डकार। ४. दे० ‘उगाही’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदग्रीव, उदग्रीवी (विन्)  : वि० [सं० ब० स०] [उदग्रीवा, प्रा० स०+इनि] जिसकी गर्दन ऊपर उठी हो। जो गला ऊपर उठाये या किये हो। क्रि० वि० [सं० ] गर्दन उपर उठाये हुए।
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उदग्र  : वि० [सं० उद्-अग्र, ब० स०] १. जो सीधा ऊपर की ओर गया हो। ऊर्ध्व। (वर्टिकल) २. ऊँचा। उन्नत। ३. बढ़ा हुआ। ४. उभड़ा या उमड़ा हुआ। ५. उग्र। तेज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदग्र-शिर  : वि० [ब० स०] जिसका मस्तक ऊपर हो। उन्नत भालवाला। उदाहरण—वे डूब गये सब डूब गये दुर्दम, उदग्रशिर अद्रिशिखर।—पंत।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदग्रहण  : पुं० [सं० उद्√ग्रह(लेना)+ल्युट-अन] [वि० उद्ग्रहणीय, भू० कृ० उद्गृहीत] ऋण, कर आदि वसूल करने की क्रिया या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदग्राह  : पुं,० [सं० उद्√ग्रह+घञ्] [भू० कृ० उदग्राहित] १. ऊपर उठाना या लाना। २. उत्तर आदि के संबंध में की जानेवाली आपत्ति या तर्क। ३. डकार। ४. दे० ‘उगाही’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदग्रीव, उदग्रीवी (विन्)  : वि० [सं० ब० स०] [उदग्रीवा, प्रा० स०+इनि] जिसकी गर्दन ऊपर उठी हो। जो गला ऊपर उठाये या किये हो। क्रि० वि० [सं० ] गर्दन उपर उठाये हुए।
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