शब्द का अर्थ
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उत्संगित :
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भू० कृ० [सं० उत्संग+इतच्] १. अंक या गोद में लिया हुआ। २. गले लगाया हुआ। आलिंगित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्स :
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पुं० [सं०√उन्द् (भिगोना)+स] [वि० उत्स्य] १. बहते हुए पानी की धारा या स्रोत। झरना। २. जलमय स्थान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सन्न :
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वि० [सं० उद्√सद् (फटना, नष्ट होना आदि)+क्त] [स्त्री० उत्सन्ना] १. ऊपर की ओर उठाया हुआ। ऊँचा। अवसन्न का विपर्याय। २. बढ़ा हुआ। ३. पूरा किया हुआ। ४. उखाड़ा हुआ। उच्छिन्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्ग :
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पुं० [सं० उद्√सृज् (त्याग)+घञ्] १. खुला छोड़ने या बंधन से मुक्त करने की क्रिया या भाव। २. किसी उद्देश्य या कारण से कोई वस्तु अपने अधिकार या नियंत्रण से अलग करना या निकालना और अर्पित करना। जैसे—(क) साहित्य-सेवा के लिए जीवन का उत्सर्ग। (ख) किसी पित्तर के उद्देश्य से किया जानेवाला वृषोत्सर्ग। ३. किसी के लिए किया जानेवाला त्याग। ४. दान। ५. साधारण या सामान्य नियम (अपवाद से भिन्न)। ६. एक वैदिक कर्म। ७. अंत। समाप्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्गतः :
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क्रि० वि० [सं० उत्सर्ग+तस्] सामान्य रूप से। साधारणतः। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्गी (र्गिन्) :
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वि० [सं० उत्सर्ग+इनि] दूसरे के लिए उत्सर्ग या त्याग करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्जन :
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पुं० [सं० उद्√सृज्+ल्युट्-अन] [भू० कृ० उत्सर्जित, उत्सृष्ट] १. उत्सर्ग करने की क्रिया या भाव। त्याग। २. बलिदान। ३. दान। ४. किसी कर्मचारी के किसी पद या स्थान से हटने की क्रिया या भाव। (डिसचार्ज) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्जित :
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भू० कृ० [सं० उत्सृष्ट] १. त्यागा या छोड़ा हुआ। २. किसी के लिए दान के रूप में या त्यागपूर्वक छोड़ा हुआ। ३. [उद्√सृज्+णिच्+क्त] जिसे किसी पद या स्थान से हटाया गया हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्प, उत्सर्पण :
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पुं० [सं० उद्√सृप् (गति)+घञ्] [उद्√सृप्+ल्युट-अन] १. ऊपर की ओर चढ़ने, जाने या बढ़ने की क्रिया या भाव। २. उठना। ३. उल्लंघन करना। ४. फूलना। ५. फैलना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्पिणी :
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पुं० [सं० उद्√सृप्+णिनि-ङीष्] जैनों के अनुसार काल की वह गति जिसमें रूप, रस, गंध, स्पर्श की क्रमिक तथा निरंतर वृद्धि होती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्पी (र्पिन्) :
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वि० [सं० उद्√सृप्+णिनि] १. ऊपर की ओर जाने या बढ़ने वाला। २. बहुत अच्छा या बढ़िया। श्रेष्ठ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सव :
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पुं० [सं० उद्√सु(गति)+अच्] १. ऐसा सामाजिक कार्यक्रम जिसमें लोग किसी विशिष्ट अवसर पर अथवा किसी विशिष्ट उद्देश्य से उत्साहपूर्वक आनन्द मनाते हैं। जैसे—वसंतोत्सव, विवाहोत्सव आदि। २. त्योहार। पर्व। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सव-गीत :
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पुं० [ष० त०] लोक गीतों के अंतर्गत ऐसे गीत जो पुत्र-जन्म, मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि उत्सवों के समय गाये जाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साद :
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पुं० [सं० उद्√सृद+घञ्] क्षय। विनाश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सादक :
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वि० [सं० उद्√सृद्+णिच्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० उत्सादिका] १. छोड़ने या त्यागनेवाला। २. नष्ट-भ्रष्ट करनेवाला। ३. विनाशक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सादन :
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पुं० [सं० उद्√सृद्+णिच्-ल्युट्-अन] [भू० कृ० उत्सादित] १. छोड़ना। त्यागना। २. काट-छाँट या तोड़-फोडकर नष्ट करना। ३. अच्छी तरह खेत जोतना। ४. बाधक होना। बाधा डालना। ५. पहले की कोई आज्ञा या निश्चय रद करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सादित :
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भू० कृ० [सं० उद्√सृद्+णिच्+क्त] १. जिसका उत्सादन किया गया हो या हुआ हो। २. (पद) जो तोड़ दिया गया हो। (एबालिश्ड) ३. (आज्ञा) जो रद कर दी गई हो। (सेट एसाइड) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सार :
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पुं० [सं० उद्√सृ (गति)+णिच्+अण्] दूर करना। हटाना। बाहर निकालना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सारक :
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वि० [सं० उद्√सृ+णिच्+ण्वुल्-अक] उत्सारण करने वाला। पुं० चौकीदार। पहरेदार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सारण :
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पुं० [सं० उद्√सृ+णिच्+ल्युट-अन] [भू० कृ० उत्सारित] १. गति में लाना। चलाना। २. दूर करना। हटाना। ३. दर या भाव कम करना। ४. अतिथि या अभ्यागत का स्वागत करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साह :
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पुं० [सं० उद्√सह् (सहन करना)+घञ्] मन की वह वृत्ति या स्थिति जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य प्रसन्न होकर और तत्परतापूर्वक कोई काम करने या कोई उद्देश्य सिद्ध करने लिए अग्रसर या प्रवृत्त होता है। साहित्य में इसे एक स्थायी भाव माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साहक :
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वि० [सं० उद्√सह+ण्वुल्-अक] १. उत्साह देने या उत्साहित करनेवाला। २. अध्यवसायी और कर्मठ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साहन :
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वि० [सं० उद्√सह्+णिच्+ल्युट-अन] १. किसी को उत्साह देना। उत्साहित करना। २. दृढ़ता-पूर्वक किया जानेवाला उद्यम। अध्यवसाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साहना :
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अ० [सं० उत्साह+ना (प्रत्यय)] उत्साह से भरना। उत्साहित होना। उदाहरण—बसत तहाँ प्रमुदित प्रसन्न उन्नति उत्सहि।-रत्ना। स० उत्साहित करना। उत्साह बढ़ाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साही (हिन्) :
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वि० [सं० उत्साह+इनि] १. आनंद तथा तत्परतापूर्वक किसी काम में लगने वाला। २. जिसके मन में हर काम के लिए और हर समय उत्साह रहता हो। जैसे—उत्साही कार्यकर्त्ता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सुक :
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वि० [सं० उद्√सु (गति)+क्विप्+कन्] [भाव० उत्सुकता औत्सुक्य] जिसके मन में कोई तीव्र या प्रबल अभिलाषा हो, जो किसी काम या बात के लिए कुछ अधीर सा हो। (ईगर) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सुकता :
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स्त्री० [सं० उत्सुक+तल्+टाप्] उत्सुक होने की अवस्था या भाव। मन की वह स्थिति जिसमें कुछ करने या पाने की अधीरता, पूर्ण प्रबल अभिलाषा होती है और विलंब सहना कठिन होता है। साहित्य में यह एक संचारी भाव माना जाता हैं। (ईगरनेस)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सृष्ट :
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भू० कृ० [सं० उद्√सृज् (छोड़ना)+क्त] १. जो उत्सर्ग के रूप में किया या लगाया गया हो। जिसका उत्सर्ग हुआ हो। २. छोड़ा या त्यागा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सृष्ट-वृत्ति :
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पुं० [सं० तृ० त०] दूसरों के छोड़े या त्यागे हुए अन्न से जीविका निर्वाह करने की वृत्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सृष्टि :
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स्त्री० [सं० उद्√सृज्+क्तिन्] १. उत्सर्ग। २. उत्सर्जन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सेक :
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पुं० [सं० उद्√सिच्(सींचना)+घञ्] [कर्त्ता० उत्सेकी] १. ऊपर की ओर उठना या बढ़ना। २. वृद्धि। ३. अभिमान। घमंड। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सेचन :
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पुं० [सं० उद्√सिच्+ल्युट-अन] [भू० कृ० उत्सिक्त] १. छिड़कने या सींचने की क्रिया या भाव। २. उफान। उबाल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सेध :
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पुं० [सं० उद्√सिध् (गति)+घञ्] १. ऊँचाई। २. बढ़ती। वृद्धि। ३. घनता या मोटाई। ४. शरीर का शोथ। सूजन। ५. देह। शरीर। ६. वध। हत्या। ७. आज-कल किसी वस्तु की कोई ऐसी आपेक्षिक ऊँचाई जो किसी विशिष्ट कोण, तल आदि के विचार से हो। (एलिवेशन) जैसे—(क) क्षैतिज कोण के विचार से तोप का उत्सेध। (ख) कुरसी या भू-तल के विचार से भवन का उत्सेध। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सेध-जीवी (बिन्) :
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पुं० [सं० उत्सेध (वध)√जीव् (जीना)+णिनि] वह जो हत्या और लूट-पाट करके अपना निर्वाह करता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्स्य :
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वि० [सं० उत्स+यत्] १. उत्स संबंधी। २. उत्स या सोते में होनेवाला या उससे निकला हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्संगित :
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भू० कृ० [सं० उत्संग+इतच्] १. अंक या गोद में लिया हुआ। २. गले लगाया हुआ। आलिंगित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्स :
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पुं० [सं०√उन्द् (भिगोना)+स] [वि० उत्स्य] १. बहते हुए पानी की धारा या स्रोत। झरना। २. जलमय स्थान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सन्न :
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वि० [सं० उद्√सद् (फटना, नष्ट होना आदि)+क्त] [स्त्री० उत्सन्ना] १. ऊपर की ओर उठाया हुआ। ऊँचा। अवसन्न का विपर्याय। २. बढ़ा हुआ। ३. पूरा किया हुआ। ४. उखाड़ा हुआ। उच्छिन्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्ग :
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पुं० [सं० उद्√सृज् (त्याग)+घञ्] १. खुला छोड़ने या बंधन से मुक्त करने की क्रिया या भाव। २. किसी उद्देश्य या कारण से कोई वस्तु अपने अधिकार या नियंत्रण से अलग करना या निकालना और अर्पित करना। जैसे—(क) साहित्य-सेवा के लिए जीवन का उत्सर्ग। (ख) किसी पित्तर के उद्देश्य से किया जानेवाला वृषोत्सर्ग। ३. किसी के लिए किया जानेवाला त्याग। ४. दान। ५. साधारण या सामान्य नियम (अपवाद से भिन्न)। ६. एक वैदिक कर्म। ७. अंत। समाप्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्गतः :
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क्रि० वि० [सं० उत्सर्ग+तस्] सामान्य रूप से। साधारणतः। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्गी (र्गिन्) :
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वि० [सं० उत्सर्ग+इनि] दूसरे के लिए उत्सर्ग या त्याग करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्जन :
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पुं० [सं० उद्√सृज्+ल्युट्-अन] [भू० कृ० उत्सर्जित, उत्सृष्ट] १. उत्सर्ग करने की क्रिया या भाव। त्याग। २. बलिदान। ३. दान। ४. किसी कर्मचारी के किसी पद या स्थान से हटने की क्रिया या भाव। (डिसचार्ज) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्जित :
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भू० कृ० [सं० उत्सृष्ट] १. त्यागा या छोड़ा हुआ। २. किसी के लिए दान के रूप में या त्यागपूर्वक छोड़ा हुआ। ३. [उद्√सृज्+णिच्+क्त] जिसे किसी पद या स्थान से हटाया गया हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्प, उत्सर्पण :
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पुं० [सं० उद्√सृप् (गति)+घञ्] [उद्√सृप्+ल्युट-अन] १. ऊपर की ओर चढ़ने, जाने या बढ़ने की क्रिया या भाव। २. उठना। ३. उल्लंघन करना। ४. फूलना। ५. फैलना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्पिणी :
|
पुं० [सं० उद्√सृप्+णिनि-ङीष्] जैनों के अनुसार काल की वह गति जिसमें रूप, रस, गंध, स्पर्श की क्रमिक तथा निरंतर वृद्धि होती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सर्पी (र्पिन्) :
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वि० [सं० उद्√सृप्+णिनि] १. ऊपर की ओर जाने या बढ़ने वाला। २. बहुत अच्छा या बढ़िया। श्रेष्ठ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सव :
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पुं० [सं० उद्√सु(गति)+अच्] १. ऐसा सामाजिक कार्यक्रम जिसमें लोग किसी विशिष्ट अवसर पर अथवा किसी विशिष्ट उद्देश्य से उत्साहपूर्वक आनन्द मनाते हैं। जैसे—वसंतोत्सव, विवाहोत्सव आदि। २. त्योहार। पर्व। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सव-गीत :
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पुं० [ष० त०] लोक गीतों के अंतर्गत ऐसे गीत जो पुत्र-जन्म, मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि उत्सवों के समय गाये जाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साद :
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पुं० [सं० उद्√सृद+घञ्] क्षय। विनाश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सादक :
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वि० [सं० उद्√सृद्+णिच्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० उत्सादिका] १. छोड़ने या त्यागनेवाला। २. नष्ट-भ्रष्ट करनेवाला। ३. विनाशक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सादन :
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पुं० [सं० उद्√सृद्+णिच्-ल्युट्-अन] [भू० कृ० उत्सादित] १. छोड़ना। त्यागना। २. काट-छाँट या तोड़-फोडकर नष्ट करना। ३. अच्छी तरह खेत जोतना। ४. बाधक होना। बाधा डालना। ५. पहले की कोई आज्ञा या निश्चय रद करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सादित :
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भू० कृ० [सं० उद्√सृद्+णिच्+क्त] १. जिसका उत्सादन किया गया हो या हुआ हो। २. (पद) जो तोड़ दिया गया हो। (एबालिश्ड) ३. (आज्ञा) जो रद कर दी गई हो। (सेट एसाइड) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सार :
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पुं० [सं० उद्√सृ (गति)+णिच्+अण्] दूर करना। हटाना। बाहर निकालना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सारक :
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वि० [सं० उद्√सृ+णिच्+ण्वुल्-अक] उत्सारण करने वाला। पुं० चौकीदार। पहरेदार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सारण :
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पुं० [सं० उद्√सृ+णिच्+ल्युट-अन] [भू० कृ० उत्सारित] १. गति में लाना। चलाना। २. दूर करना। हटाना। ३. दर या भाव कम करना। ४. अतिथि या अभ्यागत का स्वागत करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साह :
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पुं० [सं० उद्√सह् (सहन करना)+घञ्] मन की वह वृत्ति या स्थिति जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य प्रसन्न होकर और तत्परतापूर्वक कोई काम करने या कोई उद्देश्य सिद्ध करने लिए अग्रसर या प्रवृत्त होता है। साहित्य में इसे एक स्थायी भाव माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साहक :
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वि० [सं० उद्√सह+ण्वुल्-अक] १. उत्साह देने या उत्साहित करनेवाला। २. अध्यवसायी और कर्मठ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साहन :
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वि० [सं० उद्√सह्+णिच्+ल्युट-अन] १. किसी को उत्साह देना। उत्साहित करना। २. दृढ़ता-पूर्वक किया जानेवाला उद्यम। अध्यवसाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साहना :
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अ० [सं० उत्साह+ना (प्रत्यय)] उत्साह से भरना। उत्साहित होना। उदाहरण—बसत तहाँ प्रमुदित प्रसन्न उन्नति उत्सहि।-रत्ना। स० उत्साहित करना। उत्साह बढ़ाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साही (हिन्) :
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वि० [सं० उत्साह+इनि] १. आनंद तथा तत्परतापूर्वक किसी काम में लगने वाला। २. जिसके मन में हर काम के लिए और हर समय उत्साह रहता हो। जैसे—उत्साही कार्यकर्त्ता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सुक :
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वि० [सं० उद्√सु (गति)+क्विप्+कन्] [भाव० उत्सुकता औत्सुक्य] जिसके मन में कोई तीव्र या प्रबल अभिलाषा हो, जो किसी काम या बात के लिए कुछ अधीर सा हो। (ईगर) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सुकता :
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स्त्री० [सं० उत्सुक+तल्+टाप्] उत्सुक होने की अवस्था या भाव। मन की वह स्थिति जिसमें कुछ करने या पाने की अधीरता, पूर्ण प्रबल अभिलाषा होती है और विलंब सहना कठिन होता है। साहित्य में यह एक संचारी भाव माना जाता हैं। (ईगरनेस)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सृष्ट :
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भू० कृ० [सं० उद्√सृज् (छोड़ना)+क्त] १. जो उत्सर्ग के रूप में किया या लगाया गया हो। जिसका उत्सर्ग हुआ हो। २. छोड़ा या त्यागा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सृष्ट-वृत्ति :
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पुं० [सं० तृ० त०] दूसरों के छोड़े या त्यागे हुए अन्न से जीविका निर्वाह करने की वृत्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सृष्टि :
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स्त्री० [सं० उद्√सृज्+क्तिन्] १. उत्सर्ग। २. उत्सर्जन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सेक :
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पुं० [सं० उद्√सिच्(सींचना)+घञ्] [कर्त्ता० उत्सेकी] १. ऊपर की ओर उठना या बढ़ना। २. वृद्धि। ३. अभिमान। घमंड। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सेचन :
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पुं० [सं० उद्√सिच्+ल्युट-अन] [भू० कृ० उत्सिक्त] १. छिड़कने या सींचने की क्रिया या भाव। २. उफान। उबाल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सेध :
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पुं० [सं० उद्√सिध् (गति)+घञ्] १. ऊँचाई। २. बढ़ती। वृद्धि। ३. घनता या मोटाई। ४. शरीर का शोथ। सूजन। ५. देह। शरीर। ६. वध। हत्या। ७. आज-कल किसी वस्तु की कोई ऐसी आपेक्षिक ऊँचाई जो किसी विशिष्ट कोण, तल आदि के विचार से हो। (एलिवेशन) जैसे—(क) क्षैतिज कोण के विचार से तोप का उत्सेध। (ख) कुरसी या भू-तल के विचार से भवन का उत्सेध। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्सेध-जीवी (बिन्) :
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पुं० [सं० उत्सेध (वध)√जीव् (जीना)+णिनि] वह जो हत्या और लूट-पाट करके अपना निर्वाह करता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्स्य :
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वि० [सं० उत्स+यत्] १. उत्स संबंधी। २. उत्स या सोते में होनेवाला या उससे निकला हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |