शब्द का अर्थ
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उजाड़ :
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पुं० [सं० उज्झ-छोड़ना या त्यागना+आड़(प्रत्यय)] १. उजड़ने या उजाड़ने की क्रिया या भाव। २. ऐसा स्थान जहाँ के निवासी दैवी विपत्तियों (जैसे—दुर्भिक्ष, बाढ़, भूकंप आदि) के कारण नष्ट हो चुके हों अथवा वह स्थान छोड़कर कहीं चले गये हों। ३. ऐसा निर्जन स्थान जहाँ झाड़-झंखाड़ के सिवा और कुछ न हो। वि० १. उजड़ा हुआ। जिसमें आबादी या बस्ती न हो। पद-उजाड़=जंगल। २. गिरा-पड़ा। टूटा-फूटा। ध्वस्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उजाड़ना :
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स० [हिं० उजाड़+ना (प्रत्यय)] १. अच्छी तरह तोड़-फोड़कर चौपट या नष्ट-भ्रष्ट करना। जैसे—खेत या बाग उजाड़ना। उदाहरण—रखवारे हति विपिन उजारे।—तुलसी। २. बहुत अधिक आघात या प्रहार करके किसी की सत्ता ऐसी अस्त-व्यस्त या विकृत करना कि वह फिर काम में आने के योग्य न रह जाए। जैसे—(क) गाँव,घर या नगर उजाड़ना।३. बुरी तरह से नष्ट या बरबाद करना। जैसे—ऐयाशी या जूए में रुपए उजाड़ना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उजाड़ू :
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वि० [हिं० उजाड़ना] १. उजाड़नेवाला। २. बुरी तरह से नष्ट या बरबाद करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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उजाड़ :
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पुं० [सं० उज्झ-छोड़ना या त्यागना+आड़(प्रत्यय)] १. उजड़ने या उजाड़ने की क्रिया या भाव। २. ऐसा स्थान जहाँ के निवासी दैवी विपत्तियों (जैसे—दुर्भिक्ष, बाढ़, भूकंप आदि) के कारण नष्ट हो चुके हों अथवा वह स्थान छोड़कर कहीं चले गये हों। ३. ऐसा निर्जन स्थान जहाँ झाड़-झंखाड़ के सिवा और कुछ न हो। वि० १. उजड़ा हुआ। जिसमें आबादी या बस्ती न हो। पद-उजाड़=जंगल। २. गिरा-पड़ा। टूटा-फूटा। ध्वस्त। |
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उजाड़ना :
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स० [हिं० उजाड़+ना (प्रत्यय)] १. अच्छी तरह तोड़-फोड़कर चौपट या नष्ट-भ्रष्ट करना। जैसे—खेत या बाग उजाड़ना। उदाहरण—रखवारे हति विपिन उजारे।—तुलसी। २. बहुत अधिक आघात या प्रहार करके किसी की सत्ता ऐसी अस्त-व्यस्त या विकृत करना कि वह फिर काम में आने के योग्य न रह जाए। जैसे—(क) गाँव,घर या नगर उजाड़ना।३. बुरी तरह से नष्ट या बरबाद करना। जैसे—ऐयाशी या जूए में रुपए उजाड़ना। |
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उजाड़ू :
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वि० [हिं० उजाड़ना] १. उजाड़नेवाला। २. बुरी तरह से नष्ट या बरबाद करनेवाला। |
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