शब्द का अर्थ
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ईषत् :
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क्रि० वि० [सं०√ईष्+अति] अल्प रूप में। कुछ-कुछ। बहुत थोड़ा। वि० कुछ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईषत्-स्पष्ट :
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वि० [कर्म० स०] जिसका किसी से बहुत ही थोड़ा स्पर्श हुआ हो। बहुत कम छुआ हुआ। पुं० व्याकरण में, वर्णों के उच्चारण का एक आभ्यंतर प्रयत्न जिसमें तालु, दाँत या मूर्द्धा को जीभ बहुत ही थोड़ा स्पर्श करती अथवा होठों को दाँत बहुत ही कम छूते हैं। (य, र, ल, और व ऐसे वर्ण हैं जिनके उच्चारण में उक्त प्रयत्न होता है)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईषत् :
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क्रि० वि० [सं०√ईष्+अति] अल्प रूप में। कुछ-कुछ। बहुत थोड़ा। वि० कुछ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईषत्-स्पष्ट :
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वि० [कर्म० स०] जिसका किसी से बहुत ही थोड़ा स्पर्श हुआ हो। बहुत कम छुआ हुआ। पुं० व्याकरण में, वर्णों के उच्चारण का एक आभ्यंतर प्रयत्न जिसमें तालु, दाँत या मूर्द्धा को जीभ बहुत ही थोड़ा स्पर्श करती अथवा होठों को दाँत बहुत ही कम छूते हैं। (य, र, ल, और व ऐसे वर्ण हैं जिनके उच्चारण में उक्त प्रयत्न होता है)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |