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इधर  : अव्य० [हिं० इत् या इह में का इ+धर (प्रत्यय) मि० अं० हिदर] १. दिशा के विचार से, जिस ओर वक्ता हो, उस ओर। इस जगह की ओर। इस तरफ। जैसे—इधर आओ। २. विस्तार के विचार से उस स्थान पर और उसके आस-पास जहाँ वक्त हो या रहता हो। आस-पास या पास-पड़ोस में। जैसे—इधर (हमारे यहाँ) तो ऐसा नहीं होता। मुहावरा-(चीज या चीजें) इधर-उधर करना=अस्त-व्यस्त, उलट-पुलट या तितर-बितर करना। जैसे—जब तुम अपनी चीज ढूँढ़ने लगते हो, तब कमरे (या घर) भर की चीजें इधर-उधर कर देते हों। इधर-उधर की बातें करना या हाँकना-अनावश्यक, महत्त्वहीन या व्यर्थ की बातें करना। जैसे—तुम कुछ पढ़ते-लिखते तो हो नहीं, दिन भर इधर-उधर में रहते हों। (किसी वस्तु या व्यक्ति का) इधर-उधर हो जाना=ऐसा अवस्था में होना कि पता न चले। अदृश्य या गुम हो जाना। जैसे—उस हो-हल्ले में कपड़ा (गहना या चोर) भी कहीं इधर-उधर हो गया। पद—इधर-उधर का=(क) अज्ञात या अनिर्दिष्ट स्थान या स्थानों का फलतः कम महत्त्व का या साधारण। जैसे—उनका आधा ग्रंथ तो बस इधर-उधर की बातों से भरा है। (ख) अनुपयुक्त, अप्रासंगिक या असंबंद्ध। जैसे—देखो, इधर-उधर का कोई आदमी कमरे में न आने पावे। (ग) कुछ यहाँ का, कुछ वहाँ का। कई जगहों का थोड़ा-थोड़ा। जैसे—उनके पत्र में इधर-उधर की भी कई अच्छी बातें थी। इधर-उधर से-अज्ञात, अनिर्दिष्ट या अप्रामाणक स्थान से। ऐसी जगह से, जिसका कुछ ठीक-ठिकाना न हो। जैसे—किसी ऊँची दुकान से मिठाई लाना,इधर-उधर से मत उठा लाना। ३. उस दल या पक्ष की ओर, जिसकी चर्चा हो रही हो या जिससे वक्ता का संबंध हो। मुहावरा-इधर की उधर करना या लगाना=एक दल, पक्ष या व्यक्ति की बात दूसरे दल, पक्ष या व्यक्ति से इस प्रकार कहना कि दोनों में झगड़ा हो या वैमनस्य बढ़े। इधर-की दुनियाँ उधर होना-अनहोनी या असंभव की सी बात घटित होना। ऐसी बात होना जो सहसा ध्यान में न आ सकती हो। जैसे—चाहे, इधर की दुनियाँ उधर हो जाए,पर आप अपनी जिद (या हठ) न छोड़ेगे। (कोई काम या बात) इधर या उधर होना=दो परस्पर विरोधी परंतु संभावित कामों या बातों में से कोई एक काम या बात घटित होना अथवा उनमें से किसी के संबंध में कुछ निश्चय होना। जैसे—यह सोच-विचार बहुत दिनों से यो ही चल रहा है, अब कुछ इधर या उधर हो जाना चाहिए। (अर्थात् कुछ घटित या निश्चित हो जाना चाहिए)। न इधर का रहना (या होना) न उधर का=किसी ओर, दल या पक्ष में न रह जाना। कहीं का या किसी काम का न रह जाना। जैसे—तुम्हारे फेर में पड़कर हम न इधर के रहे, न उधर के। ४. काल या समय के विचार से, वर्त्तमान के लगभग। प्रस्तुत समय से कुछ पहले या कुछ बाद। जैसे—(क) इधर दस-बीस दिनों के अंदर कोई ऐसी घटना नहीं हुई है। (ख) इधर साल दो साल तो अणु बम चलने की कोई संभवाना नहीं है। मुहावरा-(किसी काम या बात के संबंध टाल में) इधर-उधर करना=प्रतिज्ञा या वचन पूरा न करके यह कहते रहना कि अब कर देगें,तब कर देंगे।-मटोल या हीला-हवाली करना। जैसे—आप तो बरसों से इधर-उधर करते आ रहे हैं, पर मेरी पुस्तक (या रुपए) देने का नाम नहीं लेते।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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