शब्द का अर्थ
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					अनुवा					 :
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					पुं० [सं० अनूप=जलयुक्त] १. कुएँ की जगत का वह भाग जहाँ खड़े होकर पानी खींचते है। २. पानी निकालने के लिए जमीन में खोदा जानेवाला गड्ढा। चोआ। पुं० [सं० एनस्] व्यभिचार। छिनाला।				 | 
			
			
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					अनुवाक					 :
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					पुं० [सं० अनु√वच् (बोलना)+घञ्,कुत्व] किसी ग्रन्थ का विशेषतः वेदों का कोई अध्याय या प्रकरण।				 | 
			
			
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					अनुवाचन					 :
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					पुं० [सं० अनु√वच्+णिच्+ल्युट्-अन] १. यज्ञों में विधि के अनुसार मंत्रों का पाठ करना या कराना। २. अध्वर्यु के आदेशानुसार होता द्वारा ऋग्वेद के मंत्रों का पाठ। ३. किसी प्रकार के वाचन के उपरान्त होनेवाली उसकी उद्धरणी।				 | 
			
			
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					अनुवाद					 :
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					पुं० [सं० अनु√वद्(बोलना)+घञ्] [कर्त्ता-अनुवादक, वि० अनुवाद्य, भू० कृ० अनुवादित, अनूदित] १. किसी की कही हुई बात फिर से कहना। दोहराना। २. तर्कशास्त्र में ऐसी बात बार-बार या कई रूपों में कहना जो प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों से बिलकुल ठीक हो। ३. एक भाषा में लिखी हुई चीज या कही हुई बात के दूसरी भाषा में कहने या लिखने की क्रिया या प्रक्रिया। भाषातंर। उत्था। तर्जुमा। (ट्रांसलेशन)				 | 
			
			
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					अनुवादक					 :
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					पुं० [सं० अनु√वद्+ण्युल्-अक] [स्त्री० अनुवादिका] अनुवाद या भाषांतर करनेवाला। एक भाषा से दूसरी भाषा में लिखने या कहनेवाला व्यक्ति। (ट्रांस्लेटर)				 | 
			
			
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					अनुवादित					 :
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					भू० कृ० [सं० अनुवाद+क्विप्+क्त] १. जिसका अनुवाद हो चुका हो। २. (ग्रन्थ या लेख) जो अनुवाद के रूप में हो। अनुवाद किया हुआ। अनूदित।				 | 
			
			
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					अनुवादी (दिन्)					 :
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					पुं० [सं० अनु√वद्+णिनि] १. दे० अनुवादक। २. संगीत में वह स्वर जो किसी राग के वादी स्वर के अनुरूप हो और उस राग का सौन्दर्य बढ़ाने में सहायता देता हो।				 | 
			
			
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					अनुवाद्य					 :
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					वि० [सं० अनु√वद्+ण्यत्] १. अनुवाद किये जाने के योग्य। २. जिसका अनुवाद होने को हो या हो रहा हो। ३. जिसका अनुवाद हो सकता हो।				 | 
			
			
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					अनुवास					 :
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					पुं० [सं० अनु√वास् (सुगंधित करना)+घञ्] १. सुगंधित करना। (विशेषतः वस्त्र)। २. [अनु√वस् (निवास)+घञ्] निकट, समीप या साथ रहना। ३. किसी तरल औषधि (भेषज अथवा शक्तिवर्धक) को पिचकारी द्वारा गुदा-मार्ग से शरीर के अन्दर पहुँचाना। (एनिमा)				 | 
			
			
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					अनुवासन					 :
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					पुं० [सं० अनु√वास्+ल्युट्-अन] अनुवास करने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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					अनुवासन-वस्ति					 :
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					स्त्री० [ष० त०] १. प्राचीन भारत में, शरीर के अन्दर औषध पहुँचाने की पिचकारी। २. पदार्थों को सुगंधित करने के लिए बना हुआ यंत्र।				 | 
			
			
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					अनुवासित					 :
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					भू० कृ० [सं० अनु√वास्+णिनि] १. जिसका अनुवासन हुआ हो। २. सुगंधित किया हुआ।				 | 
			
			
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					अनुवासी (सिन्)					 :
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					वि० [सं० अनु√वास्+णिनि] १. अनुवास करनेवाला। २. सुगंधित करनेवाला। ३. [अनु√वस्+णिनि] पास या पड़ोस में रहनेवाला।				 | 
			
			
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