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अगम  : वि० [सं०√गम् (जाना)+अच्, न० त०] १. जो न चले। २. अचल। स्थावर। पुं० १. पर्वत। पहाड़। २. पेड़। वृक्ष। पुं०=आगम। वि० [सं० अगम्य] [भाव० अगमता] १. जहाँ कोई पहुँच न सके। दुर्गम। उदाहरण—यह तो घर है प्रेम का, मारग अगध अगाध-कबीर। २. जो जल्दी समझ में न आवें। कठिन, दुर्बोध। ३. जो जल्दी प्राप्त न हो सके। दुर्लभ। ४. जिसकी थाह न मिले। अथाह। ५. विकट। ६. बहुत अधिक।
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अगमति  : वि० [सं० अगम और अति] १. बहुत अधिक विस्तृत। २. बहुत अधिक। उदाहरण—मोहन मूर्च्छन-बसीकरन पढ़ि अगमति देह बढ़ाऊँ—सूर।
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अगमन  : क्रि० वि० [सं० अग्रवान्] १. आगे। पहले। २. आगे से। पहले से। ३. आगे बढ़कर। उदाहरण—तद् अगमन ह्वै मोक्ष मिला—जायसी।
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अगमना  : अ० [सं० आगमन] आगमन होना। आना। क्रि० वि० =अगमन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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अगमनीया  : वि० स्त्री० [सं०√गम्+अनीयर्, न० त०)=अगम्या।
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अगमानी  : पुं० [सं० अग्रगामी) अगुआ। नायक। सरदार। स्त्री० दे० ‘अगवानी'।
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अगमासी  : स्त्री० दे० ‘अगवाँसी'।
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अगम्य  : वि० [सं०√गम्+यत्, न० त०] [भाव० अगम्यता] १. जिसके अन्दर या पास न पहुँच सके। जहाँ जाना कठिन हो। पहुँच के बाहर। २. जिसका आशय, तत्त्व या रहस्य न समझा जा सके। अज्ञेय। ३. जिसके साथ गमन न किया जा सके। जैसे—स्त्री० के लिए पुरुष अगम्य है। ४. जो किसी प्रकार प्राप्त किया न जा सके। अप्राप्य। ५. जिसकी थाह या पता न लग सके। अथाह।
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अगम्या  : वि० स्त्री० [सं० अगम्य+टाप्) (वह स्त्री०) जिसके साथ मैथुन करना विधिक या शास्त्रीय दृष्टि से वर्जित हो। जैसे— गुरुपत्नी, राजपत्नी, सौतेली माँ आदि। स्त्री० १. स्त्री० जो गमन या मैथुन के योग्य न हो। २. अंत्यजा।
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अगम्या-गमन  : पुं० [तृ० त०] १. शास्त्रीय दृष्टि से वर्जित स्त्री० के साथ किया जाने वाला गमन या संभोग जो महापातक माना गया है। २. अपने ही कुल या गोत्र की स्त्री० के साथ किया जाने वाला गमन या संभोग। (इन्सेस्ट)।
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