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स्वस्तिक  : पुं० [सं०] १. एक प्रकार का बहुत प्राचीन मंगल-चिह्न जो शुभ अवसरों पर दीवारों आदि पर अंकित किया जाता है। आज-कल इसका यह रूप प्रचलित है ()। साथिया। २. सामुद्रिक में, शरीर के किसी अंग पर होनेवाला उक्त प्रकार का चिह्न जो बहुत शुभ माना जाता है। ३. एक प्रकार का मंगल-द्रव्य जो विवाह आदि के समय भिगोये हुए चावल पीसकर तैयार किया जाता है और जिसमें देवताओं का निवास माना जाता है। ४. प्राचीन काल का एक प्रकार का यंत्र जो शरीर के गड़े हुए शल्य आदि बाहर निकालने के काम आता था। ५. वैद्यक में घाव या फोड़े पर बाँधी जानेवाली एक प्रकार की तिकोनी पट्टी। ६. वास्तु-शास्त्र में ऐसा घर, जिसमें पश्चिम एक और पूर्व ओर दो दालान हों। ७. साँप के फन पर की नीली रेखा। ८. हठयोग की साधना में एक प्रकार का आसन या मुद्रा। ९. प्राचीन काल की एक प्रकार की बढ़िया नाम, जो प्रायः राजाओं की सवारी के काम आती थी। १॰. चौमुहानी। ११. लहसुन। १२. रतालू। १३. मूली। १४. सुसना नामक साग। शिरियारी।
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स्वस्तिका  : स्त्री० [सं०] चमेली।
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स्वस्तिकृत  : पुं० [सं०] शिव। महादेव। वि० कल्याणकारी। मंगलकारक।
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