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शब्द का अर्थ

सभंग  : वि० [सं०] जिसके खंड या टुकड़े किये गये हों। टूटा या तोड़ा हुआ। भग्न।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
सभंग श्लेष  : पुं० [सं०] साहित्य में श्लेष अलंकार के दो मुख्य भेदों में से जो उस समय माना जाता है जब किसी शब्द या भंग का पद अर्थात खंड या विच्छेद करके कोई दूसरा अर्थ निकाला या लगाया जाता है। यथा-भोगी ह्वै रहत बिलसत अपनी के मध्य कनकन जोरै दान-पाठ परिवार है। सेनापति। इसमें के कनकन का भंग करने पर एक अर्थ होगा। ‘कनक न जोरै का दूसरा अर्थ होगा—कनकन जौरे का। विशेष-सका दूसरा और विपरीत भेद अभग श्लेष कहलाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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