शब्द का अर्थ
|
बिरह :
|
पुं०=विरह। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बिरहना :
|
स० [सं० विराधन] १. खंडित करना। तोड़ना-फोड़ना। २. नष्ट करना। अ० १. खंडित होना। २. नष्ट होना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बिरहा :
|
पुं० [सं० विरह] भोजपुरी बोली में, दो पंक्तियों वाला एक प्रसिद्ध लोकछंद। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बिरहागि :
|
स्त्री० [सं० विरह+हिं० आग] विरह के कारण प्रिया (या प्रेयसी) को होनेवाली हार्दिक पीड़ा या कष्ट। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बिरहाना :
|
अ० [सं० विरह] विरह-व्यथा काअनुभव करना। उदाहरण—राधा बिरह देख बिराहनी।—सूर। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बिरही :
|
पुं०=विरही। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बिरहुला :
|
पुं० [पा० बिरूल्हक=नाग] [स्त्री० बिरहुली] साँप। सर्प। उदाहरण—बोइनी सातो बीज बिरहुली।—कबीर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बिरहुली :
|
स्त्री० [हिं० बिरहुला का अल्पा० स्त्री० रूप] १. सर्पिणी। २. साँप के काटने पर उसका विष उतारने का मंत्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |