| शब्द का अर्थ | 
					
				| बरदा					 : | स्त्री० [देश] दक्षिण भारत में होनेवाली एक प्रकार की रूई। पुं० [फा० बर्दः] गुलाम। दास। पद—बरदाफरोश (देखें)। पुं०=बरधा (बैल)। | 
			
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				| बरदाना					 : | सं० [हिं० बरधा-बैल] गौं, भैंस आदि पशुओं का गर्भाधान कराने के लिए उनकी जाति के नर-पशुओं से सम्भोग या संयोग कराना जोडा खिलाना। संयो० क्रि०—डालना।—देना। अ० गौ भैंस आदि का जोड़ा खाना। | 
			
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				| बरदा-फरोश					 : | पुं० [तु० बर्दः+फा० फरोश] [भाव० बरदा-फरोशी] वह व्यक्ति जो गुलामों या दासों का क्रय-विक्रय करता हो। | 
			
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				| बरदा-फरोशी					 : | स्त्री० [फा] गुलाम या दास खरीदने और बेचने का पेशा या व्यवसाय। | 
			
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				| बरदार					 : | वि० [फा०] [भाव० बरदारी] १. उठाने, धारण करने या वहन करनेवाला। जैसे—नाज़-बरदार। २. पालन करनेवाला। जैसे—फरमाँ-बरदार। | 
			
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				| बरदारी					 : | स्त्री० [फा०] १. बरदार होने की अवस्था या भाव। २. उठाने, धारण करने या वहन करने का काम। | 
			
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				| बरदाश्त					 : | स्त्री० [फा०] सहनशीलता सहन। | 
			
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