शब्द का अर्थ
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पुलपुल :
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स्त्री० [अनु०] किसी फूली हुई चीज के बार बार या रह-रहकर थोड़ा पिचकने और फिर उभरने या फूलने की क्रिया या भाव। वि०=पुलपुला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुलपुला :
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वि० [अनु०] १. जो अन्दर से इतना ढीला और मुलायम हो कि जरा-सा दबाने से उसका तल सहज में कुछ दब या धँस जाय। जैसे—ये आम पककर पुलपुले हो गये हैं। २. दे० ‘पोला’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुलपुलाना :
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स० [हिं० पुलपुलाना] [भाव० पुलपुलाहट] १. किसी मुलायम चीज को मुँह में लेकर या हाथ से दबाकर पुलपुला करना। जैसे—आम पुल-पुलाना। अ० पुलपुला होना। जैसे—आम पुलपुला गया है। (पूरब) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुलपुलाहट :
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स्त्री० [हिं० पुलपुला+हट (प्रत्य०)] पुलपुले होने की अवस्था, गुण या भाव। पुलपुलापन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुलपुल :
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स्त्री० [अनु०] किसी फूली हुई चीज के बार बार या रह-रहकर थोड़ा पिचकने और फिर उभरने या फूलने की क्रिया या भाव। वि०=पुलपुला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुलपुला :
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वि० [अनु०] १. जो अन्दर से इतना ढीला और मुलायम हो कि जरा-सा दबाने से उसका तल सहज में कुछ दब या धँस जाय। जैसे—ये आम पककर पुलपुले हो गये हैं। २. दे० ‘पोला’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुलपुलाना :
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स० [हिं० पुलपुलाना] [भाव० पुलपुलाहट] १. किसी मुलायम चीज को मुँह में लेकर या हाथ से दबाकर पुलपुला करना। जैसे—आम पुल-पुलाना। अ० पुलपुला होना। जैसे—आम पुलपुला गया है। (पूरब) |
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पुलपुलाहट :
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स्त्री० [हिं० पुलपुला+हट (प्रत्य०)] पुलपुले होने की अवस्था, गुण या भाव। पुलपुलापन। |
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समानार्थी शब्द-
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