| शब्द का अर्थ | 
					
				| दात					 : | पुं० [सं० जातव्य] १. दान के रूप में शुभ अवसर पर किसी को दिया जानेवाला पदार्थ। २. दान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि० दाता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दातन					 : | स्त्री०=दातुन। | 
			
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				| दातव्य					 : | वि० [सं०√दा (देना)+तव्यत्] १. जो दिया जाने को हो या दिया जा सकता हो। २. दान संबंधी। दान का। ३. जहाँ से दान रूप में कुछ दिया जाता हो। जैसे—दातव्य औषधालय। पुं० १. दान। २. दानशीलता। ३. वह धन जो चुकाना या देना आवश्यक हो। (ड्यू) जैसे—कर या महसूल। | 
			
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				| दाता (तृ)					 : | वि० [सं०√दा+तृच्] [स्त्री० दात्री] १. समस्त पदों के अंत में, देनेवाला। जैसे—सुखदाता। २. बहुत अधिक दान करनेवाला। दानशील। पुं० १. ईश्वर या परमात्मा जो सब को सब-कुछ देता है। २. बहुत बड़ा दानी व्यक्ति। | 
			
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				| दातापन					 : | पुं० [सं० दाता+हिं० पन] बहुत बड़ा दाता होने की अवस्था या भाव। दानशीलता। | 
			
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				| दातार					 : | वि० [सं० दाता का बहु०] दाता। देनेवाला। बहुत दान देनेवाला। बहुत बड़ा दाता। | 
			
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				| दाति					 : | स्त्री० [सं०√दा(दान)+क्तिच्] १. देने की क्रिया या भाव। २. वितरण। ३. किसी दूसरे स्थान से किसी के नाम आई हुई वस्तु उसे देना या पहुँचाना। (डिलीवरी) | 
			
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				| दाती					 : | स्त्री० [हिं० ‘दाता’ का स्त्री०] देनेवाली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दातुन					 : | स्त्री० [हिं० दाँत+अवन (प्रत्य०)] १. किसी पेड़ की पतली नरम टहनी का वह टुकड़ा जिसका अलग सिरा कुचलकर दाँत साफ किये जाते हैं। २. दाँत और मुँह अच्छी तरह साफ करने की क्रिया। | 
			
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				| दातुन					 : | स्त्री० [सं० दंती] १. दंती की जड़। २. जमालगोटे की जड़। स्त्री०=दातून।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दातृता					 : | स्त्री० [सं० दातृ+तल्+टाप्] दाता होने की अवस्था या भाव। दानशीलता। | 
			
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				| दातृत्व					 : | पुं० [सं० दातृ+त्व] दानशीलता। दातृता। | 
			
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				| दातौन					 : | स्त्री०=दतुवन। स्त्री०=दातुन। | 
			
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				| दात्यूह					 : | पुं० [सं० दाति√ऊह् (वितर्क)+अण्] १. पपीहा। चातक। २. बादल। मेघ। | 
			
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				| दात्योनि					 : | स्त्री०=दातुन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दात्यौह					 : | पुं० [सं० दात्यूह (पृषो० सिद्धि)] १. पपीहा। २. बादल। | 
			
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				| दात्र					 : | पुं० [सं०√दो (काटना)+ष्ट्रन्] [स्त्री० अल्पा० दात्री] घास, फूस आदि काटने की दरांती। दाँती। हँसिया। | 
			
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				| दात्री					 : | स्त्री० [सं० दातृ+ङीष्] देनेवाली। स्त्री० दराँती या हँसिया नामक औजार। | 
			
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				| दात्व					 : | पुं० [सं०√दा (दान)+त्वन्] १. दाता। २. यज्ञ का अनुष्ठान। ३. यज्ञ। | 
			
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