शब्द का अर्थ
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					झाँप					 :
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					स्त्री० [हिं० झाँपना] १. वह चीज जिससे कोई दूसरी चीज झाँपी या ढकी जाती हो। ऊपरी आवरण। जैसे–पिटारी की झाँप। २. वास्तु कला में, खिड़की, दरवाजे आदि के ऊपर दीवार से बाहर निकली हुई रचना जो धूप, वर्षा के जल आदि को कमरे के अन्दर आने में रुकावट उत्पन्न करती है। (शेड)। ३. परदा। ४. टट्टी। ५. मस्तूल का झुकाव। ६. कान का एक आभूषण। ७. घोडे़ को गले में पहनाई जानेवाली एक प्रकार की हुमेल या हैकल। स्त्री०=झपकी। स्त्री०=उछल-कूद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					झाँपना					 :
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					स० [सं० उत्थापन, हिं० ढाँपना] १. ऊपर से आवरण डाल कर ढाँकना। ढकना। २. मलना। रगड़ना। उदाहरण–फिरि फिरि झाँपति है कहा रुचिर चरन के रंग।–मतिराम। ३. पकड़कर दबाना या दबोचना। अ०=झेंपना।				 | 
			
			
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					झाँपा					 :
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					पुं० [हिं० झाँपना] [स्त्री० झाँपी] १. वह बड़ी टोकरी या दौरी जिससे दही, दूध आदि ढाँके जाते हैं। २. मूँज की बनी हुई एक प्रकार की बड़ी पिटारी। स्त्री०=झपकी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झाँपो					 :
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					स्त्री० [देश०] १. खंजन पक्षी। २. दुश्चरित्रा या पुंश्चली स्त्री। (गाली)।				 | 
			
			
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