शब्द का अर्थ
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					झंझ					 :
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					स्त्री० १. दे० ‘झाँझ’। २. दे० ‘झंझा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					झंझट					 :
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					स्त्री० [अनु०] ऐसा काम या बात जिसके साधन में कई प्रकार की छोटी मोटी कठिनाइयाँ हो और जिसके लिए विशेष परिश्रम या प्रयत्न करना पड़े। बखेड़ा।				 | 
			
			
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					झंझटी					 :
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					वि० [हिं० झंझट] १. (काम या बात) जिसे संपादन करने में अनेक प्रकार की झंझटें खड़ी होती हों। २. (व्यक्ति) जो हर बात को उलझता तथा उसे झगड़े का रूप देता हो। ३. झगड़ालू।				 | 
			
			
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					झंझन					 :
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					पुं० [सं०] झंकार।				 | 
			
			
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					झंझनाना					 :
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					अ० [हिं० झन झन] झन झन शब्द उत्पन्न होना। स० झन झन शब्द उत्पन्न करना।				 | 
			
			
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					झंझंर					 :
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					स्त्री० [सं० अलिंजर] मिट्टी का जल रखने का एक छोटा पात्र। वि०=झँझरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झँझरा					 :
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					पुं० [हिं०] मिट्टी का छोटे-छोटे छेदोंवाला वह ढकना जिससे खौलता हुआ दूध ढका जाता है। वि० [स्त्री० झँझरी] १. जिसमें बहुत से छोटे-छोटे छेद हों। २. बहुत ही झीना या महीन (कपड़ा)				 | 
			
			
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					झंझरि					 :
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					वि० [सं० जर्जर] जर्जर। क्षत-विक्षत। स्त्री०=झंझरी।				 | 
			
			
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					झँझरी					 :
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					स्त्री० [हिं० झर झर से अनु०] १. किसी चीज में बने हुए बहुत से छोटे-छोटे छेदों का समूह। जाली। २. दीवारों आदि की जालीदार खिड़की या झरोखा। ३. लोहे के चूल्हें की वह जाली जिस पर जलते हुए कोयले रहते हैं। ४. छेद। सुराख। ५. आटा छानने की चलनी। छाननी। ६. लोहे का जालीदार पौना। झरना। ७. एक प्रकार की जल कीड़ा जिसमें छोटी नावों पर बैठकर उन्हें चक्कर देते हैं।				 | 
			
			
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					झँझरीदार					 :
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					वि० [हिं० झंझरी+पा० दार] जिसमें बहुत से छोटे-छोटे छेद पास-पास बने हुए हों।				 | 
			
			
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					झंझा					 :
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					स्त्री० [सं० झम√झट् (इकट्ठा होना)+ड-टाप्] १. वह तेज आँधी जिसके साथ पानी भी जोरों से बरसता हो। २. अंधड़। आँधी। वि० तेज। प्रचंड।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=झाँझ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झंझानिल					 :
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					पुं० [सं० झंझा+अनिल, मध्य० स०] १. प्रचंड वायु। आँधी। २. ऐसी आँधी जिसके साथ पानी भी बरसे।				 | 
			
			
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					झंझा-मरुत्					 :
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					पुं=झंझानिल।				 | 
			
			
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					झंझार					 :
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					पुं० [सं० झंझा] आग की ऊंची तथा बड़ी लपट।				 | 
			
			
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					झंझावात					 :
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					पुं=झंझानिल।				 | 
			
			
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					झंझी					 :
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					स्त्री० [देश०] १. फूटी कौड़ी। २. दलालों को दलाली में मिलनेवाली रकम। (दलाल)।				 | 
			
			
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					झंझोड़ना					 :
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					सं० [सं० झर्झन] किसी चीज को अच्छी तरह पकड़कर जोर-जोर से तथा बार-बार झटकना या हिलाना जिससे वह टूट-फूट जाय या बेदम हो जाय। झकझोरना। जैसे–बिल्ली का कबूतर या चूहे को झँझोड़ना।				 | 
			
			
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					झँझोरा					 :
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					पुं० [देश०] कचनार का पेड़।				 | 
			
			
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					झँझोटी, झँझौटी					 :
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					स्त्री=झिंझौटी।				 | 
			
			
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