| शब्द का अर्थ | 
					
				| चौपा					 : | पुं०=चौपाया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चौपाई					 : | स्त्री० [सं० चतुष्पदी] चार चरणों का एक प्रसिद्ध मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में १६ मात्राएँ होती हैं। स्त्री० चारपाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| चौपाया					 : | पुं० [सं० चतुष्पाद, चतुष्पदी, प्रा० चौप्पअ, चउपाइया, बँ० उ० चौपाया, सि० चौपाई, गु० चोपाई] ऐसा पशु जो चारों (दो अगले और दो पिछले) पैरों से चलता हो। जैसे–गाय, घोड़ा, हिरन, आदि। वि० जिसमें चार पाये या पावें हों। | 
			
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				| चौपार					 : | स्त्री०=चौपाल। उदाहरण–सब चौपारिन्ह चंदन खंभा।–जायसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| चौपाल					 : | पुं० [हिं० चौबार] १. ऊपर से छाया हुआ और चारों ओर से खुलता स्थान जहाँ देहात के लोग बैठकर बात-चीत, विचार-विमर्श आदि करते हैं। २. छायादार बड़ा चबूतरा। ३. देहाती मकानों के आगे का दालान या बरामदा। ४. एक प्रकार की पालकी जो ऊपर से छायादार पर चारों ओर से खुली हुई होती है। | 
			
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