| शब्द का अर्थ | 
					
				| चेतन					 : | पुं० [सं०√चित् (जानना)+ल्यु-अन] १. आत्मा। २. जीव। प्राणी। ३. आदमी। मनुष्य। ४. परमात्मा। वि० जिसमें चेतना या ज्ञान हो। चेतनायुक्त। जड़ का विपर्याय। जैसे–जीव, जन्तु आदि। | 
			
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				| चेतनकी					 : | स्त्री० [सं० चेतन√कृ (करना)+ड-ङीष्] हरीतकी। हड़। | 
			
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				| चेतनता					 : | स्त्री० [सं० चेतन+तल्–टाप्] १.चेतन होने की अवस्था, गुण, धर्म या भाव। चैतन्य। संज्ञानता। २. सजीवता। | 
			
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				| चेतनत्व					 : | पुं० [सं० चेतन+त्व]=चेतनता। | 
			
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				| चेतना					 : | स्त्री० [सं० चित्+युच्-अन, टाप्] १. मन की वह वृत्ति या शक्ति जिससे जीव या प्राणी को आन्तरिक (अनुभूतियों, भावों, विचारों आदि) और ब्राह्य (घटनाओं) तत्त्वों या बातों का अनुभव या भान होता है। होश-हवाश। २. बुद्धि। समझ। ३. मनोवृत्ति, विशेषतः ज्ञानमूलक मनोवृत्ति। ४. याद। स्मृति। अ० [हिं० चेत] १. संज्ञा से युक्त होना। होश में आना। उदाहरण–नैन पसारि चेत धन चेती।–जायसी। २. ऐसी स्थिति में होना कि बुरे परिणामों या बातों से बचकर अच्छी बातों की ओर प्रवृत्त हो सके। ३. सावधान या होशियार होना। ४. सोच-समझकर किसी बात की ओर ध्यान देना। स० विचारना। समझना। जैसे–किसी का बुरा या भला चेतना। | 
			
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				| चेतनीय					 : | वि० [सं०√चित्+अनीय] जो चेतन करने या जानने योग्य हो। चेतन का अधिकारी या पात्र। | 
			
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				| चेतनीया					 : | स्त्री० [सं० चेतना+छईय,टाप्] ऋद्धि नाम की ओषधि। | 
			
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				| चेतन्य					 : | पुं०=चैतन्य। | 
			
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