शब्द का अर्थ
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चुन :
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पुं० [सं० चूर्ण, हिं० चून] १. गेहूँ, जौ आदि का आटा। २. चूर्ण। बुकनी। |
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समानार्थी शब्द-
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चुनचुना :
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पुं० [अनु०] पेट में उत्पन्न होनेवाले एक प्रकार के सफेद रंग के लंबोतरे कीड़े जो मलद्वार से मल के साथ बाहर निकलते हैं। मुहावरा–चुनचुना लगना=चुभती या लगती हुई बात सुनने पर बहुत बुरा लगना। वि० [देश०] जिसके स्पर्श करने से हलकी जलन होती है। क्रि० प्र०–लगना। |
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चुनचुनाना :
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अ० [अनु०] [भाव० चुनचुनाहट, चुनचुनी] १. शरीर के किसी अंग में रह-रहकर हल्की खुजली और जलन सी होना। जैसे–घाव चुनचुनाना। २. कोई तीक्ष्ण वस्तु खाने अथवा किसी अंग से उसका स्पर्श होने पर हलकी जलन होना। जैसे–सूरन खाने से गला अथवा राई का लेप करने से किसी अंग का चुनचुनाना। ३. लड़कों का धीरे-धीरे चीं चीं शब्द करते हुए रोना। (क्व०) |
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चुनचुनाहट :
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स्त्री०=चुनचुनी। |
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चुनचुनी :
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स्त्री० [हिं० चुनचुनाना] १. चुनचुनाने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. हलकी जलन। स्त्री० दे० ‘चुलचुली’। |
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चुनट :
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स्त्री० दे० ‘चुनना’। |
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चुनत :
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स्त्री०=चुनट (चुनन)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चुनन :
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स्त्री० [हिं० चुनना] १. चुनने की क्रिया या भाव। २.अनाज में का वह रद्दी अंश जो उसमें से चुनकर अलग किया जाता है। जैसे–सेर भर दाल में से आधा पाव चुनन निकली है। ३. कपड़े को जगह-जगह से मोड़ या दबा कर उसमें सुंदरता लाने के लिए डाली या बनायी जानेवाली परतें। कपड़े में डाला जानेवाला बल या शिकने। जैसे–साड़ी की चुनन। ४. कुरते, दुपट्टे आदि में चुटकी से चुनकर या इमली के चीएँ से रगड़कर डाली या बनाई जानेवाली छोटी-छोटी रेखाएँ या शिकनें जो देखने में सुंदर जान पड़ती हैं। |
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चुननदार :
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वि० [हिं० चुनन+फा० दार] जिसमें चुनन पड़ी हो। जो चुना गया हो। |
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चुनना :
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स० [सं० चयन] १. बहुत सी चीजों में से अपनी आवश्यकता, इच्छा, रुचि आदि के अनुसार अच्छी या काम की चीजें छाँटकर अलग करना। जैसे–(क) पढ़ने के लिए किताब और पहनने के लिए कपड़ा चुनना। (ख) चुन-चुनकर गालियाँ देना। २. आज-कल राजनीतिक क्षेत्र में, कई उम्मीदवारों में से किसी को अपने प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित करना। जैसे–नगरपालिका या राज-सभा के लिए सदस्य चुनना। ३. कहीं पड़ी या रखी हुई छोटी चीजें उठाना या लेना। जैसे–कबूतरों या मुर्गियों का जमीन पर पड़े हुए दाने चुनना। चुगना। ४. पौधों में लगे हुए फूलों आदि के संबंध में, उँगलियों या चुटकी से तोड़कर इकट्ठा करना। जैसे–माली का कलियाँ या फूल चुनना। ५. एक में मिली हुई कई तरह की चीजों में से अच्छी और काम की चीजें एक ओर करना और फालतू या रद्दी चीजें अलग करना। जैसे–चावल या दाल चुनना, अर्थात् उसमें मिले हुए कदन्न, कंकड़ियों आदि उठा-उठाकर अलग करना या फेंकना। ६. किसी स्थान पर बहुत सी चीजें क्रम से और सजाकर यथा-स्थान रखन। जैसे–अलमारी में किताबें चुनना,मेज पर खाना चुनना। ७. दीवारों की जुडा़ई में क्रम से और ठीक तरह से ईंटें पत्थर आदि बैठाना या लगाना। जैसे–इस कमरे की दीवारें चुनने में ही दस दिन लग गये। मुहावरा–(किसी को) दीवार में चुनना=मध्य युग में किसी को प्राण-दंड देने के लिए कहीं खडा़ करके उसके आस-पास या चारों ओर ईंट-पत्थर आदि की दीवार या दीवारें बनाना, जिसमें दम घुटने के कारण अभियुक्त उसी में मर जाय। ८. उँगलियों की चुटकी, इमली के बड़े चीएँ आदि की सहायता से कपड़े में सुन्दरता लाने के लिए उसे बहुत ही थोड़ी-थोड़ी दूर पर दबाते तथा मोड़ते हुए उसमें छोटी-छोटी शिकनें या सिकुंड़ने डालना या बनाना। जैसे–कुरता चुनना। ९. हाथ की चारों उँगलियों की सहायता से कपड़े को बार-बार इधर-उधर घुमाते या ले जाते हुए उसकी तीन-चार अंगुल चौड़ी तहें लगाना। जैसे–दुपट्टा या धोती चुनकर खूँटी पर टाँगना या रखना। |
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चुनरिया :
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स्त्री०=चुनरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चुनरी :
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स्त्री० [हिं० चुनना] १. पुरानी चाल का एक प्रकार का रंगीन विशेषतः लाल रंग का कपड़ा जिसके बीच में थोड़ी-थोड़ी दूर पर सफेद अथवा किसी दूसरे रंग की बुँदकियाँ होती थी। इस कपड़े का उपयोग स्त्रियाँ साड़ी के रूप में भी और चादर के रूप में भी करती थीं। २. चुन्नी नामक रत्न का छोटा टुकड़ा। |
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चुनवट :
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स्त्री०=चुनट। |
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चुनवाँ :
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वि० [हिं० चुनना] १. चुना हुआ। २. अच्छा। बढ़िया। पुं० [हिं० चुन्नी या चुन्नू (लड़कों का नाम)] [स्त्री० चुनियाँ] १. वह छोटा लड़का जो अभी काम सीखता हो। २. बालक। लड़का। |
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चुनवाना :
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स० [हिं० चुनना का प्रे०] चुनने का काम किसी दूसरे से कराना। किसी को चुनने में प्रवृत्त करना। |
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चुनाँ :
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वि० [फा०] इस प्रकार का। ऐसा। केवल यौ में प्रयुक्त। जैसे–चुनाँच, चुनाँ-चुंनी आदि। |
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चुनाँ, चुनी :
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स्त्री० [फा०] १. किसी के आदेश, कथन आदि के संबंध में यह कहना या पूछना कि ऐसा क्यों होना चाहिए अथवा इसका औचित्य क्या है। २. व्यर्थ की आपत्ति या विरोध। जैसे–अब चुनाँ-चुनीं मत करो, हम जो कहते हैं, वह करो। |
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चुनांचे :
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अव्य० [फा० चुनान्चः] इसलिए। अतः। |
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चुनाई :
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स्त्री० [हिं० चुनना] १. चुनने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. कोई चीज चुनने का ढंग, प्रणाली या स्वरूप। जैसे–इस दीवार की चुनाई कुछ टेढ़ी हुई है। |
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चुनाखा :
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पुं० [हिं० चूड़ी+नख] वृत्त बनाने का कंपास या परकार। |
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चुनाना :
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स०=चुनवाना। |
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चुनाव :
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पुं० [हिं० चुनना] १. चुनने की क्रिया या भाव। २. बहुत सी वस्तुओं आदि में से अपनी रुचि, पसन्द, विवेक आदि के अनुसार कोई चीज अंगीकार, ग्रहण करने या ले लेने का कार्य। जैसे–शिक्षा अधिकारी पुरस्कार के लिए पुस्तकों का चुनाव करेगें। ३. किसी पद के लिए कई उम्मीदवारों में से किसी एक को मतों या बहुमत के आधार पर अपना प्रतिनिधि चुनने का कार्य या व्यापार। मुहावरा–चुनाव लड़ना=निर्वाचन में उम्मीदवार के रूप में खड़े होना। ४. वह चीज, बात या वस्तु जो आवश्यकता, रुचि आदि के अनुसार चुनी जाय। जैसे–यह भी तो आप का ही चुनाव है। |
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चुनावट :
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स्त्री०=चुनट। |
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चुनाव-याचिका :
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स्त्री० [हिं० पद] विधिक क्षेत्र में, वह याचिका या आवेदन-पत्र जो किसी विशिष्ट न्यायालय में इस आधार पर तथा इस उद्देश्य से किया जाता है कि प्रतिनिधि रूप में अमुक सदस्य का चुनाव अवैध रूप से हुआ है, अतः यह चुनाव रद्द किया जाय। (इलेक्शन पेटिशन) |
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चुनिंदा :
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वि० [हिं० चुनना+फा० इंदा (प्रत्य०)] १. चुना या छँटा हुआ। २. अच्छा। श्रेष्ठ। ३. गण्य-मान्य या प्रतिष्ठित। |
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चुनिया गोंद :
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पुं० [हिं० चूना+गोंद] ढाक या पलास का गोंद। कमरकस। |
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चुनी :
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स्त्री० [सं० चूर्णी] १. मोटे अन्न दाल आदि का पीसा हुआ आटा या चूर्ण जो प्रायः गरीब लोग खाते हैं पद–चुनी-भूसी।(देखें)। स्त्री०=चुन्नी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चुनी भूसी :
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स्त्री० [हिं०] मोटे अन्न का पीसा हुआ चूर्ण, चोकर आदि। |
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चुनैटी :
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स्त्री०=चुनौटी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चुनौटिया :
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पुं० [हिं० चुनौटी] एक प्रकार का खैरा या का करेजी रंग जो आकिलखानी रंग से कुछ अधिक काला होता है। वि० उक्त प्रकार के रंग का। |
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चुनौटी :
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स्त्री० [हिं० चूना+औटी (प्रत्य०)] वह छोटी डिबिया जिसमें पान, सुपारी आदि के साथ खाने के लिए गीला चूना रखा जाता है। |
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चुनौती :
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स्त्री० [हिं० चुनना या चुनाव] १. किसी को ललकारते हुए उससे यह कहना कि या तो तुम हमारी बात मान लो या यदि अपनी बात पर दृढ़ रहना चाहते हो तो हम से लड़-झगड़कर या वाद-विवाद आदि के द्वारा निपटारा कर लो। अपना कथन या पक्ष पुष्ट या सिद्ध करने अथवा अपनी बात मनवाने के लिए किसी को उत्तेजित करते हुए आकर सामना करने के लिए कहना। प्रचारणा। २. इस प्रकार कहीं हुई बात। क्रि० प्र०–देना। स्त्री० चुनट। (चुनन)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चुन्नट :
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स्त्री०=चुनट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चुन्नन :
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स्त्री०=चुनन। |
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चुन्ना :
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पुं० दे० ‘चूना’। स० दे० ‘चुनना’। पुं० [मुन्ना का अनु०] छोटे बच्चों को प्यार से बुलाने का शब्द। |
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चुन्नी :
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स्त्री० [सं० चूर्णी] १. किसी प्रकार के रत्न विशेषतः मानिक का बहुत छोटा टुकड़ा या नग। २. सुनहले-रुपहले सितारे जो स्त्रियाँ सोभा के लिए कपोलों और मस्तक पर लगाती है। चमकी। मुहावरा–चुन्नी रचनामस्तक और कपोलों पर सितारे या मचकी लगाना। ३. अनाज के दानों का चूरा या छोटे-छोटे टुकड़े। ४. लकड़ी को आरे से चीरने पर निकलनेवाला उसका चूरा या बुरादा। कुनाई। ५. एक प्रकार का छोटा कीड़ा। |
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चुनौटी :
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स्त्री०=चूनेदानी। |
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