| शब्द का अर्थ | 
					
				| चिनग					 : | स्त्री०=चिनक। | 
			
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				| चिनगटा					 : | पु०=चिथड़ा। | 
			
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				| चिनगारी					 : | स्त्री० [सं० चूर्ण, हिं० चुन+अंगार] १. जलती हुई वस्तु से निकलकर अलग होनेवाला आग का छोटा कण जो उड़कर इधर-उधर जाता या या सकता हो। मुहावरा–(किसी की) आँखों से चिनगारी छूटना=अत्यधिक क्रुद्ध होने पर आँखों का लाल हो जाना। चिनगारी छोड़ना=ऐसा काम करना या बात कहना जिससे बहुत बड़ा उपद्रव या लड़ाई खड़ी हो। २. दो कड़ी वस्तुओं की रगड़ से उत्पन्न होनेवाला आग का कण। ३. लाक्षणिक अर्थ में कोई ऐसा छोटा कार्य या बात जिसका प्रभाव आगे चलकर बहुत उग्र तथा भीषण हो सकता है। | 
			
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				| चिनगी					 : | स्त्री०=चिनगारी। पुं० बाजीगरों और मदारियों के साथ रहनेवाला एक छोटा लड़का जो अनेक प्रकार के कौशलपूर्ण खेल दिखलाता है। | 
			
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