शब्द का अर्थ
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चामर :
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पुं० [सं० चमरी+अण्] १. चँवर। मोरछल। २. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में रगण, जगण, रगण, जगण और रगण होते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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चामर-ग्राह :
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पुं० [सं० चामर√ग्रह (ग्रहण करन)+अण्, उप० स०] चँवर डुलानेवाला सेवक। |
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चामर-ग्राहिक :
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पुं० [सं० चामरग्रहिन+कन्]=चामर-ग्राह। |
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चामर-ग्राही (हिन्) :
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पुं० [सं० चामर√ग्रह्+णिनि, उप० स०]= चामर-ग्राह। |
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चामर पुष्प :
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[ब० स०] १. सुपारी का पेड़। २. आम का पेड़। ३. केतकी। ४. काँस। |
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चामर व्यजन :
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पुं० [ष० त०] चँवर। मोरछल। |
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चामरिक :
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पुं० [सं० चामर+ठन्-इक] चँवर डुलानेवाला सेवक। |
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चामरी :
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स्त्री० [सं० चामर+अच्+ङीप्] सुरागाय। |
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