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चाट  : स्त्री० [हिं० चाटना] १. चाटने की क्रिया या भाव। २. वह चटपटी चीज जो प्रायः चरपरे और तीखे स्वाद के लिए ही चाटी या खाई जाती है। जैसे–कचालू, गोलगप्पा, दही का बड़ा आदि। ३. उक्त प्रकार की चीजें खाने की इच्छा या कामना। ४. उक्त प्रकार की चीजों से मिलने वाले स्वाद के फल-स्वरूप पड़नेवाली आदत या लत जो बार-बार वैसी चीजें खाने या पाने की इच्छा उत्पन्न करती या शौक लगाती है। जैसे–अफीम या मिठाई की चाट। मुहावरा–(किसी को) चाट पर लगाना=किसी को किसी चीज या बात का चस्का या स्वाद लगाकर उसका अभ्यस्त करना। ५. किसी प्रकार की प्रबल इच्छा या गहरी चाह। लोलुपता। जैसे–तुम्हें तो बस रुपये की चाट लगी है। ६. बुरी आदत। लत। क्रि० प्र०–लगना। पुं०[सं०√चट् (भेदन करना)+णिच्+अच्] १. वह जो किसी का विश्वास पात्र बनकर उसका धन हरण करे। ठग। २. उचक्का। उठाईगीर।
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चाटना  : स० [सं० चष्ट, दे० प्रा० चट्ट, प्रा० चट्टई, बँ० चाटा, उ० चाटिबा, पं० चट्टना, सिं० चटणु, गु० चाटणु; ने० चाटनु, मरा० चाटणें] १.खाने की कोई गाढ़ी या लसीली चीज मुँह में ले जाने के लिए जबान से समेट कर उठाना। जैसे–हथेली पर रखा हुआ घी या शहद चाटना। २. उँगली से उक्त प्रकार की कोई चीज उठाकर जीभ पर रखना या लगाना। जैसे–चटनी या दवा चाटना। ३. कोई वस्तु अधिक मात्रा में तथा लोलुपतापूर्वक खाना। जैसे– तुम्हें तो खीर अच्छी नहीं लगी, तुम्हारा भाई तो चाट-चाटकर खा गया है। ४. धन, संपत्ति आदि खा-पकाकर नष्ट करना। जैसे–लाखों रुपये की संपत्ति वह दो वर्षों में चाट गया। ५. पशुओं का प्रेमपूर्वक किसी के शरीर पर बराबर जीभ फेरना। जैसे–कुत्ते का अपने पिल्ले या मालिक का हाथ चाटना। मुहावरा–चूमना चाटना=बार-बार प्रेमपूर्वक चुबंन करना। ६. कीड़ों का किसी वस्तु को खा जाना। जैसे–ऊनी कपड़े कीडे़ चाट गये।
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चाटपुट  : पुं० दे० ‘चाचपुट’।
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चाटा  : पुं० [देश०] [स्त्री० अल्पा० चाटी] १. वह बरतन जिसमें कोल्हू का पेरा हुआ रस इकट्ठा होता है। नाँद। २. मिट्टी का बड़ा और मोटे दल का मटका। जैसे–अचार या आटे का चाटा (या चाटी।)
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चाटी  : पुं० [हिं० चटशाला में का चट] चेला। शिष्य। जैसे–चेले-चाटी। स्त्री० [हिं० चाटा] मिट्टी का एक प्रकार का मटका। छोटा चाटा।
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चाटु  : पुं० [सं० चट् (भेदन करना)+ञण्] १. बहुत ही प्रिय और मीठी बात। मधुर वचन। २. किसी बड़े को केवल प्रसन्न करने के लिए कही जाने वाली ऐसी बात जिसमें उसकी कुछ प्रशंसा या बड़ाई हो। खुशामद। चापलूसी।
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चाटुक  : पुं० [सं० चाटु+कन्] मीठी बात।
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चाटुकार  : पुं० [सं० चाटुकृ (करना)+अण्, उप० स०] १. खुशामद करनेवाला व्यक्ति। चापलूस। २. सोने के तार में पिरोई हुई मोतियों की माला।
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चाटुकारी  : स्त्री० [सं० चाटुकार+हिं० (प्रत्य)] झूठी प्रशंसा या खुशामद करने का काम। चापलूसी। चाटु।
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चाटुता  : स्त्री० [सं० चाटु] खुशामद। चापलूसी।
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चाटु-पटु  : वि० [स० त०] १. चाटुकार। खुशामदी। २. भंड। भाँड़।
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चाटु-लोल  : वि० [स० त०] चाटुकार।
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चाटूक्ति  : स्त्री० [चाटु-उक्ति, कर्म० स०] चाटुता से भरी हुई बात। खुशामद या चापलूसी की बात।
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