| शब्द का अर्थ | 
					
				| चमत्कार					 : | पुं० [सं० चमत्√कृ+घञ्] [वि० चमत्कारी, चमत्कृत] १. कोई ऐसी अनोखी या विलक्षण बात जिसे देखकर सब लोग चौंक पड़ें और यह न समझ सकें कि यह कैसे हो गयी। २. ऐसा अद्भुत काम या बात जो इस लोक में सहसा न दिखाई देती हो अलौकिक सा जान पड़नेवाला काम या बात। करामात। जैसे–मृत प्राणी को जीवित कर दिखाना, या जलते हुए अंगारों पर दौड़ना और उन्हें उठा-उठाकर खाने लगना। ३. ऐसी अद्भुत तथा अनोखी बात जिसे देख या सुनकर मन फड़क उठे। जैसे–कविता या कहानी की चमत्कार। ४. आश्चर्य। विस्मय। ५. [चमत्√कृ+अण्] डमरू। ६. अपामार्ग। चिचड़ा। | 
			
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				| चमत्कारक					 : | वि० [सं० चमत्√कृ+ण्वुल्-अक] १. चमत्कार संबंधी। २. इतना विलक्षण कि चौंका दे। (मार्वलस) ३. अलौकिक या असंभव-सा जान पड़नेवाला। (मिरैक्यूलस)। | 
			
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				| चमत्कारित					 : | भू० कृ० [सं० चमत्कार+इतच्] चमत्कृत। विस्मित। | 
			
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				| चमत्कारिता					 : | स्त्री० [सं० चमत्कारिन्+तल्-टाप्] चमत्कारी होने की अवस्था, गुण या भाव। चमत्कारपन। | 
			
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				| चमत्कारी(रिन्)					 : | वि० [सं० चमत्√कृ (करना)+णिनि] [स्त्री० चमत्कारिणी] १.(वस्तु) जिसमें चमत्कार हो। जिसमें कुछ विलक्षणा हो। अद्भुत। २. चमत्कार उत्पन्न करने वाला। ३. चमत्कार दिखाने वाला। (व्यक्ति)। करामाती। | 
			
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