| शब्द का अर्थ | 
					
				| चपल					 : | वि० [सं० चुप् (रेंगना)+कल, उकारस्य, अकार] १. जो गति में हो। गतिमान। २. काँपता या हिलता हुआ। ३. अस्तिर। ४. क्षणिक। ५. चुलबुला। ६. चटपट काम करनेवाला, फुरतीला (व्यक्ति)। ७. उतावली करनेवाला। जल्दबाज। ८. चालाक। धूर्त्त। पुं० १. पारा। पारद। २. मछली। ३. चातक। पपीहा। ४. एक प्रकार का पत्थर। ५. चोर नामक गंध-द्रव्य। ६. राई। ७. एक प्रकार का चूहा। | 
			
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				| चपलक					 : | वि० [सं० चपल+कन्] १. अस्थिर। चचंल। २. बिना सोचे-समझे काम करनेवाला। अविचारी। | 
			
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				| चपलता					 : | स्त्री० [सं० चपल+तल्-टाप्] १. चपल होने की अवस्था या भाव। चंचलता। २. साहित्य में वह अवस्था जब किसी प्रकार के अनुराग के कारण आचरण की गंभीरता या अपनी मर्यादा का ध्यान नहीं रह जाता। इसकी गिनती संचारी भावों में होती है। ३. तेजी। फुरती। ४. जल्दी। शीघ्रता। ५. चालाकी। ६. ढिठाई। धृष्टता। | 
			
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				| चपलत्व					 : | पुं० [सं० चपल+त्व]=चपलता। | 
			
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				| चपलकाँटा					 : | पुं० [सं० चपल+हिं० फट्टा=धज्जी] जहाज के फर्स के तख्तों के बीच की खाली जगह में खड़े बल में बैठाए हुए तख्ते या पच्चड़ जिनसे मस्तूल फँसे रहते हैं। | 
			
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				| चपलस					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का ऊंचा पेड़ जिसकी लकड़ी से सजावट के सामान, चाय के संदूक, नावों के तख्ते आदि बनते हैं। यह ज्यों ज्यों पुरानी होती है त्यों त्यों अधिक कड़ी और मजबूत होती जाती है। | 
			
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				| चपला					 : | स्त्री० [सं० चपल+टाप्] १. लक्ष्मी। २. बिजली। विद्युत। ३. दुश्चरित्रा या पुंश्चली स्त्री। ४. पिप्पली। ५. जीभ। जिह्रा। ६. भाँग। विजया। ७. मदिरा। शराब। ८. आर्या छंद का वह भेद जिसमें पहले गण के अंत में गुरु हो, दूसरा गण जगंण हो, तीसरा गण दो गुरुओं का हो, चौथा गण जगण हो, पाँचवें गण का आदि गुरु हो, छठा गण जगण हो, सातवाँ जगण न हो और अंत में गुरु हो। ९. प्राचीन काल की एक प्रकार की नाव जो ४८ हाथ लंबी, २४ हाथ चौड़ी और २४ हाथ ऊँची होती थी और केवल नदियों में चलती थी। वि० सं० ‘चपल’ का स्त्री। पुं० [हिं० चप्पड़] जहाज में लोहे या लकड़ी की पट्टी जो पतवार के दोनों ओर उसकी रेक के लिए लगाई जाती है। (लश०)। | 
			
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				| चपलाई					 : | स्त्री० चपलता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| चपलान					 : | पुं० [हिं० चप्पड़] जहाज की गलही के अगल-बगल के कुंदे जो धक्के सँभालने के लिए लगाए जाते हैं। (लश०)। | 
			
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				| चपलाना					 : | अ० [सं० चपल] १. चपलता दिखाना। २. धीरे-धीरे आगे बढ़ना, चलना या हिलना-डोलना। स० १. किसी को चपल बनाना। २. चलाना-फिराना या हिलाना-डुलाना। | 
			
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				| चपली					 : | स्त्री० [हिं० चप्पल+ई (प्रत्यय)] छोटी चप्पल। | 
			
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