| शब्द का अर्थ | 
					
				| चतुष्पद					 : | वि० [सं० चतुर-पद, ब० स०] १. चार पैरोंवाला। (जीव या पशु) २. (पद्य) जिसमें चार चरण या पद हों। पुं० १. चौपाया। २. वैद्यक में वैद्य, रोगी, औषध और परिचारक इन चारों का समूह। ३. फलित ज्योतिष में एक प्रकार का करण जिसमें जन्म लेनेवाला दुराचारी, दुर्बल और निर्धन होता है। ४. दे० ‘चतुष्पदी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चतुष्पद-वैकृत					 : | पुं० [ष० त०] एक जाति के पशुओं का दूसरी जाति के पशुओं के साथ होनेवाला मैथुन अथवा स्तन-पान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चतुष्पदा					 : | स्त्री० [सं० चतुष्पद+टाप्] चौपैया छंद जिसके प्रत्येक चरण में तीस मात्राएँ होती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चतुष्पदी					 : | स्त्री० [सं० चतुष्पद+ङीष्] १. चौपाई छंद जिसके प्रत्येक चरण में १5 मात्राएँ और अन्त में गुरु-लघु होते हैं। २. ऐसा गीत जिसमें चार चरण या पद हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |