| शब्द का अर्थ | 
					
				| चण					 : | पुं० [सं०√चण् (देना)+अच्] चना। | 
			
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				| चणक					 : | पुं० [सं०√चण्+क्वुन्-अक] १. चना। २. एक गोत्र प्रवर्तक ऋषि। | 
			
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				| चणका					 : | स्त्री० [सं० चणक+टाप्] तीसी। | 
			
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				| चणकात्मज					 : | पुं० [सं० चणक-आत्मज, ष० त०] चणक के पुत्र, चाणक्य। | 
			
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				| चण-द्रुम					 : | पुं० [उपमि० स०] १. क्षुद्र गोक्षुर। छोटा गोखरू। २. एक प्रकार का रोग। | 
			
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				| चणपत्री					 : | स्त्री० [ब० स० ङीष्] रुदंती नामक पौधा। | 
			
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				| चणिका					 : | स्त्री० [सं० चणक+टाप्, इत्व] एक प्रकार की घास जो औषध के काम आती है। | 
			
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				| चणिया					 : | पुं० [गुज० चणियो] औरतों का छोटा घाघरा। | 
			
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