| शब्द का अर्थ | 
					
				| चँचरी					 : | स्त्री० [देश०] १. पत्थर के ऊपर से होकर बहने वाला पानी। २. एक प्रकार की चिड़िया जो जमीन पर घास के नीचे घोंसला बनाती है। ३. अनाज का वह दाना जो कूटने-पीसने पर भी बाल में लगा रह जाता है। कोसी। भूडरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चंचरी					 : | स्त्री० [सं०√चंर् (गति)+यङ-लुक्, द्वित्वादि+टक्-ङीप्] १. भौरी। भ्रमरी। २. चार चरणों का एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रम से रगण, सगम, दो जगण, भगण और तब फिर रगण होता है। ३. छियालिस मात्राओं वाला एक प्रकार का छंद। ४. चाँचर नामक गीत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चंचरीक					 : | पुं० [सं०√चंर्+ईकन्, नि० सिद्धि] [स्त्री० चंचरीकी] भौंरा। भ्रमर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| चंचरीकावली					 : | स्त्री० [सं० चंचरीक-आवली, ष० त०] १. भौरों की अवली, पंक्ति या समूह। २. तेरह अक्षरों के एक वर्णवृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः यगण, मगण, दो रगण और एक गुरु होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |